Business Environment Study Material Meaning of Globalization Disadvantages Liberalization

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वैशवीकरण, उदारीकरण एव निजीकरण की अवधारणा (CONCEPT OF GLOBALIZATION, LIBERALIZATION AND PRIVATIZATION)

वैशवीकरण का अर्थ(Meaning of Globalization) : वैशवीकरण का अभिप्राय किसी देश की अर्थव्यवस्था को विशव के अन्य देशो की अर्थव्यवस्थाओ से जोड़ने से है जिससे व्यावसायिक किर्याओ का विशव स्तर पर विस्तार हो सके तथा देशो की प्रतिस्पर्धात्मक छमता का विकास हो इस प्रकार वैशवीकरण को अन्तराष्ट्रीयकरण कर रूप में भी देखा जाता है अन्य शब्दों में, वैशवीकरण का अर्थ देश की अर्थव्यवस्था को विशव को अर्थव्यवस्था के साथ एकीक्रत करना है

 

वैशवीकरण की परिभाषा (Definitions of Globalization) : वैशवीकरण को विभिन अर्थशास्त्रीयो ने निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित किया है—

 

आस्कर लेन्जे के अनुसार, “आधुनिक समय में अल्प विकसित देशो के आर्थिक विकास का भविष्य मुख्यतः अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग पर निर्भर करता है |”

प्रोo दीपक नैय्यर के अनुसार, “आर्थिक किर्याओ का किसी देश की राजनैतिक सीमओं के बाहर तक विस्तार करने को वैशवीकरण कहते है |”



 

उदारीकरण के उदेश्य (OBJECTIVES OF LIBERALIZATION)

Business Environment Study Material Meaning of Globalization Disadvantages Liberalization: उदारीकरण का उदेश्य अर्थव्यवस्था में सुधार लाना होता है भारत में उदारीकरण की जो प्रकिर्या प्रारम्भ हुई है उसका आर्थिक शब्दावली में नाम ढाचागत समायोजन कार्यक्रम है उदारीकरण के प्रमुख उदेश्य निम्न्लिखित है—

  • क्रषि छेत्र का विकास करना |
  • प्रत्यक्ष विदेशी विनियोग को बडावा देना |
  • आर्थिक विकास की रुकावट को दूर करना |
  • बाजार की शक्तियो को स्वतंत्रता प्रदान करना |
  • व्यवसाय के छेत्र में सरकारी तथा नोकरशाही हस्तक्षेप को कम करना |
  • सुचना एव ज्ञान का आदान-प्रदान करना |
  • उत्पादकता में सुधार लाना |
  • देश के ससाधनो का कुशलतम उपयोग करना |
  • अर्थव्यवस्था का वैशवीकरण करना |
  • देशी बाजारो का विकास करना |
  • प्रबन्धकीय कार्यछमता एव निष्पादन मर सुधार लाना |
  • देश का व्यापार सन्तुलन बनाये रखना |
  • आर्थिक विकास को प्रोत्साहन करना |
  • ससाधनो के विश्वव्यापी आधार पर स्वतंत्र बहाव को प्रोत्साहित करना |
  • आर्थिक कल्याण में वर्धि करना |
  • प्रतिबन्धो को हटाने के परीणामस्वरूप सरकारी आय में आने वाली कमी को दूर करना |
  • सार्वजनिक छेत्र के अनावश्यक एकाधिकार को समाप्त करना |
  • बीमार सार्वजनिक छेत्र में गतिशीलता और कुशलता लाना |
  • लालफीताशाही, अछमता तथा ससाधनो के अपव्यय को रोकना |
  • ससाधनो के विश्वव्यापी आधार पर स्वतन्त्र बहाव को प्रोत्साहन करना |




उदारीकरण के दोष (DISADVANTAGES OF LIBERALIZATION)

 

  • सुधार की धीमी गति (Slow Pace of Growth) : उदारीकरण द्वारा सुधार की गति अत्यन्त धीमी हुई है|
  • आर्थिक असमानता (Economic Inequality) : उदारीकरण का लाभ देश के साधन सम्पन वर्ग को मिलेगा और स्वचालन से श्रमिक बेकार होगे अत: इससे आर्थिक असमानता बड़ेगी |
  • बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का प्रभाव (Increasing Impact of Multinational Companies) : उदारीकरण से बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का प्रभाव भारतीय अर्थव्यवस्था पर बड़ेगा और स्वदेशी एव स्वावलम्बन महत्वहीन हो जायेगा |
  • उदारीकरण से स्थायित्व पर विपरीत प्रभाव (Unfavourable Impact on Stability of Liberalization) : उदारीकरण से स्थायित्व पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा| जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को सबसे बड़ा आघात पहुच सकता है |
  • विलासिता की वस्तुओ का आयत (Import of Luxary Goods) : उदारीकरण के परीणाम स्वरूप विलासिता की वस्तुओ के आयत में वर्धि होना अच्छा सकेत नही है |
  • क्रषि नीति में सुधार पर ध्यान नही (Ignorance on Improvement in Agriculture Policy) : क्रषि भारतीय अर्थव्यवस्था का केंद्र बिन्दु है अत: क्रषिगत अर्थव्यवस्था को विशेष ध्यान देना चाहिए क्रषि के लिए उदारीकरण में नवीन नीति न अपनाना दुर्भाग्यपूर्ण है |
  • लाभदेयता में कमी (Lack of Profitability) : उदारीकरणके फलस्वरूप भारतीय उधोगो की लाभदेयता में कमी आयी है |
  • विदेशी ऋणों में वर्धि (Increasing foreign Debts) : भारत की आर्थिक नीतियों के निधारण में अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक और ऋणदाता देशो का प्रभाव बड़ा एव विदेशी ऋणों में वर्धि द्रष्टिगोचर हो रही है |

 

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