Unit 2 Planning online Business Bcom Notes

Unit 2 Planning online Business Bcom Notes

 

Unit 2 Planning online Business Bcom Notes:-

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ऑनलाइन बिजनेस प्लान (Planning Online Business)

ई-कॉमर्स व्यवसाय प्लान अनेक घटकों से निर्देशित होता है जो कि ऑनलाइन स्टोर प्रारम्भ करते समय और निरन्तर वृद्धि के लिए ध्यान रखे जाते हैं। अन्य परम्परागत व्यावसायिक प्लान की भाँति ऑनलाइन व्यवसाय में भी लागत अनुमान और बजट पूर्वानुमान प्लान के कुछ मुख्य भाग होते हैं। लेकिन कुछ ई-कॉमर्स व्यवसाय में प्रारम्भिक कोषों का प्रबन्ध सम्पूर्ण व्यावसायिक परियोजना में गौण भूमिका में होता है।

 

ऑनलाइन बिजनेस प्लान के तत्त्व (Elements of Online Business Plan)

ई-कॉमर्स व्यवसाय प्लान को तैयार करते समय पाँच मुख्य तत्त्वों को ध्यान में रखा जाना चाहिए –

  1. बिजनेस मॉडल (Business Model) – ऑनलाइन बिजनेस में किस उत्पाद की बिक्री की जाए और उसे भेजने की क्या व्यवस्था होगी, के विषय में सर्वप्रथम विचार करना पड़ता है। बिजनेस मॉडल के अन्तर्गत निम्नलिखित विषयों पर विचार करना पड़ता है

(i) ई-कॉमर्स बिजनेस में किस प्रकार के उत्पादों की बिक्री की जाएगी, ये निर्णय करना।

(ii) यदि उत्पाद का स्वयं उत्पादन नहीं किया जा रहा है तो उत्पाद के पूर्तिकर्ताओं की पहचान करना।

(iii) निर्माण लागत, थोक लागत या अन्य उत्पादन लागतों का बजट तैयार करना।

(iv) डिजिटल उत्पाद का व्यापार करने की दशा में आवश्यक सॉफ्टवेयर की पहचान करना।

  1. संचालन (Operation) – इसके अन्तर्गत उत्पाद को क्रेता के हाथों तक पहुँचाने के लिए की जाने वाली गतिविधियाँ आती हैं जो कि निम्नलिखित हो सकती हैं –

(i) भौतिक रूप से उत्पाद का स्टॉक किस प्रकार रखा जाएगा और आदेशों को किस प्रकार पूरा किया जाएगा तथा इनकी लागतों का बजट बनाना।

(ii) क्रेता तक सीधी आपूर्ति तथा माँग पर तैयार उत्पादों को तैयार करना।

(iii) डिजिटल उत्पाद की दशा में, यह सुनिश्चित करना कि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर डिजिटल फाइल सुरक्षित रूप से संचित एवं वितरित की जा सकती है।

  1. विक्रय प्रणाली (Sales Channels) – ई-कॉमर्स बिजनेस के लिए अलग-अलग प्रकार के व्यवसायों के लिए अनेक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और विक्रय प्रणालियाँ प्रचलित हैं। इस घटक के अन्तर्गत अग्रलिखित बातों पर विचार करना पड़ता है—

(i) किस ऑनलाइन स्टोर प्लेटफॉर्म और/या विक्रय प्रणाली का उत्पाद के विक्रय के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।

(ii) मासिक रूप से वेब होस्टिंग (Web Hosting) लागत का बजट तैयार करना।

(iii) विक्रय बाजार स्थान की फीस को समझना व अनुमान करना।

(iv) क्रेडिट कार्ड प्रोसेसिंग फीस को समझना व अनुमान करना।

  1. विपणन (Marketing) – परम्परागत व्यवसाय की भाँति ही ऑनलाइन बिजनेस में भी उत्पाद के विपणन पर ध्यान रखना पड़ता है। आजकल के सोशल मीडिया के परिवेश में ऑनलाइन बिजनेस प्लान के इस घटक में निम्नलिखित बातें शामिल होती हैं

(i) ऑनलाइन स्टोर प्रारम्भ करने की विपणन योजना बनाना और लागतों का अनुमान लगाना।

(ii) तीन से छह माह का विपणन प्लान तैयार करना और लागतों का अनुमान लगाना।

  1. आय (Income) – इसके अन्तर्गत यह देखा जाता है कि लागतों को पूरा करने के लिए कितने उत्पादों की बिक्री की आवश्यकता पड़ेगी। प्रत्येक व्यवसाय अलग होता है और प्रत्येक व्यवसाय में अलग-अलग प्रकार की मूल्य-नीति को अपनाना पड़ता है। मूल्य-नीति का निर्धारण करने के पश्चात् ऑनलाइन बिजनेस प्लान पर कार्य प्रारम्भ कर देना चाहिए।

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इण्टरनेट की प्रकृति और गतिशीलता (Nature and Dynamics of the Internet)

ई-कॉमर्स में वस्तुओं और सेवाओं का व्यापारी और उपभोक्ता के मध्य इण्टरनेट द्वारा क्रय-विक्रय किया जाता है। इण्टरनेट के प्रादुर्भाव के पश्चात् ई-कॉमर्स शब्द में निम्नलिखित कार्य शामिल हैं –

(1) वस्तुओं का या अमूर्त जैसे सूचनाएँ; इलेक्ट्रॉनिकली व्यापार।

(2) ऑनलाइन विपणन, आदेशित भुगतान और सुपुर्दगी के लिए सहायता से सम्बन्धित सभी चरण ।

(3) सेवाओं की इलेक्ट्रॉनिक सुविधा जैसे विक्रय पश्चात् सुविधा या ऑनलाइन कानूनी सलाह।

 

ई-कॉमर्स के लिए इण्टरनेट के लाभ (Benefits of Internet for E-commerce)

इण्टरनेट ई-कॉमर्स बिजनेस की सफलता में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इण्टरनेट के ई-कॉमर्स बिजनेस के लिए निम्नलिखित लाभ हैं –

(1) व्यवसाय की इण्टरनेट पर दृश्यता (Visibility on Internet) में वृद्धि,

(2) उपभोक्ताओं से सीधा सम्पर्क,

(3) प्रतियोगिता का सामना करने में सहायक,

(4) व्यवसाय में शोध व विकास में सहायक,

(5) व्यवसाय को सफल बनाने में सहायक।

 

इलेक्ट्रॉनिक बिजनेस मॉडल (Electronic Business Model)

बिजनेस मॉडल बिजनेस करने की वह पद्धति है जिससे एक संगठन स्वयं को व्यावसायिक जगत् में बनाए रखे। बिजनेस मॉडल यह व्याख्या करता है। कैसे एक कम्पनी कार्यकलाप करती है। कैसे वह उत्पाद अथवा सेवाओं को अपने ग्राहकों को घर बैठे उपलब्ध करा सकती है। कैसे वह राजस्व (धन) को उत्पन्न करती है तथा किस प्रकार वह नये-नये बाजार और प्रौद्योगिकी का सृजन करती है। एक इलेक्ट्रॉनिक बिजनेस मॉडल में मुख्यतः चार परम्परागत घटक हो सकते हैं –

(1) ई-बिजनेस की अवधारणा का घटक,

(2) राजस्व के माध्यम और आवश्यक क्रियाकलापों का घटक,

(3) साधन और क्षमताओं का घटक,

(4) मूल्य प्रस्ताव का घटक।

एक सफल तथा प्रसिद्ध व्यापार करने के लिए चारों घटकों का आपसी तालमेल एवं सहयोग होना अनिवार्य है।

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इलेक्ट्रॉनिक व्यापार मॉडल के प्रकार (Types of Electronic Business Models)

अमेरिका की सबसे बड़ी इनोवेटिव इण्टरनेट कम्पनी की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया भर में करीब 3.8 अरब लोग इण्टरनेट का प्रयोग करते हैं। यह विश्व की कुल आबादी के आधे से अधिक है। वर्ष 2019 की रिपोर्ट के अनुसार विश्व में सबसे अधिक इण्टरनेट प्रयोगकर्त्ता चीन में हैं।

यहाँ पर विश्व के कुल इण्टरनेट प्रयोगकर्ताओं में 21% लोग इण्टरनेट का प्रयोग करते हैं। विश्व में दूसरा नम्बर अब भारत का आता है। रिलायंस जियो के आने के बाद भारत में इण्टरनेट प्रयोगकर्ता की संख्या में बहुत तेजी से वृद्धि हुई है। विश्व के कुल इण्टरनेट यूजर्स में भारत की हिस्सेदारी 12% है जबकि अमेरिका में विश्व के कुल इण्टरनेट यूजर्स का मात्र 8% ही है। वर्ष 2019 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में कुल इण्टरनेट यूजर्स की संख्या 45.10 करोड़ इलेक्ट्रॉनिक व्यापार मॉडल के प्रकार निम्नलिखित हैं –

  1. बिजनेस टू कंज्यूमर ( Business to Consumer (B2C)) – बिजनेस टू कंज्यूमर (B2C) मॉडल के अनुसार माल का उत्पादक अपने उत्पादों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर रिटेल ग्राहकों को सीधा बेचता है। अमेजन डॉट कॉम B2C का एक उदाहरण है। B2C में व्यापार केवल ऑनलाइन ही होता है। इसमें उत्पादक अपने उत्पाद की एक रेंज प्रस्तुत करता है जबकि कुछ उत्पादों को उत्पादक केवल ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर ही बेचता है। बिजनेस टू कंज्यूमर मॉडल में राजस्व (धन) सीधी बिक्री और प्रक्रिया फीस के माध्यम से ही आता है। B2C मॉडल के अन्य उदाहरण हैं— bestbookbuys.com और gartner.com, Flipcart.com, Myntra.com आदि।
  2. बिजनेस टू बिजनेस (Business to Business (B2B)) – बिजनेस टू बिजनेस (B2B) मॉडल के अन्तर्गत कम्पनियाँ इण्टरनेट के माध्यम से एक-दूसरे से व्यापारिक लेन देन करती हैं। इसमें मुख्यतः उत्पादन करने वाली फर्म, कच्चा माल सप्लाई करने वाली फर्म से लेन-देन करती हैं। वह कच्चा माल लेती है। यह सभी लेन-देन केवल इण्टरनेट पर ही किया जाता है। B2B ई-बिजनेस सभी इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स का 90% से अधिक है। B2B ट्रान्जेक्शन विभिन्न प्रकार के होते हैं और प्रायः आपूर्ति श्रृंखला के बहुविकल्पीय लेन-देनों में भी शामिल होते हैं। B2B मॉडल में फर्म या कम्पनी अपना राजस्व (धन) सीधा विक्रय करके ही जुटाती है।
  3. कंज्यूमर टू बिजनेस (Consumer to Business (C2B)) – कंज्यूमर टू बिजनेस (C2B) मॉडल के अन्तर्गत उपभोक्ता अपने उत्पादों और सेवाओं को कम्पनियों के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर खरीदने व बोली लगाने के लिए उपलब्ध कराता है। यह मॉडल B2C मॉडल के विपरीत होता है। इसमें ग्राहक अपने उत्पाद को सीधा कम्पनी या फर्म को बेचता है। यह एक लोकप्रिय प्लेटफॉर्म है। वर्तमान Jio Mart, Big Bazar जैसी कम्पनियाँ सीधे किसानों से फल व सब्जी खरीदती हैं। उसके बाद अपने स्टोर में उनको साफ सफाई करके रिटेल ग्राहकों को पुनः विक्रय करती हैं।
  4. कंज्यूमर टू कंज्यूमर (Consumer to Consumer (C2C)) – कंज्यूमर टू कंज्यूमर (C2C) मॉडल उपभोक्ताओं को उपभोक्ता और विक्रेता दोनों ही बनाता है। यह एक थर्ड पार्टी (Thired Party) मार्केट ऑनलाइन प्लेस की सुविधा देता है। क्रेग्सलिस्ट (Craigslist) थर्ड पार्टी प्लेस का उदाहरण है। उदाहरणार्थ- पुराने फर्नीचर, पुरानी किताब व अन्य सामान C2C का अन्य उदाहरण है। इसमें क्रेता वस्तुओं के लिए भुगतान Paypal के माध्यम से करता है। Paypal पर क्रेता अपनी भुगतान राशि जमा करवा देता है। Paypal विक्रेता को यह सूचना देता है कि वस्तु का मूल्य उसके पास जमा हो गया है जो माल की सुपुर्दगी होते ही उसको दे दिया जाएगा। इस पर क्रेता व विक्रेता दोनों का ही जोखिम खत्म हो जाता है। C2C मॉडल में उपभोक्ता ऑनलाइन इण्टरनेट के माध्यम से तीसरे पक्षकार के द्वारा वस्तु या माल और सेवाओं का क्रय-विक्रय करता है। ऑनलाइन नीलामी और वर्गीकृत विज्ञापन इस प्लेटफॉर्म के उदाहरण हैं।
  5. उपभोक्ता से प्रशासन (Consumer to Administration (C2A)) – उपभोक्ता से प्रशासन (C2A) मॉडल के अन्तर्गत कंज्यूमर और सरकारी निकायों अथवा सार्वजनिक प्रशासन के बीच ऑनलाइन लेन-देन में है। इसमें उपभोक्ता को किसी भी सरकारी निकाय का कोई भी भुगतान करना हो तो वह C2A मॉडल पर ही आधारित होगा। इसके अन्तर्गत उपभोक्ता और प्रशासन के बीच होने वाले सभी लेन-देनों का समाधान है।
  6. व्यापार से प्रशासन (Business to Administration (B2A)) – व्यापार से प्रशासन मॉडल कम्पनियों द्वारा सार्वजनिक निकायों अथवा सरकारी विभागों के साथ किए गए ऑनलाइन लेन-देनों को व्यक्त करता है। B2A मॉडल में व्यापारिक संगठन तथा सरकारी एजेन्सी वेबसाइट के द्वारा सूचनाओं का आदान-प्रदान करते हैं। सरकार किसी निजी व्यापार को कोई काम देती है। जैसे कि किसी डेमोग्राफिक एरिया का सर्वे करना। कम्पनी द्वारा सरकार के लिए यह कार्य करना ही B2A कहलाता है।

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वेबसाइट डिजाइन (Website Design)

वर्तमान समय में ग्राहक को कुछ भी खरीदना होता है वह सबसे पहले इण्टरनेट के माध्यम से उस उत्पाद अथवा सेवा की तलाश करता है और वह तलाश इण्टरनेट के माध्यम से वेबसाइट द्वारा ही की जाती है। वेबसाइट जितनी अच्छी व प्रभावशाली होती है व्यापार के लिए उतना ही अधिक लाभकारी होती है। सरल शब्दों में, वेबसाइट डिजाइन एक प्रक्रिया है जिससे हम एक वेबसाइट बनाने के लिए विभिन्न तथ्यों को ध्यान में रखकर एक नियोजन करते हैं और उसके बाद उस नियोजन के अनुसार वेबसाइट को आकार-प्रकार व रंगरूप प्रदान करते हैं।

वेबसाइट डिजाइन करते समय उसके सिर्फ रंगरूप पर ही ध्यान नहीं दिया जाता बल्कि वेबसाइट में उपलब्ध जितनी भी सूचनाएँ व विषय सामग्री होती है वह प्रयोगकर्ता द्वारा कैसे कार्य में लाई जाएगी, वह प्रयोगकर्ता को कैसे दिखाई देगी आदि पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है। वेब डिजाइन के विभिन्न क्षेत्रों में वेब ग्राफिक डिजाइन, इण्टरफेस डिजाइन, आथरिंग, स्टैण्डरडाइज्ड कोड, प्रोप्राइटरी सॉफ्टवेयर, यूजर एक्सपीरिएन्स डिजाइन और सर्चइंजन ऑटोमाइजेशन शामिल हैं। वेब डिजाइन में कम्पनी की हर छोटी-बड़ी महत्त्वपूर्ण जानकारी निहित होती है जिसके माध्यम से उपयोगकर्ता जानकारी जुटाकर सम्बन्धित कम्पनी से व्यापारिक लेन-देन शुरू कर सकता है।

  1. मार्केट प्लेस वेबसाइट (Market Place Website) – यह वह वेबसाइट होती है। जो क्रेता व विक्रेता को अपने उत्पादों का क्रय-विक्रय करने की अनुमति देती है। यह सभी क्रेता व विक्रेता का अपनी वेबसाइट पर पंजीकरण करती है। पंजीकरण की कार्यवाही पूर्ण होने के बाद क्रेता व विक्रेता व्यावसायिक गतिविधियाँ प्रारम्भ कर सकते हैं।
  2. ई-कॉमर्स वेबसाइट (E-commerce Website) – ई-कॉमर्स वेबसाइट से आशय ऐसे स्थान से है जहाँ पर विशिष्ट ब्राण्ड अपने उत्पादों को बेचते हैं। इन वेबसाइटों पर व्यापार का मालिक या एडमिन उत्पादों का विज्ञापन एवं विक्रय दोनों कर सकता है। यह वेबसाइट कम्पनी द्वारा अपने लिए ही डिजाइन करायी जाती है। उदाहरणार्थ- अमेजन, फ्लिपकार्ट, अलीबाबा, स्नेपडील आदि ई-कॉमर्स वेबसाइट पर ही अपने उत्पाद का विज्ञापन व विक्रय दोनों करते हैं।

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ब्रिक्स और क्रिक्स व्यापार मॉडल्स (Bricks and Cricks Business Model)

ब्रिक्स और क्रिक्स एक व्यापारिक मॉडल होता है जिसमें एक कम्पनी अपना ऑनलाइन स्टोर (क्लिक) तथा ऑफलाइन स्टोर (ब्रिक्स) खोलती है अर्थात् कम्पनी अपने ग्राहकों को उत्पाद खरीदने के लिए ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों प्रकार के प्लेटफॉर्म उपल्ब्ध कराती है। ब्रिक्स और क्रिक्स मॉडल का लाभ यह है कि कम्पनी का ऑफलाइन स्टोर होने से ग्राहकों में उसकी ख्याति पहले से ही होती है जिसके कारण ऑनलाइन ग्राहकों को उत्पाद खरीदने में ज्यादा सोचना नहीं पड़ता और इसमें ग्राहकों को ऑफलाइन वाली ही सुविधा प्रदान की जाती है। ब्रिक्स और क्रिक्स मॉडल की कुछ महत्त्वपूर्ण बातें अग्र प्रकार हैं

  1. ब्राण्डिंग (Branding) – ब्रिक्स और क्रिक्स मॉडल का एक फायदा ये है कि पूर्व में स्टोर होने के कारण ग्राहकों में पहले से ही पहचान होती है जिसके कारण उत्पाद को विक्रय करने में आसानी होती है। लोगों का ऑफलाइन पर थोड़ा विश्वास भी अधिक होता है। ग्राहक दोनों ही चैनल का प्रयोग कर सकता है।
  2. सप्लायर नेटवर्क (Supplier Network) – ब्रिक्स और क्रिक्स मॉडल का दूसरा फायदा सप्लायर नेटवर्क को लेकर होता है। ऑफलाइन व्यापार के पास स्टोर क्षमता अधिक होती है। वह ऑनलाइन सप्लायर्स के नेटवर्क का लाभ उठाकर बहुत ही प्रतियोगी मूल्य पर उत्पाद खरीदकर बाद में ग्राहकों को अधिक मूल्य पर बेचकर लाभ उठा सकता है। परम्परागत व्यापार करने वाले व्यापारी को भी ऑनलाइन बिजनेस आकर्षित कर रहा है और वह भी ब्रिम्स और क्रिम्स मॉडल को अपना रहे हैं।
  3. वितरण (Distribution) – ब्रिक्स और क्रिक्स मॉडल का तीसरा फायदा ऑनलाइन बिजनेस में सप्लाई नेटवर्क में वृद्धि करना भी है। ऑनलाइन बिजनेस से वह उत्पाद न को स्थानीय बाजार से लेकर विश्व में कहीं भी बड़ी ही आसानी से बेच सकता है। यहाँ पर व्यापारी एक भौतिक स्टोर को रखता है। ग्राहक अपनी सन्तुष्टि के लिए वहाँ जाकर उत्पाद की ने गुणवत्ता की जाँच भी कर सकता है। इस मॉडल में ग्राहकों को ऑफलाइन व ऑनलाइन दोनों ही प्रकार के प्लेटफॉर्म उपलब्ध होते हैं।

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ई-कॉमर्स वेबसाइट के महत्त्वपूर्ण टूल्स (Some Important Tools of E-commerce Website)

ई-कॉमर्स से व्यापार चलाने के लिए कुछ महत्त्वपूर्ण तकनीक या टूल्स की आवश्यकता होती हैं। यह तकनीक हार्डवेयर व सॉफ्टवेयर दोनों से ही सम्बन्धित होती है। ऐसी ही कुछतकनीक इस प्रकार हैं –

  1. वेब सर्वर (Web Server) – ई-कॉमर्स वेबसाइट को संचालित करने के लिए एक – वेब सर्वर की जरूरत होती है। वेब सर्वर विण्डों या लिनम्स ऑपरेटिंग पद्धति से चलता है। वेब सर्वर का प्रबन्धन करना एक विशिष्ट कार्य होता है। वेबसाइट बनाने वाली कम्पनियाँ अपने वेब सर्वर हेतु साइट को होस्ट करती हैं या किसी सुरक्षित वेब सर्वर बनाने वाली कम्पनी के लिए होस्टिंग कम्पनी को भुगतान करती हैं। सभी HTML, JAWA Script, P.H.P. आदि फाइलें डाटा बेसिस, मीडिया फाइलें इस सर्वर में ही स्टोर की जाती हैं।
  2. सर्वर सॉफ्टवेयर (Server Software) – जब कोई उपयोगकर्ता किसी भी वेबसाइट के वेब ब्राउजर पर जाता है तो वेब सर्वर को पता चल जाता है कि क्लाइण्ट कुछ विशिष्ट सूचना के लिए आवेदन कर रहा है। यह सूचना सम्बन्धी कार्यवाही के लिए सर्वर सॉफ्टवेयर तकनीक की आवश्यकता होती है। वर्तमान में एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर सर्वर, डेटा बेस सर्वर, फाइल सर्वर और क्लाउड कम्यूटिंग सॉफ्टवेयर सर्वर सबसे अधिक प्रयोग में आते हैं।
  3. वेबटूल्स (Webtools) – वेबटूल्स का प्रयोग ई-कॉमर्स वेबसाइट के फुट एण्ड के (foot ‘n’ k) सृजन में प्रयुक्त होता है। आम इण्टरनेट यूजर केवल world wide web (www) को ही इण्टरनेट का एकमात्र संसाधन समझता है परन्तु वस्तुस्थिति यह है कि फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल, गोफर, इलेक्ट्रॉनिक मेल, टेलनेट, न्यूजग्रुप्स, आर्ची, वेरोनिका, वाइड एरिया इनफॉरमेशन सिस्टम, हुइज आदि वेबटूल्स का प्रयोग भी निरन्तर बढ़ता जा रहा है।

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डोमेन नेम्स (Domain Names)

डोमेन नेम्स से आशय एक ऐसे नामकरण से है जिससे हम किसी वेबसाइट को इण्टरनेट में सत्यापित कर सकते हैं। हर वेबसाइट किसी-न-किसी IP address से जुड़ी होती है। सफल कम्पनी की पहचान ही डोमेन नेम्स से होती है। इण्टरनेट की वेबसाइट के सर्च इंजन पर जैसे ही डोमेन नेम्स को डाला जाता है वह कम्पनी को तुरन्त सर्च कर देता है। डोमेन नाम के उदाहरण हैं- Voice.com, Fb.com, We.com, Internet.com आदि।

 

डाटाबेस ई-कॉमर्स (Database E-commerce)

डाटाबेस ई-कॉमर्स वेबसाइट से आशय डाटा का प्रयोग करना तथा सूचनाओं को स्टोर करना से होता है। वेबसाइट के द्वारा ग्राहक की सम्पूर्ण जानकारी, उसके ऑर्डर का विवरण, भुगतान का विवरण, शिपिंग का विवरण और सम्पर्क सूचना आदि स्टोर होता है। वेबसाइट में ही उत्पाद या सेवाओं सम्बन्धित जानकारी जैसे उत्पाद की रेंज, मूल्य विवरण, इमेज, डिटेल और विक्रय सम्बन्धी नियम व शर्तें सभी जानकारी स्टोर रहती हैं।

डाटाबेस ई-कॉमर्स के द्वारा सुरक्षित वेबसाइट का प्रयोग करके ग्राहक अपना ऑर्डर देता है और व्यापारी उस ऑर्डर के अनुसार ग्राहक को उत्पाद या सेवाओं को समय पर उपलब्ध करा देता है। इसमें वेबसाइट और डाटाबेस प्रबन्धन पद्धति (DBMS) के बीच में PHP और MSQL प्रौद्योगिकी संवादीय रास्ता होता है।

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ब्राउजर कॉम्पैटिबिल्टी (Browser Compatibility)

यह एक सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन होती है जिसका कार्य वेब सर्वर से प्राप्त कण्टेण्ट को स्थापित करना और दर्शाना होता है। यह एक मल्टीपल ब्राउजर, मल्टीपल डिवाइसों और स्क्रीन आइज के एक्रास आदि कैसे डिस्प्ले करती है आदि कार्य को देखने का काम भी करती है। विश्व में लोकप्रिय ब्राउजर गूगल क्रोम (Google Chrome), इण्टरनेट एक्सप्लोरर (Internet Explorer), सफारी (Safari), मोजिला फायरफोक्स (Mozilla Firefox) आदि हैं।

 

ग्लोबल विलेज (Global Village)

वर्तमान समय में दूरसंचार क्रान्ति के माध्यम से सम्पूर्ण विश्व को एकीकृत करने का काम किया गया है। कोई भी व्यक्ति इण्टरनेट के द्वारा व्यापार को एक बन्द कमरे से ही कर सकता है। ऑनलाइन व्यापार ने आज स्थानीय बाजार की सीमाओं को लाँधकर अन्तर्राष्ट्रीय सीमाओं में प्रवेश कर लिया है।

वर्तमान समय में ग्राहक घर बैठे-बैठे विश्व के किसी भी देश से उत्पाद या सेवाओं का लाभ उठा सकता है। ऑनलाइन बिजनेस के इसी स्वरूप को कुछ लोग ग्लोबल विलेज (Global Village) का नाम भी दे रहे हैं। इस पद्धति में व्यापारियों द्वारा शोरूम, स्टॉफ, एवं विज्ञापन पर होने वाले खर्च आदि को बचाने की सुविधा भी मिल रही है। साथ ही ग्राहकों को अपने घर बैठे ही देश-विदेश कम्पनियों से उत्पाद या सेवाओं से सम्बन्धित जानकारी, उनको क्रय करने की सुविधा मिल रही है। इस विधि से समय, श्रम और धन सभी की बचत हो रही है। भारत में ई-कॉमर्स से बिजनेस का चलन बहुत तेजी से बढ़ रहा है।

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साइबर कैफे (Cyber Cafe)

साइबर कैफे से आशय एक ऐसा स्थान जहाँ पर बहुत सारे कम्प्यूटर इण्टरनेट के साथ लोगों के लिए उपलब्ध हों। कोई भी अपनी सुविधा अनुसार साइबर कैफे में प्रति घण्टे भुगतान करके इस सुविधा का लाभ ले सकता है। शहरों में साइबर कैफे का चलन बहुत तेजी के साथ बढ़ा है।

साइबर कैफे में वेबसाइट सर्फिंग करके मनचाही जानकारी अथवा सूचनाएँ एकत्रित की जा सकती हैं। इसका प्रिन्टआउट ले सकते हैं अथवा प्रोग्राम या फाइल को फ्लॉपी या USB में डाउनलोड करा सकते हैं। जिन लोगों के पास अपना कम्प्यूटर या लैपटॉप नहीं है उन लोगों के लिए साइबर कैफे एक उत्तम विकल्प है। कुछ कैफे आपको लाइब्रेरी की सुविधा भी प्रदान करते हैं। आजकल साइबर कैफे में कॉफी, स्नैक्स भी उपलब्ध होने लगा है।

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