Management Accounting Standard Costing Material & labour Variance
Management Accounting Standard Costing Material & labour Variance:-
प्रमाप या मानक का अर्थ (Meaning of Standard)
प्रमाप लागत विधि के सन्दर्भ में ‘प्रमाप‘ (Standard) का अर्थ (Standard) का अर्थ निश्चित परिस्थितियों में निर्धारित गुण, स्तर एवं तकनीकी विशेषताओं वाले उत्पाद में सामान्य रूप से लगने वाला सामना एवं लागत के अन्य तत्वों की मापनीय मात्रा (measurable quantity) से होता है। प्रमाप का पर्यायवाची शब्द मानक है।
प्रमापों के प्रकार (Types of Standards)
1. आधारभूत प्रमाप (Basic Standard): आधारभूत प्रमाप को प्रारम्भिक प्रमाप (Initial Standard), स्थिर प्रमाप (Static Standard or Fixed Standard) अथवा मौलिक प्रमाप (Original Standard) भी कहा जाता है। यह प्रमाप किसी आधार वर्ष के समंकों अथवा किसी एक वर्ष की सर्वोत्तम परिस्थितियों को आधार मानकर निर्धारित किये जाते हैं।
2. आदर्श प्रमाप (Ideal Standard): आदर्श प्रमाप को अधिक कुशलता का प्रमाप (Standard of More efficiency) अथवा सैद्धान्तिक माप के नाम से भी जाना जाता है। आदर्श प्रमाप कार्यदशाओं की अनुकूलतम परिस्थितियों एवं श्रेष्ठतम कार्यक्षमता पर आधारित होता है। यह माना जाता है कि सामग्री में अपव्यय न्यूनतम होगा और न्यूनतम कीमत होगी। श्रमिक अपनी पूरी क्षमता से कार्य करेंगे और उपरिव्यय भी अधिकतम कार्यकुशलता के आधार पर होंगे।
3. अपेक्षित प्रमाप (Expected Standard): इन्हें प्राप्य प्रमाप (Attainable Standard) अथवा व्यावहारिक प्रमाप (Practical Standard) भी कहा जाता है। अपेक्षित प्रमाप से आशय ऐसे प्रमापों से है जो सम्भावित/अपेक्षित परिस्थितियों पर आधारित होते हैं एवं जिन्हें भविष्य की निश्चित बजट अवधि में प्राप्त किया जा सकता है। अपेक्षित प्रमाप की एक महत्वपूर्ण सीमा यह है कि यह अल्पकालिक होते हैं और बदलती हुई परिस्थितियों एवं सम्भावनाओं में इनमें भी संशोधन करने होते हैं।
4. सामान्य प्रमाप (Normal Standard): औसत स्तर के आधार पर मौसमी तथा चक्रीय परिस्थितियों (Seasonal and Cyclical Conditions) को ध्यान में रखकर निर्धारित किया गया प्रमाप, सामान्य प्रमाप कहलाता है। इस प्रमाप का स्तर न तो बहुत ऊंचा होता है और न बहुत नीचा होता है। .
प्रमाप लागत का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Standard Cost)
प्रमाप लागत (Standard Cost)-प्रमाप लागत पूर्व निर्धारित लागतें हैं जिनकी गणना, कार्य की निर्दिष्ट परिस्थितियों के अन्तर्गत उत्पादन हेतु प्रयोग में लाई जाने वाली सामग्री, श्रम तथा अन्य उपरिव्ययों के कुशल संचालन को ध्यान में रखते हुए की जाती है अर्थात् प्रमाप लागतें यह दर्शाती हैं कि दी हुई परिस्थितियों में किसी उत्पादन अथवा सेवा की क्या लागत होनी चाहिए।
डिके (Dickey) के अनुसार, “प्रमाप लागतें उत्पादों, उत्पादों के अंग-प्रक्रियाओं अथवा परिचालनों की वैज्ञानिक आधार पर पूर्व निर्धारित लागते हैं।”
डॉब्सन (Dobson) के अनुसार, “प्रमाप लागत पूर्व निर्धारित लागत है जिसका निर्धारण लागत को प्रभावित करने वाले सभी घटकों के विशेष विवरण के आधार पर किया जाता है।”
ब्राउन एवं हॉवर्ड के अनुसार, “प्रमाप लागत एक पूर्व निर्धारित लागत है, जो यह निर्धारित करती ह कि दी हुई परिस्थितियों में प्रत्येक उत्पाद या सेवा की लागत क्या होनी चाहिए।”
स्पष्ट है कि प्रमाप लागत हमेशा दी हुई परिस्थितियों पर आधारित होती है। यदि इन परिस्थितियों में परिवर्तन हो जाता है. तो प्रमाप लागत में भी परिवर्तन हो जाता है। प्रमाप लागतों के द्वारा लागत नियन्त्रण एव कुशलता मापन का उद्देश्य प्राप्त किया जाता है।
प्रमाप लागत विधि (Standard Costing)
प्रमाप लागत विधि को अनेक नामों से जाना जाता है जैसे प्रमाप परिव्ययन, मानक लागत विधि, मानक परिव्ययांकन आदि। प्रमाप लागत–विधि प्रस्तुतः लागत लेखे रखने की कोई अलग विधि नहीं है वरन् यह लागतों पर नियन्त्रण स्थापित करने की एक तकनीक है जिसके अन्तर्गत पूर्व निर्धारित लागतो वास्तविक लागतों की तुलना करके विचरणों या अन्तरों का कारणवार विश्लेषण करके उनकी सन” प्रबन्ध–तन्त्र को दे दी जाती है ताकि वे सुधारात्मक तथा प्रतिरोधात्मक उपाय कर सकें। –
प्रमाप लागत-विधि के उद्देश्य (Objects of Standard Costing)
(1) उत्पाद व सेवा की लागत के प्रत्येक तत्व का नियन्त्रण रखना।
(2) विचरणों के लिए उत्तरदायी विभाग या व्यक्तियों के उत्तरदायित्व का निर्धारण करना।
(3) उत्पादन के साधनों की कुशलता एवं उत्पादकता में वृद्धि करना।
(4) बजटरी नियन्त्रण को अधिक प्रभावी बनाना।
(5) प्रबन्ध के प्रत्येक स्तर पर आगे देखने की प्रभावपूर्ण मानसिक दृष्टि का विकास करना।
प्रमाप लागत-विधि के मूल तत्व या विशेषताएँ (Characteristics or Salient Features of Standard Costing)
1. प्रमाप लागत विधि लागत नियन्त्रण की एक तकनीक है।
2. सामग्री, श्रम तथा उपरिव्ययों के आधार पर प्रमाप लागत का निर्धारण किया जाता हैं।
3. वास्तविक लागत की तुलना प्रमाप लागत से की जाती है।
4. उक्त दोनों लागतों की तुलना करके विचरण ज्ञात किये जाते है तथा विचरण के कारणों का पता लगाया जाता है।
5. विचरण के अन्तरके कारणों की सूचना प्रबन्ध को दी जाती है ताकि प्रबन्ध आवश्यक सुधारात्मक कार्यवाही कर सके।
6. भविष्य में वास्तविक लागत को प्रमाप लागत के समतुल्य रखने के लिए नियन्त्रण योग्य विचरणों के लिए सुधारात्मक उपाय ढूँढ़े जाते हैं तथा गैर–नियन्त्रण योग्य विचरणों की दशा में भावी प्रमापों में आवश्यक संशोधन किया जाता है। .
प्रमाप लागत-विधि का उपयोग (Application of Standard Costing)
प्रमाप लागत विधि का उपयोग ऐसे सभी उद्योगों में किया जा सकता है जहाँ उत्पादन की विधि एवं वस्तुओं की प्रकृति एक जैसी हो तथा प्रमापित वस्तुओं का निरन्तर उत्पादन होता रहता है। वस्तुत: इस विधि को प्रक्रिया लागत–विधि (Process Costing) में प्रयोग किया जाता है। इसके विपरीत, ऐसे उद्योग जहाँ उत्पादित की जाने वाली वस्तु का स्वरूप, गुण, आकार–प्रकार, आदि बदलते रहते हैं, जैसे–उपकार्य (Jobwork) या ठेके के कार्य में इस विधि का प्रयोग नहीं किया जा सकता।
प्रमाप लागत विधि तथा बजटरी नियन्त्रण में समानताएँ (Similarities between Standard Costing and Budgetary Control)
1. प्रमाप लागत विधि तथा बजटरी नियन्त्रण पद्धतियाँ अग्रदर्शी (Forward looking) तथा अन्तर्सम्बन्धित हैं।
2. दोनों पद्धतियों का उद्देश्य प्रबन्धकीय नियन्त्रण को प्रभावशाली बनाना है।
3. दोनों पद्धतियों की यह मान्यता है कि लागत को नियन्त्रण में रखने के लिए पर्यवेक्षण और उत्तरदायित्व निर्धारण की उचित व्यवस्था अत्यन्त आवश्यक है।
4. दोनों पद्धतियों में पूर्व निर्धारित लक्ष्यों की वास्तविक क्रियाकलाप से तलना की जाती है इनका विश्लेषण करके परिणामों की सूचना प्रबन्ध को दी जाती है।
5. दोनों पद्धतियों में पूर्व निर्धारित तथा वास्तविक कार्य निष्पादन में आने वाले अन्तरों के समाधान हेतु प्रबन्ध द्वारा सुधारात्मक कदम उठाये जाते हैं।
बजटरी नियन्त्रण एवं प्रमाप लागत-विधि में अन्तर
(1) बजट का निर्माण, संस्था की सभी व्यापारिक क्रियाओं के लिए किया जाता है जबकि प्र लागत–विधि का प्रयोग उत्पादन, विक्रय एव वितरण लागतों तक ही सीमित कार बजट नियन्त्रण विधि का क्षेत्र प्रमाप लागत–विधि की तुलना में अधिक व्याप ”
(2) बजट में सम्भावित या अनुमानित लागतें होती हैं जबकि प्रमाप लागत–विधि में ‘लागतें का वास्तविक लागतों में भविष्य में होने वाले होगी‘ के स्थान पर ‘लागतें क्या होनी चाहिए‘ पर अधिक ध्यान दिया जाता है। ..
(3) बजटरीय नियन्त्रण में बजट गत अवधि की वास्तविक लागतो म परिवर्तनों के अनुसार समायोजन करके बनाये जाते हैं जबकि प्रमाप लागत–विधि में लागता का संचार निधि में लागतों का निर्धारण बजानिक तथा तकनीकी आधार पर किया जाता है।
(4) बजटरी नियन्त्रण विधि में लक्ष्यों एवं वास्तविक परिणामों की तलना लेखाकन पुस्ता बाहर की जाती है जबकि प्रमाप लागत–विधि के अन्तर्गत विचरणों को लेखांकन पुस्तकों के अन्दर हा जात किया जाता है क्योकि प्रमाप लागत–विधि को लेखांकन प्रणाली में सम्मिलित करके ही लागू किया जा सकता है।
(5) बजट में आय एवं व्यय दोनों को शामिल किया जाता है जबकि प्रमाप लागत–विधि में केवल व्ययों को ही शामिल करते हैं।
(6) बजट में किसी मद विशेष पर व्यय को योग रूप में दिखाया जाता है जबकि प्रमाप लागत–विधि के अन्तर्गत प्रमाप लागत प्रति इकाई के रूप में दर्शायी जाती है।
(7) बजटरी नियन्त्रण का प्रयोग प्रमाप लागत–विधि के अभाव में भी किया जा सकता है परन्तु प्रमाप लागत–विधि के लिए बजटरी नियन्त्रण को अपनाना आवश्यक है।
(8) बजटरी नियन्त्रण–विधि को आंशिक रूप से भी लागू किया जा सकता है अर्थात् कुछ प्रमुख बजट ही तैयार किये जायें जबकि प्रमाप लागत–विधि को आंशिक रूप से क्रियान्वित करना सम्भव नहीं
(9) बजटरी नियन्त्रण, वित्तीय लेखों का प्रक्षेपण (Projection) है जबकि प्रमाप लागत–विधि, लागत लेखों का प्रक्षेपण है।
(10) बजट में लागतों के ऐसे स्तर तय किये जाते हैं जिनसे अधिक लागतें नहीं जानी चाहिए जबकि प्रमाप लागत–विधि उन स्तरों पर जोर देती है जहाँ तक लागतों को कम कर सकते हैं।
विचरण (Variance) विचरण का अर्थ प्रमाप लागत एवं वास्तविक लागत के बीच पाये जाने वाले अन्तर से है।
विचरणों का वर्गीकरण (Classification of Variances)
(1) लागत विचरण (Cost Variance)-लागत विचरण से आशय लागत के विभिन्न तत्वों के प्रमापित स्तर और वास्तविक निष्पादन के अन्तर से है।
(2) विक्रय विचरण (Sales Variance)-विक्रय विचरण से आशय किसी बजट अवधि में विक्रय के बजट स्तर और वास्तविक निष्पादन में आने वाले अन्तरों से है।।
(3) अनुकूल विचरण (Favourable Variance)-जब प्रमाप लागत से वास्तविक लागत कम होती है एवं प्रमाप उत्पादन (Standard Yield) से वास्तविक उत्पादन (Actual Yield) अधिक होता है तो ऐसे विचरण (अन्तर) को अनुकूल विचरण कहते हैं। (+) में उत्तर आने पर अनुकूल विचरण माना जाता है।
(4) प्रतिकूल विचरण (Unfavourable or Adverse Variance)— जब प्रमाप लागत से वास्तविक लागत अधिक हो जाती है एवं प्रमाप उत्पादन से वास्तविक उत्पादन कम होता है तो इसे प्रतिकूल विचरण या ऋणात्मक विचरण कहते हैं। यह विचरण उद्योग के हित में नहीं होता है। (–) में उत्तर आने पर प्रतिकूल विचरण माना जाता है।
(5) निरपेक्ष विचरण (Absolute Variances)—प्रमाप लागत एवं वास्तविक लागत की मौद्रिक शाश के आधार पर ज्ञात किये गये विचरण को निरपेक्ष विचरण कहा जाता है। सरल शब्दों में, जब विचरण को मौद्रिक राशि में/मुद्रा के रूप में व्यक्त किया जाता है ता ऐसे निरपेक्ष विचरण कहते हैं।
(6) सापेक्ष विचरण (Relative Variance)- जब विचरण को प्रमाप लागत के प्रतिशत के रूप म व्यक्त किया जाता है तो उसे सापेक्ष विचरण कहते हैं।
(7) नियन्त्रणीय विचरण (Controllable Variance)-जिन विचरणों पर प्रबन्धक नियन्त्रण कर सकते हैं अर्थात् जिन विचरणों को नियन्त्रित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जा सकते हैं, उन्हें
नियन्त्रणीय विचरण कहते हैं।
(8) अनियन्त्रणीय विचरण (Uncontrollable Variances)— जिन विचरणों पर प्रबन्धकों का ‘ण नहीं होता और जिनके लिए किसी व्यक्ति विशेष या विभाग विशेष को उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता है जैसे बाजार में आयात शल्कों में वद्धि या उत्पादन शल्क में वृद्धि आदि से सामग्री के मूल्य में वृद्धि, पंचनिर्णय के कारण मजदूरी दरों में वृद्धि आदि। इन विचरणों को दूर करने के लिए प्रमापों को ही संशोधित करना पड़ता है।
सामग्री विचरण (Material Variances)
किसी वस्तु के उत्पादन हेतु उपभोग्य सामग्री के वास्तविक व्ययों और पूर्व निर्धारित प्रमापित व्ययों के बीच अन्तर स्पष्ट करने के लिए सामग्री विचरणों की गणना की जाती है। कुछ वस्तुएँ ऐसी होती हैं जिनके उत्पादन में एक ही प्रकार की सामग्री प्रयोग की जाती है; जैसे–सरसों के तेल का उत्पादन, जबकि कुछ वस्तुएँ ऐसी होती हैं जिनके उत्पादन में कई प्रकार की सामग्री प्रयोग की जाती है; जैसे–टेरीवल वस्त्र, वनस्पति घी, आदि का उत्पादन। अतः सामग्री विचरणों का अध्ययन दो भागों में किया जा सकता
(1) जब उत्पादन प्रक्रिया में एक ही प्रकार की सामग्री प्रयोग की जाती हो।
(2) जब उत्पादन प्रक्रिया में कई प्रकार की सामग्री प्रयोग की जाती हो।
सामग्री विचरण के सूत्रों में प्रयोग किये जाने वाले संक्षिप्त शब्दों की व्याख्या
SQ = Standard Qty. = 4419 H1511
AQ = Actual Qly. = arcifarah HTET SP = Standard Price = प्रमाप मूल्य
AP = Actual Price = वास्तविक मूल्य SY = Standard Yield = प्रमाप उत्पत्ति
RSQ = Revised Standard Qty. = संशोधित प्रमाप मात्रा
SC . = Standard Cost = प्रमाप लागत
AC = Actual Cost = वास्तविक लागत
M.C.V. = Material Cost Variance = सामग्री लागत विचरण
M.P.V. = Material Price Variance = सामग्री मूल्य विचरण
M.U.V. = Material Usage Variance = सामग्री उपयोग विचरण
M.M.V = Material Mix Variance = सामग्री मिश्रण विचरण
M.S.U.V= Material Sub–Usage Variance = सामग्री उप–उपयोग विचरण
M.Y.V. = Material Yield Variance = सामग्री उत्पत्ति विचरण
(1) जब एक ही प्रकार की सामग्री का प्रयोग होता हो:
(1) Material Cost Variance or MCV = (SQx SP) – (AQX AP)
(2) Material Price Variance or MPV = AQ(SP – AP)
(3) Material Usage Variance or MUV = SP(SQ–AQ)
(4) MYV = SC per unit (AY–SY) (II) जब दो या अधिक प्रकार की सामग्री का प्रयोग होता है:
(A) जब SQ तथा AQ का योग समान हो ।
MCV = SC – AC
MPV = AQ (SP – AP) Material Mix Variance or MMV = SP (SQ–AQ)
(B) जब SQ तथा AQ का योग समान न होः
MCV (SC–AC).
MPV (AQ (SP–AP)]
MUV (SP (SQ–AQ)]
MRUV or MSUV SP (SQ – RSQ)
MMV SP (RSQ–AQ)
Al Chapter of management accounting
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