Management Accounting Cash Flow Analysis Notes

Management Accounting Cash Flow Analysis Notes

 

रोकड़ प्रवाह विश्लेषण  (Cash Flow Analysis)

रोकड़-प्रवाह विवरण का आशय रोकड़ प्रवाह विवरण एक निश्चित अवधि में रोकड़ के प्रवाह को दर्शाने वाला विवरण है। ‘रोकड़ का आशय ‘रोकड़ तथा रोकड़ तुल्य’ (Cash Equivalents) से है, जबकि ‘प्रवाह’ का आशय रोकड की प्राप्ति एवं प्रयोग से है। इस प्रकार रोकड़ प्रवाह विवरण को रोकड़ की प्राप्ति एवं भुगतान के ऐसे सारांश के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो एक निश्चित लेखांकन अवधि में किसी उपक्रम में चिढे एवं लाभ-हानि खाते की सूचनाओं के आधार पर रोकड़ की प्राप्ति और प्रयोग को दर्शाता है तथा 

रोकड़ के प्रारम्भिक और अन्तिम शेष के बीच मिलान करता है। संक्षेप में, रोकड़ प्रवाह विवरण किरी पक्रम की रोकड़ की स्थिति में परिवर्तन के कारणों को स्पष्ट करता है। जिन व्यवहारों से रोकड़ स्थिर में वृद्धि होती है उन्हें रोकड अन्तर्वाह (Cash Flow) माना जाता है और जिन व्यवहारों से रोकट में मी आती है उन्हें रोकड बहिर्वाह (Cash Onflow) कहा जाता है। रोकड़ प्रवाह विवरण में केवल उन्हीं मदों को सम्मिलित किया जाता है जो रोकड़ को प्रभावित करती हैं। . स्टाट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट्स ऑफ इण्डिया ने रोकड़ प्रवाह विवरण बनाने के लेखांकन प्रमाप-3 संशोधित (Accounting Standard 3 Revised) जारी किया है। यह लेखांकन प्रमाण कुछ विशेष संस्थाओं के लिए। अप्रैल 2001 को अथवा इसके बाद प्रारम्भ होने वाली लेखांकन अवधियों के लिए अनिवार्य (Mandatory) कर दिया गया है। ये संस्थाएँ निम्नलिखित हैं 

(i) वह संस्थाएँ जिनकी समता अथवा ऋण प्रतिभूतियाँ भारत के किसी मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध (Listed) हैं एवं वह संस्थाएँ जो समता अथवा ऋण प्रतिभूतियाँ निर्गमित करने की प्रक्रिया में लगी हैं जो कि भारत के किसी मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध की जाएंगी।

(ii) ऐसी सभी व्यापारिक, औद्योगिक तथा व्यावसायिक संस्थाएँ जिनकी लेखांकन अवधि के लिए बिक्री 50 करोड़ ₹ से अधिक है। 

रोकड़ प्रवाह विवरण तैयार करने में लेखांकन मानक-3 के सन्दर्भ में कुछ अन्य स्पष्टीकरण निम्न प्रकार है 

(1) रोकड़ (Cash)-रोकड़ का आशय हाथ में रोकड़ तथा बैंकों में मांग जमाओं (Demand Deposits) से है। 

(2) रोकड़ तुल्य (Cash Equivalents)-रोकड़ तुल्य का आशय ऐसे अल्पकालीन अधिकाधिक तरल विनियोगों से है जो तुरन्त रोकड़ की ज्ञात निश्चित राशि में बदले जा सकते हैं तथा जिसके मूल्यों में परिवर्तन की जोखिम नाममात्र की होती है। 

(3) रोकड़ प्रवाह (Cash flows) रोकड़ प्रवाह का आशय रोकड़ एवं रोकड़ तुल्य के अन्तर्वाह (Inflow) एवं बहिर्वाह (Outflow) से होता है। 

रोकड़ प्रवाह विवरण के उद्देश्य/उपयोग/लाभ या महत्त्व-1. रोकड़ स्थिति का विश्लेषण, 2. अल्पकालीन रोकड़ नियोजन एवं प्रबन्ध के लिए उपयोगी, 3. विभिन्न क्रियाओं से अलग-अलग रोकड़ प्रवाह ज्ञात करने में सहायक, 4. रोकड़ प्रवाह के भावी अनुमानों में सहायक, 5. परिचालन परिणामों की तुलना, 6. लाभांश सम्बन्धी निर्णय लेने में सहायक, 7. नीतियों के निर्धारण में सहायक एवं 8. बाह्य पक्षों के लिए उपयोगी। 

रोकड़ प्रवाह विवरण की सीमाएँ-1. तरलता का माप करने के लिए उपयुक्त नहीं, 2. रोकड़ स्थिति में ऊपरी दिखावट की अधिक सम्भावना, 3. गैर-नकदी व्यवहारों की अवहेलना. 4. लेखांकन के उपार्जन आधार की अवहेलना, 5. आय विवरण का स्थानापन्न नहीं एवं 6. ऐतिहासिक प्रकृति। 

रोकड़ प्रवाहों का वर्गीकरण 
(Classification of Cash Flows) ‘

संशोधित लेखांकन प्रमाप-3 (Revised AS3) के अनुसार रोकड़ प्रवाहों को निम्नलिखित तीन क्रियाओं में वर्गीकृत किया गया है-1. परिचालन क्रियाओं से रोकड़ प्रवाह, 2. विनियोजन क्रियाओं से रोकड प्रवाह एवं 3.वित्तीयन क्रियाओं से रोकड़ प्रवा। इन तीनों क्रियाओं का वर्णन निम्नलिखित है 

1. परिचालन क्रियाओं से रोकड़ प्रवाह .(Cash Flows fromOperating Activities) –संचालन सम्बन्धी क्रियाओं से आशय माल र सेवाओं के क्रय-विक्रय से सम्बन्धित सामान्य व्यावसायिक व्यवहारों से है अर्थात् परिचालन सम्बन्धी क्रियाओं से आशय उन क्रियाओं से जो कि व्यवसाय की प्रमुख आगम/आय उत्पन्न करने वाली क्रियाएँ हैं। अत: इनमें उन व्यवहारों और घटनाओं को शामिल किया जाता है जिनके कारण उत्पन्न हुए रोकड़ प्रवाहों को व्यवसाय के शट नादानि के निर्धारण में शामिल किया जाता है। परिचालन क्रियाओं से सम्बन्धित रोकड प्रवाद दाहरण निम्न प्रकार हैं 

(i) माल के विक्रय और सेवाएं प्रदान करने से रोकड़ प्राप्तियाँ, (ii) अधिकार शक फीस, कमीशन से रोकड़ प्राप्तियों और अन्य आयगत नकद प्राप्तियाँ, (iii) माल और सेवाओं के पर्तिकर्ताओं को नकद भुगतान, (iv) कर्मचारियों को या उनकी र से रोकड़ भुगतान, (v) बीमा कम्पनी को प्रीमियम और दावे, वार्षिकियों और अन्य पॉलिसी लाभों के लिए रोकड़ प्राप्तियाँ और रोकड़ भुगतान, (vi) आय-कर का भुगतान और वापसियाँ जब तक कि इन्हें वित्तीयन और विनियोजन क्रियाओं के रूप में न मान लिया जाए। 

परिचालन क्रियाओं से रोकड़ प्रवाह ज्ञात करना- संशोधित लेखांकन प्रमाप-3 के अनुसार परिचालन सम्बन्धी क्रियाओं से शुद्ध रोकड़ प्रवाह ज्ञात करने की दो विधियाँ हैं-(अ) प्रत्यक्ष विाध Direct Method), (ब) अप्रत्यक्ष विधि (Indirect Method)

(अ) प्रत्यक्ष विधि (Direct Method)-इस विधि के अन्तर्गत परिचालन क्रियाओं से प्राप्त रोकड प्राप्तियों जैसे नकद बिक्री और देनदारों से प्राप्त रोकड़ आदि एवं परिचालन क्रियाओं हेतु रोकड़ भगतानों जैसे माल का नकद क्रय, माल एवं सेवाओं हेतु लेनदारों को भुगतान, कर्मचारियों को उनकी सेवाओं हेतु मजदूरी व वेतन का भुगतान, अन्य परिचालन/संचालन व्ययों का भुगतान एवं करों हेतु भगतान आदि को प्रदर्शित किया जाता है। रोकड़ प्राप्तियों एवं रोकड़ भुगतानों के मध्य का अन्तर परिचालन क्रियाओं से शुद्ध रोकड़ प्रवाह कहलाता है। यह ध्यान रखने योग्य है कि इस विधि के अन्तर्गत केवल रोकड़ संचालन व्ययों पर ही विचार किया जाता है, गैर-रोकड़ व्ययों की मदों जैसे ह्रास, ख्याति का अपलेखन, प्रारम्भिक व्यय का पलेखन, ऋणपत्रों एवं अंशों के निर्गमन पर छूट क चार नहीं किया जाता। इसी प्रकार गैर-परिचालन मदों (स्थायी सम्पत्ति अथवा विनियोगों के विक्रय पर लाभ या हानि) को भी ध्यान में नहीं रखा जाता है। 

(ब) अप्रत्यक्ष विधि (Indirect Method)-इस विधि में शद्ध लाभ (कर तथा असामान्य मदों से पर्व) को आधार बनाकर परिचालन क्रियाओं से शुद्ध रोकड़ प्रवाह की गणना की जाती है। इस विधि के अन्तर्गत शुद्ध लाभ में गैर-रोकड़ (Non cash) तथा गैर-परिचालन (Non operating) मदों का निम्न प्रकार समायोजन किया जाता है 

1. लाभ-हानि खाते के डेबिट पक्ष में लिखी हुई गैर-रोकड़ मदों और गैर परिचालन मदों जैसे हास, ख्याति का अपलेखन, प्रारम्भिक व्यय का अपलेखन, कोषों का हस्तान्तरण, लाभांश का भुगतान, स्थायी सम्पत्तियों की बिक्री पर हानि, विनियोग पर हानि आदि की राशि को जोड़ा जाता है। 

2. लाभ-हानि खाते के क्रेडिट पक्ष में लिखी हुई गैर-रोकड़ तथा गैर परिचालन मदों जैसे-विनियोग या स्थायी सम्पत्तियों की बिक्री पर लाभ, विनियोग पर लाभांश आदि की राशि को घटाया जाता है।

3. चालू सम्पत्तियों में कमी और चालू दायित्वों में वृद्धि की राशि को जोड़ा जाता है।

4. चालू सम्पत्तियों में वृद्धि और चालू दायित्वों में कमी की राशि को घटाया जाता है

5. कर के रूप में चुकाई गई राशि को घटा देते हैं।  

 

नोट-यह उल्लेखनीय है कि प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों ही रीतियों से उत्तर की राशि समान ही होगी। यह प्रश्न में दी गई सूचनाओं पर निर्भर करेगा कि किस रीति का प्रयोग किया जाए। 

= 3,20,000 – (80,000 – 60,000) = 3,00,000 ₹ 2. विनियोजन क्रियाओं से रोकड़ प्रवाह (Cash Flows from Investing Activities) -विनियोग सम्बन्धी क्रियाओं में ऐसी दीर्घकालीन सम्पत्तियों (जैसे कि भूमि, भवन, संयन्त्र और मशीनरी आदि) के क्रय और विक्रय के व्यवहार आते हैं, जिन्हें पुन: विक्रय के लिए नहीं रखा जाता है। इन क्रियाओं में ऐसे विनियोगों के क्रय-विक्रय भी सम्मिलित किए जाते हैं जिन्हें रोकड़ तुल्यों में सम्मिलित नहीं किया गया है। विनियोग सम्बन्धी रोकड़ प्रवाहों से इस बात का पता लगता है कि भावी आय और रोकड़ प्रवाह उत्पन्न करने के लिए संसाधनों (Resources) पर कितनी राशि व्यय की गई। विनियोग सम्बन्धी क्रियाओं से उत्पन्न होने वाले रोकड़ प्रवाहों के उदाहरण निम्नलिखित हैं 

(i) अमूर्त सम्पत्तियों जैसे ख्याति, पेटेन्ट्स एवं कॉपीराइट्स सहित स्थिर सम्पत्तियों को प्राप्त करने हेत रोकड़ भुगतान। पूँजीगत शोध एवं विकास लागतें और स्व-निर्मित स्थिर सम्पत्तियों हेतु किया गया भुगतान भी सम्मिलित है। 

। अमर्त सम्पत्तियों सहित सभी स्थिर सम्पत्तियों के विक्रय से रोकड़ प्राप्तियाँ। 

(iii) अन्य उपक्रमों के अंशों, वारंटों अथवा ऋण-प्रपत्रों एवं संयुक्त साहसों में हितों की प्राप्ति के लिये रोकड़ भुगतान अथवा विक्रय से रोकड़ प्राप्तियाँ। 

– (iv) एक वित्तीय उपक्रम के अतिरिक्त अन्य किसी उपक्रम द्वारा तृतीय पक्षों को दिये गये रोकड़ अग्रिम और ऋण। 

(v) एक वित्तीय उपक्रम के अतिरिक्त अन्य किसी उपक्रम द्वारा तृतीय पक्षों को दिये गये अग्रिमों और ऋणों की वापसी से रोकड़ प्राप्तियाँ। 

(vi) वित्तीयन क्रियाओं के रूप में व्यवहार अथवा व्यापारिक अनुबन्धों के अतिरिक्त भावी अनुबधों Future Contracts), आगे के अनुबन्धों (Forward Contracts), विकल्प अनुबन्धों (Option Contracts) और बदले के अनुबन्धों (Swap Contracts) से रोकड़ प्राप्तियाँ एवं उनके लिये रोकड भगताना 

वित्तीयन क्रियाओं से रोकड़ प्रवाह (Cash Flows from Financing Activities)-वित्तीय याओं से आशय उन क्रियाओं से है जिनके परिणामस्वरूप संस्था की पँजी (कम्पनी की दशा में समता पूर्वाधिकार अंश साम्मलित करते हुए) और दीर्घकालीन ऋणों (ऋण पत्रों को मलित करते हुए) में परिवर्तन आता है। लाभांश का भुगतान सभी उपक्रमों के लिए तथा ब्याज का जात गैर-वित्तीय उपक्रमों के लिए वित्तीयन क्रियाओं के अन्तर्गत ही शामिल किया जाता है। 3 संशोधित लेखांकन प्रमाप-3 के अन्तर्गत वित्तीयन क्रियाओं से रोकड़ प्रवाह के निम्नलिखित उदाहरण दिये गये हैं 

अंशों या इसी प्रकार के प्रलेखों के निर्गमन से रोकड़ प्राप्तियाँ, ऋणपत्रों के निर्गमन, ऋणों, नोटों, बॉण्डों औअन्य अल्पकालीन या दीर्घकालीन उधारों से 

रोकड़ प्राप्तियाँ। 

(i) उधार रकमों का रोकड़ भुगतान अर्थात् पूर्वाधिकार अंशों, ऋणपत्रों, बॉण्डस आदि का शोधन। 

ब्याज एवं लाभांश (Interest and Dividend)-ब्याज एवं लाभांश की प्राप्ति एवं भुगतान के मानन्ध में लेखांकन मानक-3 में निम्नलिखित स्पष्टीकरण दिए गए हैं 

वित्तीय उपक्रमों की दशा में ब्याज के भुगतान तथा ब्याज एवं लाभांश की प्राप्ति को परिचालन क्रियाओं से रोकड़ प्रवाह में प्रदर्शित करना चाहिए। 

(ii) अन्य उपक्रमों की दशा में (अ) ब्याज के भुगतान को वित्तीय क्रियाओं से रोकड़ प्रवाह में तथा ब्याज एवं लाभांश की प्राप्ति को विनियोजन क्रियाओं से रोकड़ प्रवाह में प्रदर्शित करना चाहिए। 

रोकड़ प्रवाहों से सम्बन्धित तीनों क्रियाओं का सारांश 

1. परिचालन क्रियाएँ । (Operating Activities) 

रोकड़ अन्तर्वाह (Cash Inflow) रोकड़ बहिर्वाह (Cash Outflow) 

(i) नकद बिक्री 

(i) नकद क्रय (ii) देनदारों से प्राप्ति 

(ii) लेनदारों को भुगतान (iii) कमीशन एवं फीस से प्राप्त 

(iii) नकद परिचालन व्यय (iv) अधिकार शुल्क की प्राप्ति 

(iv) आयकर का भुगतान

2. विनियोजन क्रियाएँ (Investing Activities) 

रोकड़ अन्तर्वाह (Cash Inflow) रोकड़ बहिर्वाह (Cash Outflow) (i) स्थायी सम्पत्तियों का नकद विक्रय (i) स्थायी सम्पत्तियों का नकद क्रय (ii) विनियोगों का विक्रय 

(ii) विनियोगों का क्रय (iii) प्राप्त ब्याज (iv) लाभांश की प्राप्ति 

3. वित्तीयन क्रियाएँ (Financing Activities) 

रोकड़ अन्तर्वाह (Cash Inflow) रोकड़ बहिर्वाह (Cash Outflow) (i) अंशों/ऋणपत्रों के निर्गमन से प्राप्त रोकड़ (i) ऋणों का भुगतान (ii) दीर्घकालीन ऋणों से प्राप्ति 

(ii) अधिमान/पूर्वाधिकार अंशों का शोधन 

(iii) लाभांश/ब्याज का भुगतान रोकड़ प्रवाह कब होगा? (When does the Flow of Cash arise?)-रोकड़ प्रवाह तब होगा जब किसी व्यवहार (transaction) से रोकड़ या रोकड़ तुल्य (Cash or Cash equivalents) में वृद्धि 

की होगी। यह वृद्धि या कमी निम्नलिखित दो स्थितियों में सम्भव है 

यदि व्यवहार (लेन-देन) चालू खाते (Current Account) तथा रोकड़ या रोकड़ तुल्य को प्रभावित करता है। 

2. यदि व्यबहार गैर-चालू खाते (Non current Account) तथा रोकड़ या रोकड़ तुल्य हो प्रभावित करता है। 

 

रोकड़ प्रवाह विवरण को तैयार करने की प्रक्रिया 

(Preparation of Cash Flow Statement)

 

रोकड़ प्रवाह विवरण को प्रत्यक्ष विधि (Direct Method) अथवा अप्रत्यक्ष विधि (Indirect Method) से तैयार किया जा सकता है। रोकड़ प्रवाह विवरण को तैयार करने की निम्नलिखित प्रक्रिया अपनायी जाती है 

1.- सर्वप्रथम परिचालन, विनियोजन एवं वित्तीयन क्रियाओं के अलग-अलग शीर्षकों के अन्न सभी रोकड़ अन्तर्वाहों और बहिर्वाहों (Cash inflows and outflows) को प्रकट किया जाता है तथा प्रत्येक क्रिया द्वारा उपलब्ध या उपयोग किया गया शुद्ध रोकड़ प्रवाह दर्शाया जाता है।

2. परिचालन क्रियाओं, विनियोजन एवं वित्तीयन क्रियाओं से रोकड़ के प्रवाह का योग कीजिए। यह योग रोकड़ एवं रोकड़ तुल्य (Cash and Cash Equivalents) में हुई शुद्ध वृद्धि/कमी को दिखाया

3. उपरोक्त तीसरे चरण में प्रदर्शित तीनों क्रियाओं के योग में रोकड़ एवं रोकड़ तुल्य के प्रारम्भिक शेष की राशि को जोड़ देते हैं एवं इस राशि को जोड़न से प्राप्त धनराशि रोकड़ एवं रोकड़ तुल्य के प्रदत्त अन्तिम शेष के बराबर होगी । 


 

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