Securities Contract (Regulations) Act 1956 Notes

Securities Contract (Regulations) Act 1956 Notes

 

Securities Contract (Regulations) Act 1956 Notes: –

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Securities Contract (Regulations) Act 1956 Notes

प्रतिभूति अनुबंधन (नियम) अधिनियम, 1956 [Securities Contracts (Regulations) Act, 1956]

अर्थव्यवस्था के विकास में शेयर बाजार एक उल्लेखनीय भूमिका निभाता है। शेयर बाजार निवेशकों को छोटी बचतों से फण्ड जुटाने की सुविधा प्रदान करता है तथा अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों की विभिन्न विकास सम्बन्धी जरूरतों में इन संसाधनों को इनके माध्यम से जोड़ता है। शेयर बाजार प्रतिभूतियों के व्यापार के लिए एक तंत्र भी प्रदान करता है। इस प्रकार निवेशकों के निवेश के लिए तरलता सुनिश्चित करता है। इस प्रकार, शेयर बाज़ार प्रतिभूतियों में लेन-देन की सुविधा प्रदान करता है। (Securities Contract (Regulations) Act 1956 Notes)

प्रतिभूतियों में अवांछनीय लेन-देन को रोकने, स्वास्थ्य शेयर बाजार को बढ़ावा देने के काम में, संसद ने 1956 के अधिनियम सं०, 425 के द्वारा प्रतिभूति संविदा (विनियमन) अधिनियम, 1956 को अधिनियमित कर दिया गया था। यह अधिनियम सम्पूर्ण भारत पर लागू होता है।

परिभाषाएँ (Definitions)

इस अधिनियम में जब तक सन्दर्भ की अन्यथा अपेक्षा न हो –

(a) ‘संविदा’ का अर्थ प्रतिभूतियों के खरीदने या बेचने के लिए या इससे सम्बन्धित संविदा से होता है; (Securities Contract (Regulations) Act 1956 Notes)

(b) ‘निगमनीकरण’ का अर्थ व्यक्तियों के निकाय सा सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत सोसाइटी होकर, मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज के उत्तराधिकारी के रूप में, अन्य स्टॉक एक्सचेंज द्वारा ऐसे व्यक्तियों सा सोसाइटी द्वारा सम्पन्न प्रतिभूतियों की खरीद, बिक्री या सौदे के व्यवसाय को विनियमित या नियन्त्रित करके, मदद करने के उद्देश्य के लिए निगमित कम्पनी होता है;

(c) ‘डिम्यूचुअलाइजेशन’ का अर्थ भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड द्वारा अनुमोदित स्कीम के अनुसार मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज के सदस्यों के व्यापार करने के अधिकारों से स्वामित्व और प्रबन्धन का पृथक्करण करना है; (Securities Contract (Regulations) Act 1956 Notes)

(d) ‘सरकारी प्रतिभूति’ का अर्थ केन्द्र सरकार या राज्य सरकार द्वारा सार्वजनिक ऋण जुटाने के उद्देश्य के लिए इस अधिनियम के शुरू होने से पहले या बाद में बनायी गई एवं जारी की गयी तथा सार्वजनिक ऋण अधिनियम, 1944 (1944 का 18) की धारा 2 के खण्ड (2) में निर्दिष्ट रूपों में से एक की होने वाली प्रतिभूति से है;

(e) ‘माल’ का अर्थ कार्रवाई योग्य दावों, धनराशि तथा प्रतिभूतियों के अलावा प्रत्येक प्रकार की गतिशील सम्पत्ति होता है;

(f) ‘सदस्य’ का अर्थ मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज के सदस्य से है;

(g) ‘गैर-हस्तान्तरणीय विशिष्ट सुपुर्दगी अनुबन्ध’ का अर्थ एक विशिष्ट सुपुर्दगी अनुबन्ध अधिकार या दायित्वों से है जिसके तहत किसी सुपुर्दगी ऑर्डर के तहत, रेलवे, रसीद, लदान का बिल, गोदाम की रसीद या उससे सम्बन्धित अधिकार के कोई अन्य दस्तावेज हस्तान्तरणीय नहीं है। (Securities Contract (Regulations) Act 1956 Notes)

(h) ‘प्रतिभूतियों में विकल्प’ अर्थ खरीदने या बेचने के लिए खरीदने या बेचने के अनुबन्ध से है, इसके अलावा भविष्य में प्रतिभूतियों के खरीदने और बेचने के अधिकार से है तथा इसमें तेजी, मन्दी, पुट, कॉल या प्रतिभूतियों में पुट और कॉल को शामिल किया जाता है।

(i) ‘निर्धारित’ का अर्थ इस अधिनियम के तहत बनाए गए नियमों द्वारा निर्धारित से है।

(j) ‘मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज’ का अर्थ धारा 4 के तहत केन्द्र सरकार तथा “फिलहाल मान्यता दिए गए स्टॉक एक्सचेंज से है।

(k) ‘नियम’ सामान्यतः स्टॉक एक्सचेंज के संविधान और प्रबन्धन से सम्बन्धित नियमों के सन्दर्भ में होते हैं, इसमें स्टॉक एक्सचेंज के मामले में जोकि एक निगमित संघ है, इसका ज्ञापन तथा संस्था के अन्तर्नियम शामिल होते हैं। (Securities Contract (Regulations) Act 1956 Notes)

(l) ‘स्कीम’ का अर्थ मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज के निगमीकरण या डिम्यूचुअलाइजेशन के लिए स्कीम से है जो निम्नलिखित के लिए प्रदान की जा सकती है –

(i) कानूनी विचार के लिए शेयरों का मुद्दा तथा मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज के सदस्यों के सदस्यता कार्ड के बदले में व्यापार करने के अधिकारों का प्रावधान;

(ii) मतदान करने के अधिकारों पर प्रतिबन्ध; (Securities Contract (Regulations) Act 1956 Notes)

(iii) सम्पत्ति, व्यवसाय, परिसम्पत्ति, अधिकार, मान्यता, मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज के अनुबन्ध, मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज द्वारा या इनके खिलाफ कानूनी कार्यवाहियाँ, चाहे मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज के नाम पर हों या किसी ट्रस्टी अथवा अन्यथा हो तथा मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज को या इसके द्वारा कोई अनुमति दी गई हो।

अधिनियम के उद्देश्य (Objectives of Act)

प्रतिभूति नियम संचालन को नियन्त्रित करता है। इन अधिनियमों का उद्देश्य प्रतिभूतियों के व्यापार को विनियमित करके प्रतिभूतियों में अवांछनीय लेन-देन को रोकना है, प्रतिभूतियों में निवेशकों के हितों की रक्षा करने के लिए और इसके विकास को बढ़ावा देने के लिए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड की स्थापना करना और प्रतिभूतियों के बाजारों को विनियमित करना, प्रतिभूतियों में निक्षेपागार का विनियमन करना, इसके साथ जुड़े मामलों या आकस्मिक उपचार के लिए आवश्यक नियम व कानूनी अधिकार प्रदान करना। (Securities Contract (Regulations) Act 1956 Notes)

SCRA का उद्देश्य यह है कि यह स्टॉक एक्सचेंजों और प्रतिभूतियों के व्यापार को नियन्त्रित करता है।

इससे जुड़े कुछ अन्य मामलों के लिए प्रावधान करके प्रतिभूतियों में अवांछनीय लेन-देन को रोकने के लिए एक अधिनियम बनाया गया है।

SCRA ने धारा 2 में कई परिभाषाएं दी हैं और उनमें से कुछ अधिनियम की मूल संरचना को समझने के लिए मौलिक महत्त्व रखती है। ‘अनुबन्ध’ जैसी कुछ परिभाषाएँ ‘प्रतिभूति’ ‘स्टॉक एक्सचेंज’ का व्यापक महत्त्व है। अधिनियम स्टॉक एक्सचेंजों की मान्यता के लिए एक तन्त्र प्रदान करता है। सेबी द्वारा अनुमति दिए जाने तक किसी भी स्टॉक एक्सचेंज को मान्यता नहीं दी जाएगी।

यह अधिनियम कॉर्पोरटाइजेशन और स्टॉक एक्सचेंज के विमुद्रीकरण के प्रावधान भी करता है। (Securities Contract (Regulations) Act 1956 Notes)

SCRA में ‘प्रतिभूतियों” की परिभाषा सबसे अधिक महत्त्व रखती है। अभिव्यक्ति को ‘स्टॉक, स्क्रैप खोण्ट्स स्टॉक, बॉन्ड, डिबेन्चर, डिबेन्चर स्टॉक’ या किसी भी निगमित कम्पनी या अन्य बॉण्ड्स कॉर्पोरेट के समान प्रकृति के अन्य विपणन योग्य प्रतिभूतियों’ में समाहित किया गया है।

प्रमुख कारक प्रतिभूतियों की विपणन क्षमता है, जो उस कम्पनी की प्रकृति पर निर्भर करता है जिसने उन्हें जारी किया है।

SCRA और सूचनाएं निजी कम्पनियों के लिए अनुपयुक्त हैं क्योंकि उनकी प्रतिभूतियों प्रकृति में विपणन योग्य नहीं है। (Securities Contract (Regulations) Act 1956 Notes) परिभाषा के अनुसार, निजी कम्पनियों की प्रतिभूतियों में स्थानान्तरण प्रतिबन्धित है।

प्रतिभूति के कानूनों पर विधान की प्रमुख बातें (Highlights of Legislation on Securities Laws)

विधान की निम्नलिखित प्रमुख विशेषताएं हैं जिसने प्रतिभूति संविदा (विनियमन) अधिनियम, 1956 को संशोधित किया था

(1) निगमीकरण तथा डी-म्यूचुअलाइजेशन पर नई परिभाषा तथा इनके लिए प्रक्रिया। (Securities Contract (Regulations) Act 1956 Notes)

(2) प्रतिभूतियों की परिभाषाओं में अब किसी म्यूचुअल फण्ड की स्कीम के तहत निवेशकों को जारी कोई इकाइयों या कोई ऐसे लिखित शामिल होती है।

(3) स्वैप, विकल्प तथा हाइब्रिड लिखत एवं अन्तर के लिए अनुबन्धों को शामिल करने के लिए प्रतिभूतियों की परिभाषाएँ ।

(4) स्पॉट लेन-देन को विनियमित करने के लिए केन्द्र सरकार (Securities Contract (Regulations) Act 1956 Notes)

(5) प्रतिभूतिधारकों के पूर्व अनुमोदन के तहत प्रतिभूतियों को सूची से हटाना |

(6) वर्तमान के क्लीयरिंग हाउस स्थान पर क्लीयरिंग कॉर्पोरेशन स्थापना

(7) निवेशक द्वारा किए निर्देश के अनुसार क्लाइंट की सम्पत्तियों को मध्यस्थ द्वारा निपटान किया शेयरधारक जो मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज के दलाल भी उनके मतदान अधिकारों नियन्त्रित करने लिए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड SEBI सशक्त करता है। (Securities Contract (Regulations) Act 1956 Notes)

(9) नियन्त्रक बोर्ड प्रतिनिधि नियुक्त के लिए SEBI शेयरधारकों शेयर के अधिकार प्रतिबन्धित सकती है।

(10) इसके अलावा, SEBI स्टॉक एक्सचेंज नियन्त्रक बोर्ड नियुक्त होने लिए मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज दलाल है।

(11) प्रत्येक स्टॉक एक्सचेंज, जिसका निगमीकरण तथा डिम्यूचुअलाइजेशन लिए स्कीम को SEBI अनुमोदित दिया है, (Securities Contract (Regulations) Act 1956 Notes)उसे सुनिश्चित करना चाहिए SEBI के आदेश के 12 महीनों अन्दर शेयरधारकों के व्यापार अधिकारों पूँजी का से कम 51% जनता द्वारा धारित हो

(12) जनता लिए इक्विटी शेयर जारी करने या मानक को पूरा करने लिए SEBI विनियमों अनुसार के अनुमति है।

सार्वजनिक से सम्बन्धित प्रावधान (Provisions relating to Public Issue)

इस अधिनियम या फिलहाल लागू किसी अन्य कानून निहित प्रावधानों के प्रति बिना किसी पूर्वाग्रह के धारा के खण्ड के उपखण्ड (i.e.) सन्दर्भित प्रकृति कोई प्रतिभूतियां तब जनता को पेश नहीं जाएँगी या किसी मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज सूचीबद्ध नहीं जाएंगी, जब तक जारीकर्ता पात्रता मानदण्डों को पूरा करता है तथा ऐसी अन्य जरूरतों का नहीं करता विनियमों द्वारा निर्दिष्ट गए | (Securities Contract (Regulations) Act 1956 Notes)

जनता के लिए, उसमें सन्दर्भित प्रमाणपत्र या लिखित में पेश करने के इच्छुक प्रत्येक जारीकर्ता, जनता को पेशकश का दस्तावेज करने से पहले, एक अधिक मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज प्रमाण पत्र को पर ऐसे सूचीबद्ध के लिए अनुमति एक आवेदन करेगा।

जहाँ सूचीकरण के आवेदन की गयी अनुमति मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज को तुरन्त पेशकश के दस्तावेज के अनुसरण में आवेदकों से प्राप्त सभी धनराशि को चुकाने के लिए से आठ दिनों अन्दर नहीं चुकाया है, वह आठ दिन की समाप्ति पर, इस दिन, उस धनराशि को पन्द्रह प्रतिशत वार्षिक की ब्याज दर से ब्याज सहित उस धनराशि को लौटाने के लिए संयुक्त रूप से और व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होगा। (Securities Contract (Regulations) Act 1956 Notes)

आठवें दिन के अनुसार यदि परक्राम्य लिखित अधिनियम 1881 के अन्तर्गत कोई सार्वजनिक अवकाश होता है और यह अपेक्षा की जाती है यदि आठवें दिन के पूर्व कोई सार्वजनकि अवकाश नहीं है तो यह लेन-देन उस दिन प्रतिस्थापित कर दिया जाए अर्थात् अन्तिम लेन-देन वाली तारीख को यदि सार्वजनिक अवकाश पड़ जाता है

तो उससे पूर्व तिथि को ही तय तारीख माना जाएगा। मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज पर एक सार्वजनिक कम्पनी की प्रतिभूतियों के सूचीकरण से सम्बन्धित अधिनियम के सभी प्रावधानों का यथोचित पालन करते हुए — विशेष उद्देश्य से सम्बन्धित विशिष्ट कम्पनी की प्रतिभूतियों का सूचीकरण करती है (Securities Contract (Regulations) Act 1956 Notes)तथा ऐसी प्रतिभूतियों का क्रय-विक्रय मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज में शुरू हो जाता है।

प्रतिभूतियों को सूचीबद्ध करना (धारा 21) [Listing of Securities (Section 21)]

जब पब्लिक इश्यू द्वारा जनता को शेयर जारी किए जाते हैं तो मान्यता प्राप्त स्टॉक) एक्सचेंज के साथ प्रतिभूतियों का सूचीबद्ध होना अनिवार्य है।

SCRA की धारा 21 बताती है कि जहाँ किसी व्यक्ति के आवेदन पर प्रतिभूतियों सूचीबद्ध की गयी हैं, ऐसे व्यक्ति या उस स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध करने की शर्तों का पालन करना होगा।

प्रतिभूतियों को सूची से हटाना (धारा 21A) [(Delisting of Securities (Section 21A)]

(1) मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज हटाने की वजह रिकॉर्ड करके, किसी मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज के किसी आधार पर या इस अधिनियम में बताए गए आधार पर प्रतिभूतियों को सूची से हटा सकता है बशर्ते कि कम्पनी की प्रतिभूतियों को तब तक सूची से नहीं हटाया जाएगा जब तक सम्बन्धित कम्पनी की सुनवाई किए जाने का समुचित अवसर नहीं दिया जाता है।

(2) मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज के प्रतिभूतियों के सूची से हटाने के सम्बन्ध में निर्णय के 15 दिनों के अन्दर प्रतिभूतियों की सूची हटाने के मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज के निर्णय के खिलाफ सूचीबद्ध कम्पनी या पीड़ित निवेशक प्रतिभूति अपीलीय ट्रिब्यूनल के समक्ष जा सकता है तथा जहाँ तक हो सकता है, ऐसी अपीलों के लिए इस अधिनियम की धारा 22B से लेकर 22E तक के प्रावधान लागू हो सकते हैं बशरों की प्रतिभूति अपीली ट्रिब्यूनल, यदि सन्तुष्ट हो जाता है कि कम्पनी को कथित अवधि के अन्दर पर्याप्त कारण से अपील करने से रोका गया था तो यह आगे की अवधि जो एक माह से अधिक नहीं है के अन्दर दर्ज करने की अनुमति दे सकता है।

(Securities Contract (Regulations) Act 1956 Notes)

प्रतिभूतियों को सूचीबद्ध करने से मना करने के खिलाफ प्रतिभूति अपीलीय ट्रिब्यूनल के समक्ष अपील करना (धारा 22A) [Appeal before Securities Appellate Tribunal against Refusal to List Securities (Section 22A)]

(1) जहाँ इसके उप-कानूनों द्वारा इसे प्रदत्त किसी शक्ति के मुताबिक कार्य करते हुए, एक मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज किसी कम्पनी की प्रतिभूतियों को सूचीबद्ध करने से मना कर देता है तो कम्पनी को इस प्रकार से इनकार करने के कारणों को प्रस्तुत करवाने का हक होगा,

(i) इस प्रकार के इनकार करने के प्रस्तुत किए गए कारणों के दिनांक से 15 दिनों के अन्दर, अथवा

(ii) जहाँ स्टॉक एक्सचेंज कम्पनीज अधिनियम, 1956 की धारा 73 की उपधारा (1A), यहाँ इसके बाद इस धारा में ‘निर्दिष्ट समय’ के रूप में सन्दर्भित (Referenced) निर्दिष्ट समय के अन्दर निपटान करने से चूक जाता है या विफल हो जाता है, तो निर्दिष्ट समय की अवधि समाप्त होने के दिनांक से 15 दिनों के अन्दर या ऐसी आगे की अवधि के अन्दर, एक माह से अधिक नहीं, शेयर या डिबेंचर का स्टॉक एक्सचेंज पर लेन-देन करने के लिए अनुमति देने हेतु आवेदन पर पर्याप्त कारण दिखाए जाने पर जैसा प्रतिभूति अपीलीय ट्रिब्यूनल अनुमति दे सकता है; (Securities Contract (Regulations) Act 1956 Notes)

ऐसे इनकार, चूक या विफलता, जैसा भी मामला हो, के खिलाफ मामले के अधिकार क्षेत्र वाले प्रतिभूति अपीलीय ट्रिब्यूनल में अपील करने के लिए तथा प्रतिभूति अपीलीय ट्रिब्यूनल स्टॉक एक्सचेंज को सुने जाने का एक अवसर देने के बाद;

(i) स्टॉक एक्सचेंज ने चूक की है या निर्धारित समय के अन्दर आवेदन का निपटान करने में विफल हुआ है, अनुमति दे सकता है या अनुमति देने से मना कर सकता है, अथवा

(ii) स्टॉक एक्सचेंज के निर्णय को बदल सकता है या इसकी उपेक्षा कर सकता है। जहाँ प्रतिभूति अपीलीय ट्रिब्यूनल से मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज के निर्णय की अपेक्षा की जाती है या अनुमति दी है, वहीं स्टॉक एक्सचेंज प्रतिभूति अपीलीय ट्रिब्यूनल के आदेशों के अनुरूप कार्य करेगा। (Securities Contract (Regulations) Act 1956 Notes)

प्रतिभूति अपीलीय ट्रिब्यूनल की प्रक्रिया और शक्तियाँ (Procedure and Power of SAT)

प्रतिभूति अपीलीय ट्रिब्यूनल (SAT) सिविल प्रक्रिया की संहिता, 1908 द्वारा निर्धारित प्रक्रिया द्वारा बाध्य नहीं है तथा सहज न्याय के सिद्धान्तों द्वारा मार्गदर्शित होगा एवं अपनी स्वयं की प्रक्रियाओं को विनियमित करने की शक्ति होगी तथा निम्नलिखित मामलों के सम्बन्ध में, सिविल प्रक्रिया की संहिता, 1908 के तहत सिविल अदालत में निहित शक्तियों के समान शक्तियाँ होंगी —

(a) किसी व्यक्ति की उपस्थिति पर बल देना तथा सम्मान देना;

(b) दस्तावेज की खोज करना तथा तैयार करना; (Securities Contract (Regulations) Act 1956 Notes)

(c) शपथपत्र पर साक्ष्य प्राप्त करना;

(d) गवाहों या दस्तावेज की जाँच के लिए कमीशन जारी करना;

(e) इसके निर्णयों की समीक्षा करना;

(f) चूक करने वाले के लिए आवेदन को रद्द करना या एक तरफा निर्णय लेना; (Securities Contract (Regulations) Act 1956 Notes)

(g) चूक के लिए किसी आवेदन को रद्द करने के आदेश या इसके द्वारा एक तरफा पारित किसी आदेश की उपेक्षा करना;

(h) कोई अन्य मामला जिसे निर्धारित किया जा सकता है। SAT के समक्ष प्रत्येक प्रक्रिया को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 196 के उद्देश्य के लिए तथा धारा 193 और धारा 228 के अर्थ में एक न्यायिक कार्यवाही होने के लिए उपयुक्त माना जाएगा तथा आपराधिक प्रक्रिया की संहिता, 1973 के अध्याय XXVI तथा धारा 196 के सभी उद्देश्यों के लिए SAT को सिविल अदालत माना जाएगा। (Securities Contract (Regulations) Act 1956 Notes)

कानूनी प्रतिवेतन [Legal Representation (Section 2)] – अपीलकर्त्ता मामले को प्रस्तुत करने के लिए स्वयं मौजूद हो सकता है या एक अथवा अधिक CAs, CSs or CMAs या वकीलों को अधिकृत कर सकता है।

SCRA का महत्त्व, राइजिंग इन्वेस्टमेंट में 1956 (Significance of SCRA, 1956 in Raising Investment)

SCRA में कुछ महत्त्वपूर्ण प्रावधान शामिल हैं जिनका अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के तहत विभिन्न आर्थिक गतिविधियों के लिए निवेश बढ़ाने के दृष्टिकोण से एक उत्साहजनक प्रभाव है। SCRA, अधिनियम की धारा 3 में, एक विशिष्ट प्रक्रिया के लिए प्रदान किया गया है, जो सरकार द्वारा अधिनियम द्वारा निर्धारित तरीके से लागू करने के लिए स्टॉक एक्सचेंज को मान्यता प्राप्त होने के लिए सक्षम बनाता है। स्टॉक एक्सचेंज को सरकार द्वारा स्टॉक एक्सचेंज को मान्यता प्रदान करने से सम्बन्धित प्रक्रियाएँ SCRA की धारा 4 में बताई गई है। (Securities Contract (Regulations) Act 1956 Notes)

इसके साथ ही, SEBI (प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) को भी स्टॉक एक्सचेंज को मान्यता देने का अधिकार है। यह स्पष्ट रूप से SCRA द्वारा प्रदान किया गया है कि स्टॉक एक्सचेंज को मान्यता देने से पहले, केन्द्र सरकार को उचित जाँच के बाद सन्तुष्ट होना होगा कि पंजीकरण के लिए आवेदन करने वाले स्टॉक एक्सचेंज के नियम और उपनियम निर्धारित शर्तों के अनुरूप हैं।

उचित व्यवहार और निवेशकों के हितों की सुरक्षा के लिए SCRA ने स्टॉक एक्सचेंज की मान्यता के लिए अन्य शर्तों को भी प्रदान किया है जो सरकारी नियन्त्रण और हस्तक्षेप को बढ़ाते हैं, जैसे कि स्टॉक एक्सचेंज की सदस्यता के लिए योग्यता से सम्बन्धित शर्तें शिष्टाचार जिसमें अनुबन्धों को सदस्यों के बीच प्रविष्ट किया जाएगा और लागू किया जाएगा केन्द्र सरकार का प्रतिनिधित्व इस तरह के व्यक्तियों में से प्रत्येक में स्टॉक एक्सचेंज पर तीन से अधिक नहीं हो सकता है क्योंकि केन्द्र सरकार इसमें और नामांकन कर सकती है। (Securities Contract (Regulations) Act 1956 Notes)

स्टॉक एक्सचेंजों का कॉर्पोरेटाइजेशन डिमैटीरियलाइजेशन निवेश बढ़ाने के दृष्टिकोण से फायदेमन्द है क्योंकि यह इक्विटी प्रसार या निजी निवेश के माध्यम से पूँजी निवेश के लिए संसाधनों की बढ़ती पहुँच सुनिश्चित करता है। (Securities Contract (Regulations) Act 1956 Notes)इसके अलावा, यह स्टॉक एक्सचेंज के संचालन में निवेशकों की अधिक भागीदारी की ओर जाता है और वैश्विक बाजारों में अधिक लचीलापन और पहुँच की अनुमति देता है। (Securities Contract (Regulations) Act 1956 Notes)

SCRA की धारा-5 केन्द्र सरकार को इस सम्बन्ध में अधिनियम द्वारा प्रदान की गई प्रक्रिया के बाद व्यापार के हित में या सार्वजनिक हित के प्रावधानों के तहत स्टॉक एक्सचेंज को दी गई मान्यता को वापस लेने में सक्षम बनाती है।

मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों पर केन्द्र सरकार का नियन्त्रण (Central Government’s Control over the Recognized Stock Exchanges) – SCRA कई अन्य प्रावधानों के लिए प्रावधान किया है जो मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों के कामकाज पर केन्द्र सरकार और सेवी के नियन्त्रण को मजबूत करते हैं जो सरकार को निवेश बढ़ाने और व्यापार और सार्वजनिक हित की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कार्रवाई करने में सक्षम बनाता है। (Securities Contract (Regulations) Act 1956 Notes)

SCRA की धारा 6 में स्टॉक एक्सचेंज के मामलों से सम्बन्धित सेबी को आवधिक रिटर्न प्रस्तुत करने के लिए मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों की आवश्यकता होती है। SCRA स्टॉक एक्सचेंज के किसी भी सदस्य के मामलों के सम्बन्ध में सेबी को प्रत्यक्ष जाँच और जाँच रिपोर्ट के लिए कॉल करने का अधिकार देता है। अधिनियम की धारा 7 में केन्द्र सरकार को स्टॉक एक्सचेंजों द्वारा वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करने की आवश्यकता है।

SCRA की धारा 8 केन्द्र सरकार को नियम बनाने, किसी भी नियम को बनाने के लिए स्टॉक एक्सचेंज को निर्देशित करने या स्टॉक एक्सचेंज के मामलों से सम्बन्धित पहले से मौजूद नियमों में संशोधन करने का अधिकार देती है क्योंकि सरकार फिट हो सकती है। SCRA ने निवेशकों के हितों की सुरक्षा के लिए मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों को विभिन्न मामलों और पहलुओं को विनियमित करने, नियन्त्रित करने और हस्तक्षेप करने के लिए केन्द्र सरकार और सेवी को अधिकृत करने वाले विभिन्न अन्य प्रावधानों के लिए प्रदान किया है। (Securities Contract (Regulations) Act 1956 Notes)

प्रतिभूति की सूची से सम्बन्धित प्रावधान (Provisions related to Listing of Securities) – SCRA में सिक्योरिटीज एक्सचेंज को प्रतिभूतियों की सूची से सम्बन्धित प्रावधान भी है। लिस्टिंग का अर्थ है किसी मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज में डील करने के लिए किसी निगमित कम्पनी केन्द्र और राज्य सरकार, अर्द्धसरकारी और अन्य वित्तीय संस्थानों, निगमों आदि की प्रतिभूतियों का प्रवेश लिस्टिंग का सबसे महत्त्वपूर्ण उद्देश्य तैयार बाजारवाद प्रदान करना और शेयरों और शेयरों के लिए तरलता और मुक्त बातचीत को प्रदान करना है,

जिससे निपटने का उचित पर्यवेक्षण और नियन्त्रण सुनिश्चित हो सके और शेयरधारकों और आम जनता के हितों की रक्षा हो सके। चूँकि सूचीबद्ध प्रतिभूतियों का अधिकारिक रूप से कारोबार किया जाता है, निवेशकों द्वारा निवेश की तरलता अच्छी तरह से सुनिश्चित की जाती है। (Securities Contract (Regulations) Act 1956 Notes)

SCRA की धारा 21 में कहा गया है कि जहाँ किसी भी मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज में किसी भी व्यक्ति के आवेदन पर प्रतिभूतियों को सूचीबद्ध किया जाता है, ऐसे व्यक्ति उस स्टॉक एक्सचेंज के साथ लिस्टिंग समझौते की शर्तों का पालन करेंगे। एक मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज इस तरह निर्धारित किसी भी आधार पर अधिनियम की धारा 21A द्वारा प्रदान की गई प्रतिभूतियों को वितरित कर सकता है।

निष्कर्ष (Conclusion) – SCRA प्रतिभूतियों के व्यापार के सभी पहलुओं के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष नियन्त्रण, स्टॉक एक्सचेंजों को चलाने और प्रतिभूतियों में अवांछनीय लेन-देन को रोकने के लिए एक अधिनियम है। SCRA, 1956, अन्य प्रावधानों के साथ, सरकार द्वारा स्टॉक एक्सचेंजों की मान्यता के लिए सभी जरूरी प्रावधानों, उनके निगमीकरण और विध्वंसकरण या रद्दीकरण के लिए जारी करती है। निवेशकों के हित में स्टॉक एक्सचेंजों के कार्यों और मामलों पर पर्याप्त सरकारी नियन्त्रण सुनिश्चित किया है। (Securities Contract (Regulations) Act 1956 Notes)

सुरक्षा में व्यवहार के लिए एक स्वस्थ, अनुशासित और लाभकारी मंच के लिए, अधिनियम में निहित ऐसे प्रावधानों के कारण निवेश में वृद्धि हुई है।

अधिनियम की प्रमुख विशेषताएँ (Salient Features of the Act)

जब सरकार को शेयर बाजार में चल रही कमियों और गलतफहमियों का अहसास हुआ तो यह अधिनियम लागू किया गया। अधिनियम की कुछ मुख्य विशेषताएँ इस प्रकार हैं –

(1) एकात्मक नियन्त्रण रखने के लिए पूरे क्षेत्र में एकल मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज होना चाहिए।

(2) डीलरों के साथ-साथ दलालों के लिए भी उचित लाइसेंस होना जरूरी है यदि वे मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज द्वारा कवर किए गए दायरे से बाहर हैं। (Securities Contract (Regulations) Act 1956 Notes)

(3) केन्द्र सरकार को उप-कानूनों को बनाने और फिर उनमें संशोधन करने की शक्ति प्रदान की गई है। इस शक्ति को आगे बढ़ाने का कोई भी कदम सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों के शासी निकाय से परामर्श के बाद ही लिया जा सकता है। (Securities Contract (Regulations) Act 1956 Notes)

(4) किसी व्यक्ति को भविष्य के सौदे के रूप में किए जाने वाले लेन-देन में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है। ऐसा इसलिए है क्योंकि भविष्य के सौदों को जुआ अनुबन्धों के बराबर का दर्जा प्रदान किया गया है।

(5) मामलों के सम्बन्ध में आवधिक रिटर्न प्रस्तुत करने के लिए मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, स्टॉक एक्सचेंजों द्वारा समय-समय पर सरकार को सभी आवश्यक जानकारी प्रस्तुत करना भी आवश्यक है। (Securities Contract (Regulations) Act 1956 Notes)

(6) केन्द्र सरकार को किसी भी कम्पनी को मजबूर करने के लिए शक्ति का उपयोग करने का विशेषाधिकार प्रदान किया जाता है जोकि अपनी प्रतिभूतियों को सूचीबद्ध करने के लिए प्रकृति में एक सार्वजनिक सूचीबद्ध कम्पनी है। जब कोई कम्पनी अपील करती है तो कम्पनी को मौका दिया जाता है कि वह अलग से सेट करे या अलग-अलग हो। प्रतिभूतियों को सूचीबद्ध करने के लिए स्टॉक एक्सचेंज द्वारा इनकार

(7) यदि कोई असामान्य स्थिति उत्पन्न होती है तो यह पूर्ण अधिकार है जो केन्द्र सरकार को एक्सचेंजों के शासी निकाय को प्रदान की गई मान्यता से वापस लेने के लिए प्रदान किया जाता है।

(8) एक बार केन्द्र सरकार किसी भी मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज को मंजूरी दे देती है तो उसके पास अनुबन्धों पर नियन्त्रण रखने के साथ-साथ उन अनुबन्धों को विनियमित करने के लिए अपने स्वयं के उप-कानूनों को तैयार करने का अवसर होता है। शेयर बाजारों को दलालों के जुए के अड्डे के रूप में भी जाना जाता है। (Securities Contract (Regulations) Act 1956 Notes)

इस तरह के शब्दों के पीछे की वजह यह है कि शेयर बाजार अतीत में विषय रहे हैं। सरकार ने इस कानून को तब लागू किया था जब इसके साथ कोई अन्य विकल्प नहीं बचा था क्योंकि बाजार में और साथ ही इन स्टॉक एक्सचेंजों की कामकाजी स्थितियों में बहुत सारी खराबी थीं। इस प्रकार, यह स्टॉक एक्सचेंज 1956 से केन्द्र सरकार के नियन्त्रण में लिया गया था।

मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज को उपकानून बनाने के लिए शक्ति (धारा-9) [Power to Recognised Stock Exchanges to Make By-Laws (Section-9)]

(1) कोई मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के पिछले अनुमोदन के तहत अनुबन्धों को विनियमित तथा नियन्त्रित करने के लिए उप-कानून बना सकता है।

(2) खाली स्थानान्तरण करने का विनियमन या निषेधा

(3) उन अनुबन्धों के वर्ग और संख्या जिनका निपटान या अन्तर का भुगतान क्लीयरिंग हाउस के माध्यम से किया जाएगा। (Securities Contract (Regulations) Act 1956 Notes)

(4) बदला या आगे स्थानान्तरण करने की सुविधाओं का विनियमन, या निषेध

(5) निपटान के लिए दिनों को निर्धारित करना, बदलना या स्थगित करना;

(6) प्रतिभूतियों के लिए खुलने, बन्द होने, सर्वोच्च और सबसे कम दरों सहित, बाजार की दरों का निर्धारण तथा घोषणा।

(7) सट्टेबाजी अथवा इन्ट्राडे ट्रेडिंग व्यवसाय पर कर शुल्क लगाने सहित इसका विनियमन । (Securities Contract (Regulations) Act 1956 Notes)

(8) मध्यस्थता द्वारा निपटान सहित दावों या विवाद के निपटान के लिए विधि तथा प्रक्रिया।

(9) शुल्क, जुर्माना तथा दण्ड लगाना और वसूली करना।

(10) SCRA अनुबन्ध की क्षमता के अन्तर्गत अन्य पक्षों के साथ व्यवसाय की कार्यप्रणाली का विनियमन करना। (11) दलाली तथा अन्य प्रभारों के पैमाने निर्धारित करना।

(12) सौदा करना, तुलना करना, निपटान करना तथा बन्द करना ।

(13) सदस्यों द्वारा अपने खुद के खाते के लिए लेन-देन को विनियमित करना।

(14) आढ़तिया और दलालों के कार्यों को अलग करना। (Securities Contract (Regulations) Act 1956 Notes)

(15) सदस्यों का दायित्व ऐसी जानकारी या स्पष्टीकरण प्रदान करना तथा व्यवसाय से सम्बन्धित ऐसे दस्तावेज बनाना जिनकी नियन्त्रक निकाय को जरूरत हो सकती है।

(16) असाधारण परिस्थितियों में किसी अकेले सदस्य द्वारा किए गए व्यापार की मात्रा पर सीमाएँ।

(17) इस धारा के तहत बनाए गए उप-कानून हो सकते हैं –

(a) उप-कानून निर्दिष्ट कर सकता है, जिसके उल्लंघन से किया गया अनुबन्ध धारा 14 की उपधारा (1) के तहत उप-कानून से निष्प्रभावी हो जाएगा।

(b) अनुबन्ध की शर्त के अन्तर्गत ही तय होगा कि उप-कानून के उल्लंघन से सम्बन्धित सदस्य एक या अधिक निम्नलिखित दण्डों का पात्र होगा, जो इस प्रकार हैं (Securities Contract (Regulations) Act 1956 Notes)

(i) जुर्माना

(ii) सदस्यता से निष्कासन

(iii) निर्दिष्ट अवधि के लिए सदस्यता से निलम्बन

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