Bcom Advance Payment of Tax Notes


Bcom Advance Payment of Tax Notes

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कर का अग्रिम भुगतान (Advance Payment of Tax)

उत्तर- अग्रिम कर/कर का अग्रिम भुगतान (Advance Tax/Advance Payment of Tax)- सामान्यतया गत वर्ष में कमाई गई आय.पर, अगले कर-निर्धारण वर्ष में ही आय-कर चुकाना होता है, परन्तु आय-कर अधिनियम की कुछ व्यवस्थाओं के अन्तर्गत जैसे-जैसे करदाता द्वारा आय उपार्जित की जाती है, वैसे-वैसे ही उसे आय पर कर का भुगतान करना पड़ता है। इसी आधार पर कर चुकाने की ऐसी व्यवस्था को जैसे कमाओ वैसे चुकाओ योजना के नाम से जाना जाता है। कर चुकाने की इस व्यवस्था में चूंकि कर पेशगी (Advance) के रूप में दिया जाता है, इसलिए इसे ‘कर का अग्रिम भुगतांन’ भी कहा जाता है। इस प्रकार भुगतान किया गया अग्रिम कर, कर-निर्धारण पर देय होने वाले आय कर से समायोजित कर दिया जाता है।

धारा 207 के अनुसार, “वित्तीय वर्ष में करदाता द्वारा उन आयों पर अग्रिम कर देना होगा जो वित्तीय वर्ष से ठीक अगले कर-निर्धारण वर्ष में कर-योग्य होगी।” चालू वित्तीय वर्ष की आयों को ही चालू आय कहते हैं। अत: चालू आयों पर कर देने की योजना को ही ‘जैसे कमाओ वैसे चुकाओ” अथवा कर का अग्रिम भुगतान’ कहा जाता है।

अग्रिम कर चुकाने का दायित्व (Liability for Payment of Advance Tax)- धारा 207 के अनुसार करदाता को वित्तीय वर्ष में कमाई जाने वाली आय पर धारा 208 से 211 के प्रावधानों के अनुसार अग्रिम कर चुकाना होगा। ऐसी आय का कर निर्धारण वित्तीय वर्ष के तुरन्त बाद आने वाले कर-निर्धारण वर्ष में किया जाता है। जिस कुल आय पर अग्रिम कर चुकाया जायेगा, उसे चालू आय (Current Income) कहा जाता है।

धारा 208 के अनुसार करदाता द्वारा अग्रिम कर चुकाने का दायित्व तभी उत्पन्न होगा जबकि उसके द्वारा देय कर की राशि 10,000 या अधिक हो। यदि वित्तीय वर्ष की आय के सम्बन्ध में देय कर की राशि 10,00( से कम हो, तो अग्रिम कर चुकाने का दायित्व उत्पन्न नहीं होगा। गत वर्ष का सम्पूर्ण कर दायित्व उसी गत वर्ष के अन्तिम दिन तक चुका दिया जाना चाहिए।

परन्तु कर-निर्धारण 2013-14 से एक व्यक्ति (An Individual), जो भारत में निवासी है, को निम्नलिखित शर्ते पूरी करने पर अग्रिम कर नहीं चुकाना होगा

(i) उसकी व्यापार अथवा पेशे शीर्षक में कोई आय नहीं है

(ii) उसकी आयु गत वर्ष में कभी भी 60 वर्ष या अधिक है।

अग्रिम कर की गणना (Computation of Advance Tax) [धारा 209]

वित्तीय वर्ष के सम्बन्ध में चुकाए जाने वाले अग्रिम कर की गणना निम्न प्रकार की जायेगी-

(अ) अग्रिम कर की गणना स्वयं करदाता द्वारा किये जाने की दशा में- (1) करदाता द्वारा सर्वप्रथम सम्बन्धित वित्तीय वर्ष की ‘सकल कुल आय’ (GTI) की गणना की जायेगी।

(ii) सकल कुल आय में से स्वीकृत विभिन्न कटौतियों, छूटों व राहतों को घटाकर सम्भावित ‘कुल आय’ या ‘शुद्ध कर-योग्य आय’ का अनुमान लगाया जायेगा।

(iii) तदुपरान्त इस सम्भावित कुल आय पर सम्बन्धित वित्तीय वर्ष के लिए निर्धारित दरों से आय-कर [अधिभार (यदि लागू है)+ शिक्षा उपकर] की गणना कर ली जायेगी।

(ब) कर-निर्धारण अधिकारी द्वारा अग्रिम कर की गणना (Computation of Advance Tax by Assessing Officer)- यदि करदाता चालू वित्तीय वर्ष में अग्रिम कर नहीं चुकाता है जबकि पूर्व के वर्षों में करदाता का नियमित कर-निर्धारण (regular assessment) हो चुका हो तो कर-निर्धारण अधिकारी उसे अग्रिम कर चुकाने का आदेश दे सकता हैं। इस प्रकार आदेश सम्बन्धित गत वर्ष की 28 फरवरी तक ही दिया जा सकता है। ऐसी दशा में अग्रिम कर की गणना निम्नलिखित दो परिस्थितियों में से, जिसमें भी कुल आय अधिक हो, के आधार पर की जाएगी

(i) अन्तिम गत वर्ष के नियमित कर-निर्धारण के आधार पर कुल आय:

(ii) अन्तिम गत वर्ष के नियमित कर-निर्धारण के बाद वाले गत वर्ष के लिए प्रस्तुत किये गये आय के विवरण (Rctum of Income) में दर्शायी गयी कुल आय।

पूँजीगत लाभ एवं आकस्मिक आय की दशा में अग्रिम कर (Advance Tax in Case of Capital and Casual Income)- अग्रिम कर प्रत्येक प्रकार की आय पर देय होता है चाहे वह वेतन की आय हो या पूंजीगत लाभ हो या अन्य शीर्षक से हो। पूँजीगत लाभ तथा आकस्मिक आय का अनुमान लगाना करदाता के लिए सम्भव नहीं हो सकता। अत: इन परिस्थितियों में यदि आय किसी देय किस्त की तिथि के पश्चात् प्राप्त की जाती है तो पूँजीगत लाभ या आकस्मिक आय पर देय कर का समायोजन शेष किस्तों में किया जाएगा यदि सभी किस्तों की देय तिथि निकल चुकी है तो देय कर को गत वर्ष की समाप्ति के पूर्व भुगतान करना होगा।

अग्रिम कर की देय किस्तें तथा तिथियाँ (Instalments and Dates of Advance Tax)- अग्रिम कर हेतु भुगतान की जाने वाली राशि एवं अग्रिम कर की देय किस्तों तथा तिथियों की विवेचना आय-कर अधिनियम की धारा 211 के अन्तर्गत की गई है। 1 जून, 2016 से कम्पनी सहित सभी करदाताओं को निम्नलिखित प्रकार से चार किस्तों में भुगतान करना होता है

(अ) कम्पनी करदाता हेतु (For Company Assessee)

देय तिथि

देय राशि

15 जून तक आग्रिम कर की राशि का काम से कम 15 प्रतिशत
15 सितम्बर तक अग्रिम कर की राशि का कम से कम 45 प्रतिशत (इसमें से पूर्व की चुकाई गई राशियाँ घटाई जायेंगी)
15  दिसंबर तक आग्रिम कर की राशि का कम से कम 75  प्रतिशत (इसमें से पूर्व में चुकाई गई राशियाँ घटाई जायेगीं)
15 मार्च तक आग्रिम कर की सम्पूर्ण राशि (इसमें से पूर्व में चुकाई गई राशियाँ घटाई जाएगी)

 

नोट- यदि अग्रिम कर की एक या अधिक किश्ते जमा करने के पश्चात् चालू आय के अनुमान में परिवर्तन आता है, तो शेष किस्तों की राशि में वृद्धि या कमी की जा सकती है।

अग्रिम कर का समायोजन (Credit for Advance Tax)- करदाता द्वारा चुकाए गए अग्रिम कर का समायोजन करदाता के नियमित कर-निर्धारण पर कर दायित्व की गणना करते समय कर दिया जाता है। यदि संयोगवश करदाता द्वारा चुकाया गया अग्रिम कर, कर निर्धारण के पश्चात् निर्धारित कर से अधिक है, तो अधिक चुकाया गया कर वापिस (Refund) मिल जाता है।

 

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