Agricultural Income Tax Bcom Notes Hindi

Agricultural Income Tax Bcom Notes Hindi

 

Agricultural Income Tax Bcom Notes Hindi:- This post uploaded by sachin daksh. and in this post we share you bcom question paper First Year, Second Year, Third year. and all the question, Notes, all solution in this site you can find easily. if you can not able to find solution and Notes all subject notes you can give a comment in comment box. and please share this post of your friends. and prepare your exam. and get highest marks. in your exam. best of luck from sdak24 groups. You can download here all Question paper, All Notes, easily in single one click. and if you want to read online here you can read also. because all the question paper is the both type we have uploaded. and all the question and notes paper in both languages. Agricultural Income Tax Notes

 

In This Post:- All Bcom 2rd Year Student we are is presents today Bcom 2rd year Question Paper , Unsold Paper , Previous Paper, Most important Question and Practice Sets. This Question Paper, Notes Paper, Solution, is of the All university In India but all University’s student follow us and do the practice this question paper this subjects. Agricultural Income Tax Notes

 

Agricultural Income Tax Bcom Notes Hindi
Agricultural Income Tax Bcom Notes Hindi

कृषि आय (Agricultural Income)

 

Questions.   कृषि आय का क्या अर्थ है? यह कितने प्रकार की होती है? ऐसी किन्हीं दस आयों की व्याख्या कीजिए जो जमीन से सम्बन्धित हों, किन्तु कृषि आय न हों। (मेरठ 2009, 2006, 2005B; रूहेलखण्ड, 20092006 Imp )

 

उत्तर-सामान्य रूप से कृषि आय से अभिप्राय कृषि कार्य करने से उपज आदि की प्राप्ति कृषि आय कहलाती है, लेकिन आय-कर में ‘कृषि आय की एक निश्चित एवं विशिष्ट अर्थ में व्याख्या की गई है।

 

कृषि आय की परिभाषा –  आयकर अधिनियम की धारा 2 (1A) के अनुसार कृषि आय से निम्नलिखित तात्पर्य है

 

  1. भारत में स्थित एवं कृषि उद्देश्यों के लिए प्रयुक्त भूमि से प्राप्त किराया अथवा  
  2. ऐसी भूमि से प्राप्त आय जो (i) कृषि करने से हो, या  (ii) कृषक अथवा भूमि का किराया प्राप्त करने वाले को उसके द्वारा उत्पादित या प्राप्त उपज को बाजार में विक्रय योग्य बनाने के लिए सामान्यतया किए जाने वाले कार्य करने से हो, या (iii) कृषक अथवा भूमि का किराया प्राप्त करने वाले को उसके द्वारा उत्पादित या प्राप्त उपज को विक्रय करने से हो।
  3. कृषक अथवा भूमि का किराया प्राप्त करने वाले को ऐसे भवन से आय जो उसके स्वामित्व एवं अधिकार में है यदि निम्नलिखित शर्तें पूरी होती हैं
  • (i) यह भवन उस भूमि पर या उसके अत्यधिक निकट स्थित है और यह कृषक द्वारा या भूमि का किराया प्राप्त करने वाले के द्वारा निवास हेतु या भण्डार गृह के रूप में या बाहरी मकान के रूप में प्रयुक्त होता है।
  • (ii) इस भूमि पर भारत में लगान लगता है अथवा कोई स्थानीय कर लगता है जिसका निर्धारण तथा संग्रह सरकारी अधिकारियों द्वारा किया जाता है। यदि इस भूमि पर कोई लगान या स्थानीय कर नहीं लगता है तो यह भूमि निम्नलिखित सीमाओं, जिसे शहरी सीमा कहा जाता है, के अन्दर स्थित न हो

 

(अ) 10,000 या इससे अधिक की आबादी वाले नगरपालिका या छावनी बोर्ड की सीमाओं के अन्दर; या

(ब) ऐसी नगरपालिका या छावनी बोर्ड की स्थानीय सीमाओं से 8 कि. मी. दूरी तक अथवा ऐसी दूरी तक जो केन्द्रीय सरकार द्वारा सरकारी गजट में उस क्षेत्र के शहरीकरण के लिए बजट की गई हो।

 

कर-निर्धारण वर्ष 2014-15 से यदि भूमि पर लगान या स्थानीय कर नहीं लगता और खेत का मकान निम्नलिखित क्षेत्र में स्थित है, तो ऐसे मकान की आय कृषि आय नहीं होगी : भूमि आकाशीय मार्ग (Aerially) से नापने पर निम्नलिखित क्षेत्र में स्थित है :

 (i) स्थानीय सीमा से दो किलोमीटर क्षेत्र में, यदि वहां की जनसंख्या दस हजार से अधिक है, परन्तु एक लाख से अधिक नहीं है।

(ii) स्थानीय सीमा से छः किलोमीटर क्षेत्र में, यदि वहाँ की जनसंख्या एक लाख से अधिक है, परन्तु दस लाख से अधिक नहीं है। 

(iii) स्थानीय सीमा से आठ किलोमीटर क्षेत्र में, यदि वहाँ की जनसंख्या दस लाख से अधिक है।

 

  1. पादप नर्सरी से आय- मानी गई कृषि आय है-नर्सरी में उगाये गये छोटे पौधे या बीज से उत्पन्न किया हुआ छोटा पौधा बेचने से आय कृषि आय मानी जायेगी। (कर-निर्धारण वर्ष 2009-10 से प्रभावी)

 

कृषि आय के सम्बन्ध में ध्यान रखने योग्य महत्त्वपूर्ण बिन्दु 1.भूमि भारत में स्थित होनी चाहिए। यदि भूमि भारत से बाहर स्थित है तो ऐसी भूमि की आय कृषि आय नहीं मानी जाएगी।

  1. भूमि को कृषि कार्यों के लिए प्रयोग किया जाना चाहिए अर्थात् भूमि को जोतना, पानी देना, बीज बोना, आदि क्रियाएं की जानी चाहिए। अत: भूमि पर स्वयं उग आई घास बेचने से होने वाली आय कृषि आय नहीं मानी जायेगी।
  2. भूमि से आय प्राप्तकर्ता का भूमि में हित होना चाहिए भू- स्वामी या किरायेदार या भोग बंधकदार का ही हित भूमि में माना जाता है। अतः तैयार फसल को खरीदकर उसे काटकर बेचने से होने वाली आय कृषि आय नहीं मानी जायेगी।
  3. किसी भी आय को कृषि आय तभी माना जाएगा जब वह प्रत्यक्ष रूप से कृषि से प्राप्त हो। कृषि से अप्रत्यक्ष आय कृषि आय नहीं है, जैसे कृषि फार्म के मैनेजर का वेतन, कृषि कार्य में लगी कम्पनी से प्राप्त लाभांश, कृषि आय नहीं है।
  4. कृषि भूमि के विक्रय से होने वाला लाभ कृषि आय नहीं कहलाती। 

 

कृषि आय के प्रकार (Kinds of Agricultural Income) आयकर अधिनियम की धारा 2 (1A) में प्रदत्त कृषि आय’ की उपर्युक्त वर्णित परिभाषा के आधार पर कृषि आय को निम्नलिखित पाँच भागों में विभक्त किया जा सकता है

 

  1.  भूमि से प्राप्त किराया अथवा लगान- यदि भूमि का स्वामी अपनी भूमि को कृषि कार्य में उपयोग करने के लिए भूमि का अधिकार किसी अन्य व्यक्ति को दे देता है तो उसके है वह उसकी कृषि आय होती है। बदले में उसे जो किराया अथवा लगान 
  2. भूमि पर कृषि कार्य करने से प्राप्त आय-  भूमि पर किसी भी व्यक्ति (भू-स्वामी, किरायेदार, भूमि गिरवी रखने वाला या अन्य कोई व्यक्ति) के द्वारा कृषि क्रिया करने के परिणामस्वरूप जो आय प्राप्त होगी वह कृषि आय कहलायेगी। कृषि क्रिया से आशय भूमि जोतने, पानी देने, बीज बोने, फसल उगाने आदि क्रियाओं के करने से है।
  3. भूमि से प्राप्त उपज का विक्रय योग्य बनाने की क्रिया से होने वाली आय-  भूमि से प्राप्त उपज कभी-कभी विक्रय योग्य नहीं होती। एक कृषक अपनी उपज को विक्रय योग्य बनाने के लिए जो कृषि क्रिया करता है और उससे जो आय होती है, कृषि आय मानी जाती है। जैसे-तम्बाकू, कॉफी आदि को बेचने योग्य बनाने की क्रिया।
  4. कृषक द्वारा कृषि की उपज को विक्रय करने से प्राप्त आय-  किसान द्वारा स्वयं उत्पन्न की गई अथवा किराये के रूप में प्राप्त उपज को बाजार में बेचने अथवा अपनी स्वयं की दुकान पर बेचने से होने वाली आय कृषि आय कहलाती है।
  5. कृषि कार्यों में प्रयुक्त कृषि भवन से आय-  वह भवन जो कृषि भूमि पर अथवा उसके अत्यधिक निकट स्थित है तथा कृषक अथवा किराया प्राप्त करने वाले के द्वारा निवास-स्थान, भण्डार-गृह या बाहरी मकान के रूप में प्रयुक्त किया जाता है, कृषि भवन कहलाता है। ऐसे भवन से अर्जित आय भी कृषि आय कहलाती है।
  6. अन्य कृषि आय-  उपरोक्त के अतिरिक्त निम्नलिखित प्रकार की आय को कृषि आय माना जाता है- (i) कृषि कार्य के लिए प्रयुक्त पशुओं के चरने हेतु स्वयं उगी हुई घास अथवा जंगल को किराये पर देने से आय; (ii) यदि किसी भूमि को बंधक रखकर किसी व्यक्ति ने ऋण दिया हो तो बंधक रखने वाले व्यक्ति द्वारा कृषि कार्य में प्रयुक्त भूमि का किराया, (i) फल अथवा फूलों की खेती से आय, (iv) करदाता द्वारा उगाये गये जंगल अथवा वृक्षों की लकड़ी, फल आदि की बिक्री से आय, (v) कृषि कार्य में संलग्न फर्म द्वारा साझेदारों को दिया गया पूँजी पर ब्याज एवं पारिश्रमिक साझेदारों के लिए कृषि आय माना जायेगा बशर्ते कि फर्म को ऐसे ब्याज अथवा पारिश्रमिक की कटौती व्यय के रूप में मिली हो, (vi) खड़ी फसल की ओलावृष्टि अथवा अन्य किसी कारण से हुई हानि के सम्बन्ध में बीमा कम्पनी से प्राप्त क्षतिपूर्ति को कृषि आय माना जायेगा।

 

जमीन से सम्बन्धित गैर-कृषि आय (Non-Agricultural Income)

निम्नलिखित आयें कृषि आय जैसी प्रतीत होती हैं लेकिन ये आयें कृषि आय नहीं होती हैं क्योंकि इनमें भूमि का उपयोग कृषि कार्यों के लिए नहीं होता अथवा आय भूमि से प्रत्यक्ष रूप से नहीं कमाई जाती हैं: 

  1. हाट बाजार के काम में आने वाली भूमि से आय;

2 भूमि पर अपने आप उगे हुए पेड़-पौधों व जंगलों से होनी वाली आय;

  1. मुर्गी पालन व पशुपालन से आय;

4 कृषि कार्यों में प्रयुक्त गोदाम का किराया; 5. खानों में स्वामित्व के फलस्वरूप प्राप्त रॉयल्टी;

6 कृषि फार्म के मैनेजर को प्राप्त वेतन अथवा कोई 7. ईंट के भट्टों से होने वाली आय;

8 कृषकों को सिंचाई के लिए पानी देने से होने 9. डेयरी फार्म से होने वाली आय;

10 कृषि कार्यों में लगी कम्पनी से प्राप्त लाभांश; 1. तालाब के सिंघाड़ों से प्राप्त आय;

12 समुद्र या झील के पानी से नमक निकालने से होने वाली आय; 

  1. कृषि फार्म में कार्य करने वाले कर्मचारियों का वेतन;

14 कृषक को फसल का अधिक उत्पादन करने पर प्राप्त इनाम; 15. कृषि कार्यों में प्रयुक्त भूमि के सम्बन्ध में प्राप्त किराये की बकाया रकम

  1. खड़ी फसल खरीदकर शेष कृषि कार्य करने से हुई आय। 

 

कृषि आय एवं कर दायित्व (Agricultural Income and Tax Liability)

 

आयकर अधिनियम की धारा 10 (1) के अनुसार कृषि आय, आय-कर से मुक्त है। कर निर्धारण वर्ष 1973-74 तक कृषि आय पूर्ण कर मुक्त थी अर्थात् न तो कृषि आय पर आय-कर लगता था और न अन्य आयों पर आय-कर ज्ञात करने के लिये इसे कुल आय में सम्मिलित किया जाता था, परन्तु कर निर्धारण वर्ष 1974-75 से व्यक्ति या हिन्दू अविभाजित परिवार करदाता का कर दायित्व ज्ञात करते समय कृषि आय को ध्यान में रखा जाता है। निम्नलिखित दोनों शर्ते पूरी होने पर कृषि आय को कुल आय में अलग से जोड़कर सर्वप्रथम संयोजित आय (Aggregated income) पर सकल आय कर ज्ञात किया जाएगा और इसके बाद कृषि आय और सीमान्त दर से कर को छूट घटाई जाएगी

 

  1. यदि व्यक्ति या हिन्दू अविभाजित परिवार करदाता की कुल आय (कृषि आय को छोड़कर) करमुक्त सीमा से अधिक हो, (कर-निर्धारण वर्ष 2017 18 के सम्बन्ध में सामान्य करदाता के सम्बन्ध में करमुक्त सीमा 2,50.000है, 60 वर्ष या अधिक परन्तु 80 वर्ष से कम आयु वाले पुरुष एवं महिला निवासी व्यक्ति की दशा 3 लाख एवं 80 वर्ष या अधिक आयु वाले निवासी व्यक्ति की दशा में 5 लाख हैं।

 

  1. कृषि आय की राशि 5,000 से अधिक हो। उपरोक्त दोनों शर्ते पूरी होने पर कर की गणना निम्न प्रकार की जाएगी StepI: कुल आय + कृषि आय = संयोजित आय पर निर्धारित दरों से आय कर Step II : घटाइये : कृषि आय + आय की प्रभावी करमुक्त सीमा की राशि पर आय कर (-) देय आय-कर

Follow me at social plate Form
Facebook Instagram YouTube Twitter

 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top