Profits and Gains of Business or Profession Bcom Income Tax Notes Hindi

 

8 व्यापार अथवा पेशे के लाभ एवं प्राप्तियाँ (Profits and Gains of Business or Profession)

 

प्रश्न 17.  एक व्यापारी के लाभों की गणना करने में कौन कौन सी कटौतियाँ स्वीकृत हैं अस्वीकृत व्यय का वर्णन कीजिए।

(गढ़वाल एवं रूहेलखण्ड 2011)

 

अथवा

 

व्यापार की आय निकालने के लिए कौन सी छूटें स्वीकृत हैं?

(गढ़वाल,2009)

अथवा

 

एक व्यापार के करयोग्य लाभों की गणना करने में कौन-कौन से व्यय स्वीकृत हैं तथा यह भी बताइये कि वे कौन से व्यय अथवा हानियाँ हैं जो अस्वीकृत हैं। 

(गढ़वा,2010; आगरा, 2008) 

 

अथवा

 

‘व्यापार अथवा पेशा’ शीर्षक के अन्तर्गत आय की गणना करने में स्पष्ट रूप से अस्वीकृत व्यय कौन-कौन से हैं?

(रूहेलखण्ड, 2008 Imp)

 

उत्तर- व्यापार के करयोग्य लाभों की गणना करने में स्वीकृत व्यय अथवा हानियाँ : व्यापार के कर योग्य लाभों की गणना करने में कुछ व्ययों की कटौती तो स्पष्टतया स्वीकृत है और कुछ व्ययों को वाणिज्य सिद्धांतों के अन्तर्गत स्वीकृत किया गया है।

 

(1) स्पष्टतया स्वीकृत व्यय/कटौतियाँ (Deductions expressly allowed)

 

व्यापार अथवा पेशे की कर-योग्य आय की गणना करने के लिए आय-कर अधिनियम की धाराओं 30 से 36 के अन्तर्गत निम्नलिखित व्यय एवं हानियाँ कटौतियों के रूप में स्पष्टतया स्वीकृत हैं-

 

  1. व्यापार अथवा पेशे के काम में आने वाले भवन से सम्बन्धित किराया, मरम्मत, भूमि का लगान, नगरपालिका कर, बीमा प्रीमियम। [धारा 30]

 

  1. मशीन, प्लाण्ट एवं फर्नीचर की मरम्मत एवं बीमा व्यय। [धारा 31]

 

  1. हार्स। [धारा 32]

 

  1. वैज्ञानिक अनुसंधान व्यय जिसमें आयगत एवं पूंजीगत व्यय दोनों की कटौती मिलती है। [धारा 35]

 

5.1 अप्रैल, 1998 के पूर्व किये गये पेटेन्ट राईट एवं कॉपीराइट के व्यय का 1/14 वॉ भाग प्रति वर्ष। [धारा 35A]

 

  1. दूरसंचार सेवाओं के संचालन का लाईसेन्स प्राप्त करने पर पूँजीगत व्यय लाइसेन्स की अवधि में कटौती योग्य होता है। [धारा 35ABB]

 

  1. अनुमोदित परियोजनाओं एवं सामाजिक कल्याण के लिये व्यय। [धारा 35AC]

 

  1. ग्राम विकास के लिए राष्ट्रीय कोष में दिए गए अनुदान राशि। [धारा 35CCA]

 

  1. 310398 के पश्चात् किये गये प्रारम्भिक व्यय की कटौती 5 समान किश्तों में की जाती है। प्रारम्भिक व्यय, परियोजना की लागत के 5% से अधिक नहीं हो सकते । [धारा 35D]

 

  1. एकीकरण तथा विलयन के व्यय की कटौती 5 समान किश्तों में दी जाती है। [धारा 35DD]

 

11.स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति योजना के अन्तर्गत किये गये व्यय के सम्बन्ध में कटौती 5 समान किश्तों में दी जाती है। [धारा 35 DDA]

 

  1. खनिज पदार्थों पर की गई खोज की कटौती 10 समान किश्तों में दी जाती है। [धारा 35E]

 

  1. धारा 36 की अन्य कटौतियों में व्यापारिक माल का बीमा, कर्मचारियों का स्वास्थ्य बीमा उनको बोनस एवं कमीशन, उधार पर ली गई ब्याज, प्रमाणित भविष्य निधि एवं अनुमोदित सेवानिवृत्ति कोष एवं अनुमोदित ग्रेच्युटी कोष में नियोक्ता का अंशदान, कर्मचारियों से प्राप्त अंशदान का भुगतान, पशुओं के सम्बन्ध में हानि, डूबत ऋण, परिवार नियोजन सम्बन्धी व्ययों तथा बैंकिंग नकद व्यवहार कर की कटौती मिलती है। यदि कम्पनी ने परिवार नियोजन के सम्बन्ध में कोई पूंजीगत व्यय किये हैं तो उसकी कटौती 5 समान किश्तों में दी जाती है।

 

(II) वाणिज्य सिद्धांत के अनुसार स्वीकृत कटौतियाँ धारा 37]

 

धारा 37 के अनुसार किसी व्यय की कटौती तभी स्वीकृत होगी जब वह पूँजीगत तथा व्यक्तिगत व्यय नहीं हो एवं पूर्णतया करदाता व्यापारी के व्यापार अथवा पेशे के लिए उस गत वर्ष में किया गया हो। धारा 37 के अन्तर्गत स्वीकृत सामान्य कटौतियों के कुछ प्रमुख उदाहरण इस प्रकार हैं

 

  1. माल के क्रय करने, निर्माण तथा विक्रय करने के सम्बन्ध में किये गये व्यय।
  2. व्यापार की बिक्री बनाये रखने के लिए किये गये सामान्य विज्ञापन व्यय।
  3. व्यापार को चलाने के सम्बन्ध में किये गये दिन-प्रतिदिन के सामान्य व्यय।
  4. श्रम कल्याण पर किया गया व्यय।

5.चुकाये गये बिक्री कर की रकम तथा बिक्री कर की अपील करने के सम्बन्ध में व्यय।

  1. व्यापार के लिए ऑर्डर लाने के सम्बन्ध में दिया गया कमीशन।
  2. कर्मचारियों के काम करने के दौरान किसी दुर्घटना के होने से उन्हें क्षतिपूर्ति की सजाने वाली रकम।
  3. कर्मचारियों को दी गयी कोई पेंशन अथवा ग्रेच्युटी।
  4. दशहरा, दिवाली, मुहूर्त, आदि पर उचित व्यय की राशि।
  5. कोई अनिवार्य चन्दा अथवा ऐसा चन्दा जिसका देना व्यापार के हित में हो।
  6. व्यापार अथवा पेशे से सम्बन्धित कानूनी व्यय।
  7. ऋण लेने के सम्बन्ध में व्यय तथा ऋणपत्र निर्गमित करने के व्यय।
  8. व्यापार के लिए सम्पत्ति क्रय करने के सम्बन्ध में अदत्त क्रय मूल्य पर दिया गया ब्याज बर्तन ऐसी सम्पत्ति व्यापार के कार्य में प्रयोग की गई हो।
  9. व्यापार के सम्भावित राष्ट्रीयकरण को रुकवाने पर किये गये व्यय।
  10. नया टेलीफोन लगवाने पर व्यय एवं तत्काल टेलीफोन जमा योजना में जमा की गई राशि
  11. आबकारी शुल्क (Excise Duty) का भुगतान।
  12. स्थानीय सत्ता द्वारा लगाया गया व्यावसायिक कर जिसका चुकाना व्यापार चलाने की अनुमति के लिए आवश्यक है।
  13. किसी संचालक द्वारा प्रबन्धित कम्पनी के व्यापार का विकास करने के लिए संचालक के विदेशी दौरे (Tour) पर व्यय।

 

प्रतिभूति लेन-देन पर कर (Securities Transaction Tax)- प्रतिभूति लेन-देन कर व्यय के रूप में स्वीकृत होंगे। [Sec.40(a)(ib)]

 

स्वीकृत हानियों के कुछ प्रमुख उदाहरण-

 

  1. डकैती से हानि- डकैती से हानि बशर्ते व्यापार के दौरान हुई है तथा व्यापार से सम्बन्धित है।

 

  1. गबन, चोरी, आदि से हानि- एक कर्मचारी जो व्यापार में रुपये-पैसे के लेन-देन का कार्य करता है, अपनी ड्यूटी के दौरान गबन कर लेता है तो हानि स्वीकृत होगी।

 

  1. दीमक द्वारा हानि- व्यापार के दौरान सामग्री अथवा अन्य माल की दीमक से हानि।

 

  1. पेशगी (अग्रिम) दी गयी राशियों के न वसूल होने से हानि- माल की आपूर्ति करने वालों को यदि ऑर्डर के साथ दी गई अग्रिम राशि डूब जाने के कारण होने वाली हानि।

 

  1. युद्ध, प्राकृतिक आपदा, आदि कारणों से रहतिये की हुई हानि।

 

अस्वीकृत व्यय (Expenses Disallowed)

 

व्यापार के कर योग्य लाभों की गणना करने में निम्नलिखित व्यय स्पष्टतया अस्वीकृत हैं –

 

  1. धारा 37(2B) के अनुसार, किसी राजनीतिक पार्टी द्वारा प्रकाशित सोविनियर आदि में विज्ञापन पर करदाता द्वारा किया गया व्यय।

 

  1. भारत के बाहर भुगतान, धारा 40(a) के अनुसार, यदि कोई ब्याज, रॉयल्टी, तकनीकी सेवाओं की फीस या कोई अन्य राशि, जो भारत के बाहर भुगतान की जाए और इस अधिनियम के अन्तर्गत कर-योग्य है परन्तु उस भुगतान पर उद्गम स्थान पर कर (T.D.S) नहीं काटा गया है या कर का भुगतान नहीं हुआ है तो इस प्रकार किया गया भुगतान स्वीकृत व्यय नहीं होगा।

 

  1. व्यापार अथवा पेशे लाभों पर लगाया गया कोई कर 

 

  1. कर्मचारियों के अनुलाभ पर स्वेच्छा से दी गई आय-कर की राशि

 

  1. रिश्तेदारों आदि को अत्यधिक भुगतान- धारा 40A(2) के अनुसार, व्यापार के सम्बन्ध में किया गया ऐसा व्यय जिसका भुगतान किसी रिश्तेदार या सहयोगी संस्था को किया गया हो या किया जाना हो, और कर-निर्धारण अधिकारी की दृष्टि में यह भुगतान अत्यधिक अथवा अनुचित है तो उसकी दृष्टि में जितनी अधिक धनराशि का भुगतान किया गया है उतनी राशि अस्वीकृत मानी जाएगी।

 

  1. रोकड़ में भुगतान [धारा 40A(3)] किसी व्यय का कोई भुगतान या भुगतानों का योग जो एक दिन में किया गया 20,000 रुपये से अधिक हो और पाने वाले के खाते में देय चैक अथवा पाने वाले के खाते में देय बैंक ड्राफ्ट द्वारा न किया जाकर अन्य प्रकार किया जाये, तो ऐसे व्यय का 100% भाग अर्थात् भुगतान की गई सम्पूर्ण राशि अस्वीकृत होगी।

 

यदि भुगतान माल वाहनों को चलाने भाड़े पर देने या पट्टे पर देने के सम्बन्ध में किया गया है तो यह राशि 20,000 रु. के स्थान पर 35,000 रु. होगी। (कर निर्धारण वर्ष 2010-11 से प्रभावी)

 

  1. ग्रेच्युटी के लिए आयोजन [धारा 40A(7)] कर्मचारियों के रिटायर होने अथवा नौकरी समाप्त होने पर ग्रेच्युटी का भुगतान करने के लिए किये गये आयोजन की राशि

 

9.किसी फण्ड या ट्रस्ट में अंशदान धारा 40A(9)- नियोक्ता द्वारा गैर-अनुमोदित फण्ड के लिए कोई भुगतान या अंशदान।

 

  1. अन्य व्यय- धारा 40 व 40A में दिये गये अस्वीकृत व्ययों के अतिरिक्त निम्नलिखित व्यय अथवा हानियाँ भी अस्वीकृत है

 

(i) मालिक अथवा साझेदार के आहरण (निजी व्यय/घरेलु व्यय)।

(ii) स्वयं की पूँजी पर ब्याज।

(iii) धन कर, आय-कर एवं आय-कर के विलम्ब भुगतान पर देय ब्याज

(iv) ऐसी क्षति या ज्यय जिसका व्यापार अथवा पेशे से कोई सम्बन्ध नहीं है।

(v) स्वीकृत हास से अधिक हास राशि।

(vi) दान, चन्दा एवं भेंट तथा उपहार के रूप में दी गई राशि।

 

कुछ व्यय की वास्तविक भुगतान पर ही कटौती स्वीकृत है- धारा 43B के अन्तर्गत कर, शुल्क, फीस, कर्मचारियों को बोनस एवं कमीशन; सार्वजनिक वित्तीय संस्था को देय ब्याज, अवकाश के स्थान पर वेतन, अनुसूचित बैंक, सहकारी बैंक से लिये गये ऋण पर ब्याज की कटौती तभी स्वीकृत होती है यदि इनका भुगतान कर निर्धारण वर्ष में आव विवरणी दाखिल करने की समय सीमा के पूर्व कर दिया गया हो, अन्यथा यह भुगतान के में कटौती योग्य होंगे।

 

प्रश्न 18–एक व्यापारी द्वारा लाभ-हानि खाते को आय-कर के दृष्टिकोण से संशोधि करने की क्या विधि है? समझाइये। संशोधित लाभ-हानि खाते का एक प्रारूप दीजिए।

 

उत्तर- व्यापारी द्वारा तैयार किये गये लाभ-हानि खाते में संशोधन की आवश्यकता व्यापारी द्वारा बनाये गये लाभ-हानि खाते के द्वारा दर्शाया गया लाभ आय-कर की दृष्टि से ठीक नहीं होता है। आय-कर की दृष्टि से लाभों की सही रकम ज्ञात करने के लिए व्यापारी द्वारा बनाये गये लाभ-हानि खाते में संशोधन करना आवश्यक है।

संक्षेप में, निम्नलिखित बिन्दुओं के कारण व्यापारी द्वारा तैयार किये खाते में संशोधन करना आवश्यक है-

(i) तैयार किये गये लाभ खाते में कुछ व्यय स्वीकृत राशि से कम या अधिक दर्शाये गये हों।

(ii) कुछ व्यय जो अधिनियम द्वारा स्वीकृत हैं, किन्तु व्यापारी ने तैयार किये गये लाभ-हानि खाते में न लिखा हो।

(iii) पूँजीगत प्रकृति के व्यय को लाभ-हानि खाते में प्रदर्शित किया हुआ हो।

(iv) व्यापारी के अपने निजी व्यय को व्यवसाय के लाभ- हानि खाते में प्रदर्शित किया हुआ हो।

(v) लाभ- हानि खाते में प्रदर्शित अनेक व्यय ऐसे हो सकते हैं जो उस गत वर्ष या उस व्यापार से सम्बन्धित नहीं है।

(vi) व्यापारी द्वारा लाभ- हानि खाते में ऐसी आयें लिख दी जाती हैं जो व्यवसाय अथवा पेशे के लाभ’ शीर्षक में कर-योग्य नहीं होती हैं बल्कि आय के अन्य शीर्षक में कर-योग्य होती हैं।

 

(vi) कुछ ऐसी भी आयें हो सकती हैं जिन्हें लाभ- हानि खाते में शामिल नहीं किया गया है, जबकि उन्हें शामिल किया जाना चाहिए।

 

व्यापारी द्वारा बनाये गये लाभ-हानि खाते में आय कर के दृष्टिकोण से संशोधन करने के नियम

 

(i) लाभ-हानि खाते के डेबिट पक्ष में प्रदर्शित अस्वीकृत व्ययों को जोड़ना- करदाता द्वारा तैयार किये गये लाभ-हानि खाते द्वारा जो लाभ दर्शाया गया है, उसमें उन व्ययों एवं हानियों अथवा इनके किसी भाग को जोड़ना चाहिए जो अधिनियम द्वारा अस्वीकृत हैं परन्तु करदाता ने उन्हें तैयार किये गये लाभ-हानि खाते के डेबिट पक्ष में लिखा हुआ है।

 

(ii) लाभ-हानि खाते में न लिखे गये स्वीकृत व्यय को घटाना- करदाता द्वारा तैयार किये गये लाभ-हानि खाते में बिल्कुल भी न लिखे गये अथवा आंशिक रूप से न लिखे गये व्यय को ज्ञात किये गये लाभ में से घटा देंगे।

 

(iii) लाभ-हानि खाते में प्रदर्शित अन्य किसी शीर्षक में कर-योग्य आयों को घटाना– यदि लाभ-हानि खाते में कोई ऐसी आय शामिल की गई है जो इस शीर्षक में कर-योग्य नहीं है तो करदाता द्वारा ज्ञात किये गये लाभ में से इस आय की रकम को घटा देंगे।

 

(iv) व्यापार अथवा पेशे के लाभ शीर्षक से सम्बन्धित शामिल न की गई आय को जोड़ना- यदि कोई आय ऐसी है जो व्यापार के लाभों में शामिल होनी चाहिए, किन्तु इसे तैयार किये गये लाभ-हानि खाते में शामिल नहीं किया गया है तो ऐसी आय की रकम को ज्ञात किये गए लाभ की रकम में जोड़ देंगे।

 

(v) घरेलू व्यय-लाभ- हानि खाते में डेबिट हुए व्यक्तिगत/घरेलू व्ययों को लाभों में जोड़ा जायेगा।

 

(vi) पूँजीगत हानियाँ- खाते में डेबिट हुई पूँजीगत हानियों को करदाता द्वारा निकाले गये लाभ में जोड़ेंगे।

 

(vii) लाभ- हानि खाते की डेबिट में लिखे गये प्रत्यक्ष करों के भुगतान को जोड़ना- आय-कर, धनकर आदि प्रत्यक्ष करों को यदि लाभ-हानि खाते की डेबिट में प्रदर्शित किया हुआ है तो डेबिट किये गये प्रत्यक्ष करों की रकम को ज्ञात किये लाभ की रकम में जोड़ देंगे।

 

संशोधित लाभ-हानि खाते का प्रारूप

 

लाभ-हानि खाते/आय-व्यय खाते द्वारा दिखाया गया शुद्ध लाभ/आधिक्य (Profit or Surplus as per P/L A/c or Income or Expenditure A/C) जोड़िये (Add):

 

  1. अस्वीकृत व्यय जो लाभ-हानि खाते अथवा आय-व्यय खाते में डेबिट कर दिए गए I (Expenses disallowed but debited to P/L or l& E A/c) 
  2. पूंजीगत व्यय अथवा व्यक्तिगत व्यय जो लाभ-हानि खाते अथवा आय-व्यय खाते में डेबिट कर दिए गए हैं। (Capital expenses or personal expenses which have been debited to P/L or I &E A/c)

3.व्यय की स्वीकृत राशि से अधिक राशि जो लाभ-हानि खाते अथवा आय-व्यय खाते a (Excess amount of expenditure over admissible limit debited to P/LA/c)

  1. हानियां जो स्वीकृत नहीं हैं परन्तु लाभ-हानि खाते अथवा आय-व्यय खाते में डेबिट (Losses not allowed but debited to P/L A/c or I&E A/c)
  2. आयें जो व्यापार या पेशे के शीर्षक में कर-योग्य हैं परन्तु लाभ-हानि खाते या आय-व्यय खाते में क्रेडिट नहीं की गई। (Incomes taxable under this head but not credited to P/L A/C)

 

घटाइये (Less)

 

  1. स्वीकृत व्यय जो लाभ-हानि खाते अथवा आय-व्यय खाते में डेबिट नहीं किए गए हैं। (Expenses allowed but not debited to P/L A/c)
  2. ऐसी स्वीकृत हानियां जो लाभ-हानि खाते अथवा आय-व्यय खाते गई है। (Losses allowed but not debited to P/LAIC)
  3. ऐसी आयें जो व्यापार अथवा पेशे के शीर्षक में कर-योग्य नहीं हैं परन्तु लाभ-हानि खाते अथवा आय-व्यय खाते में क्रेडिट कर दी गई हैं। (Incomes not taxable under this head but credited to P/L A/C)
  4. ऐसी प्राप्तियां अथवा आयें जो पूर्णतया कर-मुक्त हैं परन्तु लाभ-हानि खाते अथवा आय-व्यय खाते में क्रेडिट कर दी गई। (Tax free receipts or incomes credited to P/L A/C)

 

व्यापार अथवा पेशे की कर-योग्य आय (Profit and Gains of Business or Profession)

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