Contracts of Agency Business Law Notes in Hindi

Contracts of Agency Business Law Notes in Hindi

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Contracts of Agency Business Law Notes in Hindi
Contracts of Agency Business Law Notes in Hindi

एजेन्सी अनुबन्ध

(Contracts of Agency)

नियोक्ता एजेण्ड के विरुध्द एजेण्ड के कर्तव्य (Duties of an agent to his principal) एजेण्ड अपने नियोक्ता का प्रतिनिधित्व क्ल्र्ता है, अत: उसे एजेन्सी के कार्य को पूर्ण सावधानी, चतुरता, ईमानदारी एवं निष्ठापूर्वक करना चाहियें | सदैव नियोक्ता के हित को प्राथमिकता देनी चाहिये एवं उसी प्रकार कार्य करना चाहिये | सदैव नियोक्ता के हित को कोई व्यक्ति स्वयं के लिये करता है | संक्षेप में, नियोक्ता के प्रति एजेण्ड के मुख्य कर्तव्य निम्न प्रकार है –




1, प्रधान के आदेशानुसार कार्य करना (धारा 211) (To work according to principal’s instructions) – एजेण्ड का मूल कर्तव्य है की वह नियोक्ता के आदेशानुसार कार्य करे | स्पष्ट आदेश के आभाव में एजेण्ड को क्षेत्र तथा व्यापार विशेष में प्रचलित रीती-रिवाजो के अनुसार कार्य करना चाहिये | यदि एजेण्ड ऐसा नही करता और इससे प्र्धना को कुछ हानि होती है, तो एजेण्ड को उसकी क्षतिपूर्ति करनी होगी और यदि उसे कोई लाभ होता है तो उसका हिसाब-किताब नियोक्ता को देना होगा |

उदाहरणार्थ, एजेण्ड ने प्रधान के लिये माल खरीद कर एक गोदाम में रख दिया | प्रधान ने एजेण्ड को माल का बिमा करवाने का स्पष्ट आदेश दे रखा था, परन्तु एजेण्ड ने बीमा नही करवाया | माल नष्ट हो जाने पर माल के मूल्य के लिये प्रधान के प्रति उत्तरदायी माना जायेगा |

2, उचित कौशल एवं परिश्रम से कार्य करना (To work with reasonable skill and diligence) एजेण्ड को एजेन्सी का कारोबार उतनी ही चतुराई, कौशल एवं परिश्रम से करना चाहिये जितना की उस प्रकार का व्यापार करने वाले व्यक्तियोअ से सामान्यत: अपेक्षित है | एजेण्ड अपनी लापरवाही, योग्यता, अपेक्षा या दुराचरण से होने वाल प्रत्यक्ष हानियों की क्षतिपूर्ति हेतु उत्तरदायी होगा, परन्तु वह अप्रत्यक्ष अथवा दूर के कारणों से उत्पन्न होने वाली हानियों के लिये उत्तरदायी नही होता |

उदाहरणार्थ, अशोक को अपने प्रधान मोहन की और से उधर माल बेचने का अधिकार है | अशोक, रोहित को उसकी आर्थिक स्थिति के बारे में पूछताछ किये बिना उधर माल बेच देता है | माल खरीदते समय ही रोती दिवालिया था | ऐसी दशा में मोहन को हुई हानि के लिए अशोक उत्तरदायी होगा |

3, उचित रूप में हिसाब-किताब रखना एवं प्रधान को प्रस्तुत करना (धारा 212) (To keep and render proper accounts) एजेण्ड यह महत्वपूर्ण कर्तव्य है की वह एजेन्सी सम्बन्धी लेन-देनो का सही-सही हिसाब रखे और जिस समय भी प्रधान हिसाब माँगे उसका सम्पूर्ण हिसाब दे दे | (धारा 213)

4, कठिनाई के समय प्रधान से सम्पर्क करना (धारा 214) (To communicate with principal in cases of difficulty) एजेण्ड का यह कर्तव्य है की वह कठिनाई के समय वह प्रधान से सम्पर्क स्थापित करके आवश्यक आदेश प्राप्त करने का प्रयत्न करे | यदि प्रधान से सपर्क करना असम्भव हो तो उसे साधारण विवेक वाले व्यक्ति के समान पूर्ण सद्भावना से प्रधान के हितो की रक्षा के लिये कार्य करना चाहिये अन्यथा वह हुई हानि के लिये उत्तरदायी होगा |

5, निजी हिसाब में व्यवहार न करना (धारा 215 एवं 216) (Not deal on his own account) एजेण्ड व नियोक्ता का सम्बन्ध विशवसाश्रित सम्बन्ध है | अत: एजेण्ड को बिना नियोक्ता की अनुमति लिये एवं ऐसी समस्त महत्वपूर्ण बातो की जानकारी उसे कराये बिना जिनका की उसे ज्ञान है, एजेन्सी के व्यवसाय में अपने स्वयं के हिसाब में कोई व्यवहार नही करना चाहिये | यदि एजेण्ड प्रधान को बिना बताये या प्रधान से महत्वपूर्ण तथ्य छिपाकर अपने नाम से कोई कार्य करता है, तो प्रधान को यह अधिकार होगा की वह एजेण्ड से उस सम्पूर्ण लाभ को वसूल कर ले जो की उसने (एजेण्ड ने) कमाया और यदि कोई हानि हुई है तो प्रधान उस हानि को  पूरी करने के लिये उत्तरदायी नही होगा | कहने का अभिप्राय यह है कि यदि कोई एजेण्ड अपनी निजी नाम में कोई व्यवहार करता है तो प्रधान उस सौदे या व्यवहार को रद कर सकता है |

उदाहरणार्थ, अतुल किसी एक विशिष्ट मकान को खरीदने के लिये संदीप को अपने एजेण्ड के रूप में नियुक्त करता है | संदीप, अतुल कहता है कि वह मकान नही खरीदा जा सकता और उस मकान को स्वयं अपने लिये खरीद लेता है | इस बात का पता चलने पर अतुल, संदीप से वह मकान उसी मूल्य पर हस्तान्तरित करा सकता है |

6, प्रधान के लिये प्राप्त राशि प्रधान को देना (To pay sums received on behalf of the principal) एजेण्ड का यह कर्तव्य है की उसने जो भी धन प्रधान के लिये प्राप्त किया है, उसमे से स्वयं को देय राशि काटकर शेष रकम का भुगतान प्रधान को कर दे (धारा 217-218) |



उप-एजेण्ड का अर्थ एवं परिभाषा

(Meaning and definition of SUV-agent)

भटिय अनुबन्ध अधिनियम की धारा 191 के अनुसार, “उप-एजेण्ड एक ऐसा व्यक्ति है जो एजेन्सी व्यापर में मूल एजेण्ड के द्वारा नियुक्त किया जाता है तथा उसके नियन्त्रण में कार्य करता है |

उदाहरणार्थ, ‘अ’ ने किसी कार्य ‘ब’ को अपना एजेण्ड नियुक्त किया और ‘ब’ इस कार्य के लिये ‘स’ को नियुक्त किया और ‘ब’ इस कार्य के लिये ‘स’ को नियुक्त कर देता है | यहाँ पर ‘स’ उप-एजेण्ड है | उप-एजेण्ड के लिये मूल एजेण्ड प्रधान के समान होता है |

उप-एजेण्ड की नियुक्ति की दशाएँ (Conditions for appointment of sub-agent) – यदि स्पष्ट रूप से एजेण्ड को उप-एजेण्ड नियुक्त करने के आधार से वंचित नही किया गया है तो निम्नलिखित परिस्थितियों में एक एजेण्ड, उप-एजेण्ड की नियुक्ति कर सकता है –

(i) जब नियुक्त द्वारा अपने एजेण्ड को उप-एजेण्ड की नियुक्ति करने का स्पष्ट अधिकार दे दिया गया है,

(ii) जब व्यापार की प्रथा के अनुसार उप-एजेण्ड की नियुक्त किया जा सकता हो,

(iii) यदि एजेन्सी व्यापार का स्वभाव इस प्रकार का है की उप-एजेण्ड की नियुक्ति आवश्यक हो और इसकी नियक्ति के अभाव में कार्य संचालन कठिन हो,

(iv) जब नियोक्ता जनता है कि एजेण्ड, उप-एजेण्ड रखना चाहता है और वह उसे स्पष्ट रूप से ऐसा करने से मना नही करता,

(v) जब कोई लिपिकीय प्रकृति (Clerical Nature) का है एवं जिसके लिये विशेष सूझ-बुझ एवं गोपनीय की आवश्यकता न हो,

स्थानापन एजेण्ड (Substituted Agent)

“जबी कोई एजेण्ड नियोक्ता से प्राप्त स्पष्ट अथवा गर्भित अधिकार के आधार पर एजेन्सी के कारोबार में किसी अन्य नियोक्ता की और से कार्य करने के लिये नामांकित करता है, तो ऐसा अन्य व्यक्ति को नियोक्ता की ओर से कार्य करने के लिये नामांकित जरता हिया, तो ऐसा अन्य व्यक्ति ‘स्थानापन्न एजेण्ड’ कहलाता है |” स्थानापन्न एजेण्ड मूल एजेण्ड की भाँती कार्य करता है तथा सीधा नियोक्ता के प्रति उत्तरदायी होता ई | (धारा 194)

उदाहरण – अमित गाजियाबाद में कपिल ऋण राशि वसूल करने के लिये सुमित को एजेण्ड के रूप में नियुक्त करता है | सुमित कार्य के लिये रामनाथ नाम के एक वकील को कपिल के विरुध्द वैधानिक कार्यवाही करने का आदेश देता है | यहाँ पर रामनाथ, अमित का एजेण्ड कहलायेगा न कि सुमित का अर्थात् सामनाथ को स्थानापन्न एजेण्ड कहा जायेगा |

स्थानापन्न एजेण्ड को नामांकित करते समय मूल एजेण्ड का कर्तव्य (Agent’s duty in naming such substituted agent) अपने नियोक्ता के लिये स्थानापन्न एजेण्ड का चुनाव करते समय एजेण्ड को उतने ही विवेक से कार्य करना चाहिये, जितने विवके से एक साधारण बुध्दि वाला व्यक्ति अपने निजी मामले में करता, और यदि वह ऐसा करता है, तो इस प्रकार से चुने गये एजेण्ड के कार्यो के लिये अथवा उसकी असावधानियों (Negligence) के लिये वह (मूल एजेण्ड) नियोक्ता के प्रति उत्तरदायी नही होगा | (धारा 195)

उदाहरण – रमेश अपने एजेण्ड दिनेश की अपने लिये एक जहाज खरीदने का आदेश देता है | दिनेश एक ख्याति प्राप्त विशेपज्ञ सुरेश को जहाज खरीदने के लिये नियुक्त करता है | सुरेश ने जहाज के चुनाव में लापरवाही से कार्य किया | परिणामस्वरूप खाक समुंद्र में डूब गया | रमेश के प्रति दिनेश नही, सुरेश उत्तरदायी है |

उप-एजेण्ड और स्थानापन्न एजेण्ड में अन्तर

(Difference between sub-agent and substituted agent)

अन्तर का आधार उप-एजेण्ड (sub-agent) स्थानापन्न एजेण्ड (Substituted Agent)
1.       स्थिति उप-एजेण्ड के अधीन काम करता है | स्थानापन्न एजेण्ड स्वतन्त्र रूप से प्रधान एजेण्ड के रूप में काम करता है |
2.      परिश्रमिक माँगने का आधिकार उप-एजेण्ड अपने पारिश्रमिक की माँग प्रधान से नही कर सकता | स्थानापन्न एजेण्ड मूल एजेण्ड का स्थान ग्रहण करता है | अत: वह अपना परिश्रमिक प्रधान से माँग सकता है |
3.      प्रधान द्वारा उत्तरदायी ठहराना प्रधान उप-एजेण्ड को उसके कार्यो के लिये उत्तरदायी नही ठहराया सकता | प्रधान, स्थानापन्न एजेण्ड को उसके कार्यो के लिये उत्तरदायी ठराया जा सकता है |
4.      दायित्व उप-एजेण्ड, एजेण्ड के प्रति उत्तरदायी होता है तथा कपट अथवा जानबुझकर की गयी गलतियों के अतिरिक्त वह प्रधान के प्रति उत्तरदायी नही होता | स्थानापन्न एजेण्ड केवल प्रधान के प्रति उत्तरदायी होता है |

 

एजेण्ड का तृतीय पक्ष के प्रति व्यक्तिगत दायित्व

(Personal Liability of Agent against third party)

सामान्य नियम यह है की यदि कोई एजेण्ड तीसरे पक्षकार को अपने प्रधान का नाम बताकर कोई अनुबन्ध करता है तो वह तीसरे पक्षकारों के प्रति व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी नही ठहराया जा सकता | धारा 230 में स्पष्ट आदेश है कि किसी विपरीत अनुबन्ध के अभाव में नियोक्ता के लिये किये गये अनुबन्धो को न तो एजेण्ड स्वयम लागु (Enforce) ही करा सकता है और न ही वह ऐसे अनुबन्धो के लिये व्यक्तिगत रूप से बाध्य होगा | वस्तुतः एजेण्ड तो केवल मात्र अपने प्रधान और तीसरे पक्ष के बीच वैधानिक सम्बन्ध की स्थापना करता है | इसलिये एक एजेण्ड द्वारा किया गया कार्य उसके नियोक्ता का कार्य माना जाता है |

उदाहरणार्थ, ‘अ’, ‘ब’ का एजेण्ड है और ‘स’ के साथ ‘ब’ का मकान बेचने का अनुबन्ध करता है बाद में ‘स’ मकान नही खरीदता है तो ‘अ’, ‘स’ स्वयं वाद प्रस्तुत कर सकता है और उसके विरुध्द भी अन्य पक्षों द्वारा वाद प्रस्तुत किया जा सकता है –

1, जब स्पष्ट रूप से ऐसा अनुबन्ध किया हो (When the contract Expressly Provides) यदि तृतीय पक्षकार प्रधान की अच्छी तरह नही जानते और वे अनुबन्ध करते समय ही यह स्पष्ट कर देते है की अनुबन्ध भंग होने की दशा में वे एजेण्ड को ही उत्तरदायी ठहरायेंगे | एजेण्ड यदि इस बात के लिये सहमत हो जाता है, तो एजेण्ड व्यकतिगत रूप से उत्तरदायी हो जाता है | कभी-कभी गर्भित रूप से भी एजेण्ड व्यक्तिगत दायित्व स्वीकार कर लेता है |

2, विदेशी प्रधान के लिये कार्य करने पर (Acting for a foreign principal) जब एजेण्ड किसी विदेशी प्रधान के लिये क्रय-विक्रय करता है तो अनुबन्ध के निष्पादन के लिये एजेण्ड व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी होता है | इस नियम की मान्यता यह है कि अनुबन्ध तोसरे पक्षकार द्वारा एजेण्ड की साख पर किया गया है, विदेशी प्रधान की साख पर नही |

3, अप्रकट प्रधान के लिए कार्य करने पर (Acting for Undisclosed principal) यदि एजेण्ड अपने प्रधान का नाम प्रकट नही करता रो न ही तीसरे पक्षकार को नियोक्ता के नाम की जानकारी है तथा न ही प्रभाव का नाम जानने के लिये पर्याप्त साधन उपलब्ध हों, तो ऐसी दशा में किये गये व्यवहार के लिये एजेण्ड व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी होगा |

4, नियोक्ता पर वाद प्रस्तुत न किये जा सकने पर (Acting for a principal who cannot be sued) जब एजेण्ड ने प्रधान का नाम तो प्रकट कर दिया परन्तु प्रधान के विरुध्द कोई क़ानूनी कार्यवाही नही की जा सकती हो, रो एजेण्ड तीसरे पक्षकारो के प्रति व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी होता है |

उदाहरणार्थ, किसी अवयस्क या विदेशी राजदूत के लिये कार्य करने पर एजेण्ड व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी होता है क्योकि अवयस्क एवं विदेशी राजदूत पर अनुबन्ध करने के अयोग्य होने के कारण वाद प्रस्तुत नही किया जा सकती है |

5, विनिमय-साध्य विलेखो पर स्वयम हस्ताक्षर करने पर (By signing a negotiable instrument in his own name) जब कोई एजेण्ड किसी विनिमय साध्य विलेख जैसे विनिमय-पत्र, प्रतिज्ञा-पत्र, चैक आदि पर बिना यह स्पष्ट किये हुये की वह एजेण्ड हिया, अपने नाम से हस्ताक्षर करता है तो एजेण्ड व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी होता है |




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