Business Environment Study Material Suggestions Ending Meaning Social Injustice
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Social Injustice सामाजिक अन्याय
सामाजिक अन्याय का अर्थ Meaning of Social Injustice
Business Environment Study Material Suggestions Ending Meaning Social Injustice : सामाजिक अन्याय से तात्पर्य समाज के विभिन वर्गो के साथ किये जाने वाले अन्याय से है | यह अल्पकालीन एव दीर्घकालीन दोनों प्रकार का हो सकता है | अल्पकालीन सामाजिक अन्याय की तुलना में दीर्घकालीन सामाजिक अन्याय अधिक घतक होता है तथा इसका प्रभाव कई पीड़ियो तक बन रहता है |
आज विभिन राष्टो में आर्थिक विकास की एक महत्वपूर्ण समस्या सामाजिक अन्याय है | यदि आर्थिक विकास सामाजिक कल्याण ततः आर्थिक समानता को नही बढ़ा पाता है तो उसके वास्तविक ध्येय की पूर्ति नही हो पाती है |अधिकतर राष्टो ने आर्थिक विकास की परिधि को केवल राष्टीय आय में वर्धि करने तक ही सिमित रखा है,इसी कारण से इन राष्टो में आर्थिक विकास तो हुआ है | परन्तु सामाजिक कल्याण के उदेश्य की प्राप्ति नही हो पाई | विकासशील राष्टो में अशिश्रा, रूढ़िवादिता, अन्धविश्वास आदि अनेक घटक है जो सामाजिक अन्याय को दूर करने में बाधक बने हुए है | सामाजिक अन्याय के अंतर्ग्रत कमजोर, पिछड़े वर्गो, अनुसूचित जाति तथा जनजाति पर होने वाले अत्याचारों, स्त्रियों के साथ सामाजिक अन्याय, जाति प्रथा के कारण अन्याय आदि को शामिल किया जाता है |
सामाजिक अन्याय के प्रमुख सूचकाक (सूचक) Key Indicators of Social Inequality
- मानव विकास सूचकांक— मानव विकास के तीन आधारभूत पहलुओ—(i) दीर्घ आयु एव स्वास्थ्य, (ii) शिछा एव ज्ञान, (iii) अच्छे जीवन स्तर के आधार पर मानव विकास सूचकांक (HDI) की गणना की जाती है | HDI का ऊँचा स्तर सामाजिक न्याय का प्रतीक माना जाता है तथा निम्न स्तर सामाजिक अन्याय का प्रतीक माना जाता है | UNDP की रिपोर्ट के अनुसार, सन 2013 में भारत में HDI का सूचकांक 0.554 था, जबकि सन 1992 में यह 0.439 था | HDI की द्रष्टि से भारत का स्थान विश्व में 136वा है | अत: मानव विकास सूचकांक में व्रद्धि करने के लिये शिछा, स्वास्थ्य, सफाई, पेय जल आदि सुविधाओ पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है |
- निर्धनता— किसी राष्ट में निर्धनता के स्तर के द्वारा भी सामाजिक अन्याय को मापा जा सकता है | निर्धनता का उच्च स्तर सामाजिक अन्याय का प्रतीक होता है | भारत में पिछले वर्षो में गरीबी अनुपात एव गरीबो की सख्या में कमी आयी है, लेकिन अभी भी विश्व में सबसे अधिक निर्धन व्यक्ति भारत में ही पाए जाते है |
- श्रम एव रोजगार स्थिति— देश मे श्रम एव रोजगार की स्थिति के द्वारा भी सामाजिक न्याय को मापा जा सकता है श्रम को उसकी योग्गता के अनुसार कार्य मिलना सामाजिक न्याय को प्रकट करता है | लेकिन यदि देश में अधिकाश श्रम शक्ति रोजगार की तलाश में भटकती रहती है तो यह सामाजिक अन्याय की स्थिति को दर्शता है | भारत में जनसख्या एव श्रम शक्ति में तेजी से व्रद्धि हो रही हिया जबकि रोजगार के अवसरों में वांछित व्रद्धि नही हो पा रही है | इसी कारण अनेक युवक असामाजिक गतिविधियों में लिप्त हो रहे है |
- लैगिक विकास सूचकांक— लैगिक विकास सूचकांक (GDI) के द्वारा भी सामाजिक न्याय को मापा जा सकता है | इससे लिग के आधार पर होने वाले भेदभाव का पता लगाया जा सकता है | GDI का ऊँचा स्तर समाज में लैगिक न्याय का परिचायक होता है तथा निम्न स्तर सामाजिक अन्याय को दर्शाता है | यधपि वर्ष 1992 की तुलना में वर्ष 2000 में भारत में लैगिक विकास सूचकांक में काफी व्रद्धि हुई है लेकिन अभी भी हम श्रीलंका, चीन एव इण्डोनेशिया जैसे विकासशील देशो से बहुत पीछे है |
- जनसख्या व्रद्धि दर— अधिक जनसख्या के कारण देश में भुखमरी, बेरोजगारी, आर्थिक सामाजिक विषमताए, अशिश्रा, निम्न जीवन स्तर जैसे अनेक समस्याए उत्पन होती है ये सभी सामाजिक अन्याय में व्रद्धि करती है | भारत में अधिक जनसख्या के कारण लोगो को इस प्रकार की समस्याओ का सामना करना पड़ रहा है | अत: सामाजिक न्याय के लिये यह आवश्यक है की जनसख्या व्रद्धि दर को शीघ्र से शीघ्र नियन्त्रित किया जाए |Business Environment Study Material Suggestions Ending Meaning Social Injustice
सामाजिक अन्याय को समाप्त ( दूर ) करने हेतु सुझाव Suggestions for Ending Social Injustice
- शिछा सुविधाओ का विस्तार— देश में सामाजिक न्याय की स्थापना करने के लिये शिछा सुविधाओ में व्रद्धि करना बहुत आवश्यक हिया | सरकार ने इसके लिये 14 वर्ष तक की आयु के सभी बच्चो को नि:शुल्क अनिवार्य और गुणवत्ता की द्रष्टि से संतोषजनक शिछा उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है तथा प्राथमिक शिछा को बुनियादी अधिकार बनाने की कोशिश भी की जा रही | शिछा श्रेत्र में विकास कार्यक्रम के फलस्वरूप साश्ररता दर जो 1951 ने 16.6% थी, वह 2011 में बढकर 74.04% हो गई है |
- निर्धनता का समाधान— देश में सामाजिक न्याय की स्थापना निर्धनता की समाप्ति करके ही लायी जा सकती हिया | देश में अभी भी लगभग 26% लोग गरीबी की रेखा से नीचे जीवन बिता रहे है | अधिकतर व्यक्ति जीवन की न्यूनतम आवश्यकताओ को भी पूरा नही कर पाते है | अत: देश में निर्धनता उन्मूलन के लिये विशेष प्रयास करने होगे |
- योग्यतानुसार रोजगार— बेरोजगार के कारण अनेक सामाजिक समस्याओ को बढ़ावा मिलता है जिससे सामाजिक अन्याय में व्रद्धि होती है | अत: देश में बेरोजगारी को समाप्त करने के लिये रोजगार अवसरों में वर्धि की जानी चाहिए | इस उदेश्य की पूर्ति के लिये सरकार द्वारा क्रषि, उधोगो तथा सेवा श्रेत्र में भारी विनियोग एव रोजगार सर्जन के विशिष्ट कार्यक्रम अपनाए गए है |
- आय व धन के वितरण की विषमताओ में कमी— समाज के सभी वर्गो को न्याय दिलाने तथा सामाजिक कल्याण में व्रद्धि करने के लिये आय व् धन के वितरण की विषमताओ को कम करने के प्रयास किये जाने चाहिए देश में सरकार द्वारा प्रगतिशील करारोपण प्रणाली के द्वारा धन के वितरण की विषमताओ को कम करने का प्रयास किया जा रहा है |
- महिलाओ की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार— सामाजिक न्याय की प्राप्ति के लिये महिलाओ की सामाजिक तथा आर्थिक स्थिति में सुधार करना अत्यन्त आवश्यक है इसके लिये स्त्रियों की शिछा पर समुचित ध्यान देने तथा उन्हें आत्मानिर्भर बनाने पर जोर दिया जाना चाहिए | देश के विकास में भी उनकी भागीदारी सुनिशिचत की जानी चाहिए |
- परिवार नियोजन तथा कल्याण कर्योक्र्मो को बढ़ावा— देश में सामाजिक अन्याय का एक प्रमुख कारण बढती जनसख्या है | अत: जनसख्या व्रद्धि पर नियन्त्रण करने के लिये परिवार नियोजन तथा कल्याण कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए | स्त्री शिछा तथा जनस्वास्थ्य सुविधाओ पर ध्यान देकर जन्म दर में कमी लाई जा सकती है |
- मानव विकास— मानव संसोधनो का विकास करने के लिये जनता के स्वास्थ्य, पोषाहार, आवास, जलापूर्ति, प्रशीष्ण आदि पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए | इससे सामाजिक अन्याय की समाप्ति में विशेष योगदान मिलेगा |
- अल्पसख्यक एव पिछड़े वर्ग का उत्थंन— सामाजिक न्याय की प्राप्ति की लिये अल्पसख्यक एव पिछड़े वर्ग के उत्थान के लिये विशेष कार्यक्रम बनाए जाने चाहिए इस सम्बन्ध में सरकार ने व्यापक प्रयास भी किये है जिससे इन वर्गो की स्थिति में पर्याप्त सम्बन्ध में सरकार ने व्यापक प्रयास भी किये है जिससे इन वर्गो को स्थिति में पर्याप्त सुधार हुआ है |
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