Business Environment Study Material Meaning of Monetary Policy Reserve Bank

Business Environment Study Material Meaning of Monetary Policy Reserve Bank

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Business Environment Study Material Meaning of Monetary Policy Reserve Bank
Business Environment Study Material Meaning of Monetary Policy Reserve Bank

Monetary Policy (मोद्रिक नीति)



Meaning of Monetary Policy (मोद्रिक नीति का अर्थ)

Business Environment Study Material Meaning of Monetary Policy Reserve Bank : वर्तमान में मोद्रिक नीति को आर्थिक स्थिरीकरण का एक महत्वपूर्ण माध्यम माना जाता है | मुद्रा तथा साख की पूर्ति को एक निधारित स्तर पर बनाए रखने के लिये एक उपयुक्त  मोद्रिक नीति की आवश्यकता होती है |

मोद्रिक नीति से आशय— मोद्रिक नीति से आशय एक ऐसी नीति से है जिसके द्वारा मुद्रा के मूल्य में स्थायित्व हेतु मुद्रा व् साख की पूर्ति का नियन्त्रण किया जाता है | सरल शब्दों में किसी देश की सरकार तथा केन्द्रीय बैक द्वारा अर्थव्यवस्था में विशेष आर्थिक उदेश्य जैसे मूल्य स्थिरता विनिमय दर स्थिरता पूर्ण रोजगार आर्थिक विकास की प्राप्ति हेतु मुद्रा की मात्रा उसकी लागत एव उसके उपयोग को नियन्त्रित करने के लिए जो उपाय अपनाए जाते है उसे मोद्रिक नीति कहा जाता है |

मोद्रिक नीति के उदेश्य— मोद्रिक निनी के उदेश्यों में समय में परिवर्तन के साथ-साथ परिवर्तन होता रहता है मोद्रिक नीति के उदेश्हयो पर अर्थव्यवस्था के स्वरूप, आर्थिक सगठन तथा विकास के स्तर का भी प्रभाव पड़ता है | केन्द्रीय बैक अथवा मोद्रिक अधिकारियो को देश की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय करना पड़ता है की उदेश्यों को प्राथमिकता दी जाए | मोद्रिक नीति के प्रमुख उदेश्यों को निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है—

  1. विनिमय दरो में स्थिरता— विनिमय दरो में स्थायित्व बनाए रखना मोद्रिक नीति का प्रमुख उदेश्य माना जाता है | यदि देश में विनिमय दर अस्थिर होती है, तो वहा अन्य देशो से विदेश पूँजी का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है | जिन देशो की अर्थव्यवस्था विदेशी व्यापार पर निर्भर करती है, वहा विनिमय दरो में स्थायित्व रहना बहुत ही आवश्यक होता है |
  2. मूल्य स्थिरता— मूल्य स्थिरता का अर्थ यह नही होता की मूल्यों में कोई परिवर्तन नही होना चाहिए बल्कि इसका अर्थ यह है की मूल्यों में अधिक उतार-चड़ाव नही होना चाहिए | मूल्य स्थिरता की नीति अर्थव्यवस्था को व्यावसायिक चक्रो से मुक्ति दिलाने,आर्थिक किर्याओ को प्रोत्साहित करने तथा राष्टीय आय के सामने वितरण के लिए आवश्यक होती है मोद्रिक नीति में आवश्यक परिवर्तन करके कीमत-स्तर को नियन्त्रित किया जा सकता है तथा अर्थव्यवस्था को वाछित देशा में मोड़ा जा सकता है |
  3. पूर्ण रोजगार की प्राप्ति— पूर्ण रोजगार की स्थिति को प्राप्त करना मोद्रिक नीति का सबसे महत्वपूर्ण उदेश्य है |




Business Environment Study Material Meaning of Monetary Policy Reserve Bank : मोद्रिक नीति द्वारा एक और तो रोजगार का स्तर ऊँचा बनाए रखने में सहायता मिल सकती है दूसरी और मंदी से उत्पन आर्थिक अवसाद को दुर करने में सहयोग मिल सकता है | केन्स ने रोजगार का उच्च स्तर बनाए रखने के लिए प्रभावी माँग स्तर ऊँचा बनाए रखने के लिए जनता की आय का स्तर ऊँचा रखा जाना आवश्यक है | मोद्रिक नीति इस कार्य में महत्वपूर्ण योग्य दे सकती है |

  1. आर्थिक विकास— विकसित और विकासशील देशो को आर्थिक परिस्थितियों में मुलभुत अंतर होता है | विकसित देशो के सामने मुख्य समस्या व्यापार-चक्रो की रोकथाम तथा पूर्ण रोजगार के बिन्दु पर बचत एव निवेश के बीच सन्तुलन स्थापित करने की होती है जबकि अल्पविकसित देशो के सामने मुख्य समस्या उपलब्ध भोतिक एव मानवीय साधनों के अधिकतम प्रयोग द्वारा विकास प्रकिर्या में तेजी करने की होती है |

अल्प विकसित देशो में मोद्रिक नीति का प्रमुख उदेश्य ‘आर्थिक विकास’ माना गया है ‘स्थिरता के साथ विकास’ आज के अल्पविकसित देशो की प्रमुख आवश्यकता है | जहा मोद्रिक नीति के अन्य उदेश्यों के अन्तगर्त देशो की अर्थव्यवस्था के बारे में मुद्रा-अधिकारी का द्रष्टिकोण पूर्ण या दीर्घकालीन होता है वहा विकास उद्देश्य के अन्तगर्त उसका द्रष्टिकोण पूर्ण या दीर्घकालीन होता है |

  1. बचत एव विनियोग में साम्य— बचत एव विनियोग में सन्तुलन बनाए रखना भी मोद्रिक नीति का प्रमुख उदेश्य होता है उपयुक्त मोद्रिक नीति के द्वारा बचत एव विनियोगो को प्रोत्साहित किया जाता है | जिससे पूर्ण रोजगार के लक्ष्य की प्राप्ति में सहायता मिलती है |
  2. आर्थिक विकास के लिये साधन उपलव्ध कराना— मोद्रिक नीति के द्वारा देश के आर्थिक विकास के लिये पर्याप्त साधनों की व्यवस्था की जा सकती है | विकासशील देशो में विकास के लिये वितीय साधनों का अभाव होता है उपयुक्त मोद्रिक नीति के द्वारा आवश्यकतानुसार मुद्रा एव साख की पूर्ति बढ़ाइ जा सकती है जो आर्थिक विकास में सहायता करती है |
  3. उपयुक्त ब्याज दर संरचना— मोद्रिक नीति के अन्तगर्त सरकार केन्द्रीय बैक को ब्याज दर संरचना सम्बन्धी अधिकार दे देती है | जिससे ब्याज दरो में स्थिरता लाकर आर्थिक विकास में सहायता पहुचाई जाती है | सरकार सस्ती मुद्रा नीति अपनाकर विनियोगो को बढ़ावा दे सकती है व देश में मुद्रा स्फीति के नियत्रित कर आर्थिक विकास को बढ़ा सकती है |
  4. मुद्रा की माँग एव पूर्ति में सन्तुलन— सरकार मोद्रिक नीति के माध्यम से साख की माँग व पूर्ति में सन्तुलन स्थापित करके आर्थिक संकुचन व अन्य संकटों से देश को बचाने में सफल हो सकती है | सरकार मुद्रा की माँग एव पूर्ति में सन्तुलन स्थापित करके आर्थिक संकुचन व अन्य संकटो से देश को बचाने में सफल हो सकती है | सरकार मुद्रा की माँग एव पूर्ति में सन्तुलन स्थापित करके आर्थिक विकास की बढाओ को दूर कर सकती है |

 Reserve Bank’s Monetary Policy Review

रिजर्व बैक की मोद्रिक नीति की समीक्षा )

 अथवा 



Due to failure of Monetary Policy of Reserve Bank

( रिजर्व बैक की मोद्रिक नीति की असफलता के कारण )

Business Environment Study Material Meaning of Monetary Policy Reserve Bank :  रिजर्व बैक की मोद्रिक नीति का प्रमुख उद्देश्य स्थिरता के साथ आर्थिक विकास करना है | इसका अर्थ यह है की रिजर्व बैक को एक तरफ से आर्थिक विकास के लिये साधन उपलब्ध कराने होते है तथा दूसरी तरफ अर्थव्यवस्था में मुद्रा-स्फीति के दबावो को कम करना होता है | भारत जैसे विकासशील देशो के लिये इन दोनों लक्ष्यों को एक साथ प्राप्त करना बहुत कठिन होता है भारतीय मुद्रा बाजार बेलोचदार एव असंगठित है इसी कारण रिजर्व बैक साख नियन्त्रण में पूर्णत: सफल नही हो पाता | रिजर्व बैक की मोद्रिक नीति की असफलता के प्रमुख कारण निम्नलिखित है—

  1. अनिशिचत एव कमजोर नीति— रिजर्व बैक की मोद्रिक नीति अनिशिचत आकस्मिक कमजोर व बोलचाल रही है | बैक द्वारा नियोजित ढग से कोई नीति नही बनायी गयी है बैक द्वारा अपनाये गये उपायों का सच्ची ईमानदारी एव सख्ती से पालन नही किया गया है |
  2. गैर-बैकिग संस्थाओ पर नियन्त्रण न होना— यह उल्लेखनीय तथ्य है की रिजर्व बैक का गैर-बैकिग सस्थाओ और देशी बैकरो पर आज भी कोई नियन्त्रण नही है जबकि ये देश के व्यापार एव उधोग में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते है | फलत: मोद्रिक नीति अपंग बनकर रह गयी है |
  3. मुद्रा बाजार एव पूँजी बाजार का कम विकास— मोद्रिक नीति की सफलता के लिए एक सगठित एव कुशल मुद्रा बाजार की आवश्यकता होती है जबिक भारत में इसका अभाव है |
  4. अमोद्रिक क्षेत्रो की विधमानता— विकासशील देशो में बहुत बड़ा भाग ऐसे सोदो का होता है जो मुद्रा में नही किए जाते | इस प्रकार के लेन-देन पारस्परिक विनिमय के आधार पर होते है (जिसे वस्तु विनिमय कहा जा सकता है) | अत: उनके लिए मुद्रा का कोई महत्व नही होता और मोद्रिक नीति का उन पर कोई प्रभाव नही पड़ता |
  5. वितीय अनुशासनहीनता— राष्तियकर्त बैक द्वारा वितीय अनुशासन का पालन नही किया गया | आशा के विपरीत इन बैको ने बड़ी मात्रा में अनावश्यक साख का विस्तार किया है जिससे जमाखोरी और कीमत-प्रसार को बढ़ावा मिला है | 1992 का हर्षद मेहता घोटाला इसका जीता-जागता उदाहंरण है
  6. विकास प्रधान किन्तु असन्तुलित नीति— भारत की मोद्रिक नीति आर्थिक द्रष्टि से उदार एव विकास वित्त जुटाने का प्रयास किया है | किन्तु इससे मुद्रा-स्फीति बढ़ी है एव रूपये का मूल्य गिरा गया है | इससे यह स्पष्ट होता है की हमारी मोद्रिक नीति असफल रही है |

भारत में रिजर्व बैक की नवीन मोद्रिक नीति की संछिप विवेचना—




Explanation of Reserve Bank’s new monetary policy in India

  1. बैक दर को 6% ही रखा गया है |
  2. नकद कोष अनुपात (CRR) को पुरानी दर 6% पर ही रखा गया है |
  3. रेपो दरतथा रिवर्स रेपो दर (RRR) को बड़ा क्र क्रमश: 7.25% तथा 6.25% पर रखा गया है |
  4. वर्ष 2011-12 में मुद्रा पूर्ति में लगभग 17% व्रद्धि स्म्भावित् है |
  5. वर्ष 2011-12 में मुद्रा स्फीति दर लगभग 6% रहने का अनुमान है |
  6. वर्ष 2011-12 में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की व्रद्धि दर 8% रहने का अनुमान है |
  7. वर्ष 2011-12 में बैक साख में 20% व्रद्धि होने का अनुमान है |
  8. गरीब किसानो के लिए साख गरंटी योजना शुरू की गई है
  9. अर्थव्यवस्था में साख की आवश्यकताओ को पूरा करने के लिए पर्याप्त तरलता (Liquidity) रखी जाएगी और साथ ही कीमत स्थिरता के उद्देश्यों को प्राप्त करने का प्रयत्न किया जायेगा
  10. निर्यात क्षेत्रो को पर्याप्त साख उपलब्ध करायी जाएगी तथा निर्यातको को उदार वित्त प्रदान किया जायेगा |
  11. वर्ष 2011-12 में कुल जमाओ (Aggregate Deposits) में 18% की व्रद्धि होने का अनुमान है |
  12. सभी बैक को यह सुचना दी गई है की वे अपनी शाखाओ में तथा अपनी वेब साइट पर रिजर्व बैक से स्वीक्रत सेवा-व्ययों (Service Charges) सम्बन्धी सुचना प्रदर्शित करेगे |
  13. भारतीय कम्पनी द्वारा विदेशी में किए जाने वाले निवेश की सीमा को शुद्ध सम्पति (Net Worth) के 300% से बढकर 400% कर दिया गया है
  14. भारतीय व्यक्तियों द्वारा विदेशो में किए जाने वाले निवेश की सीमा को एक लाख US डालर प्रतिवर्ष से बढ़कर दो लाख US डालर कर दिया गया है |
  15.  विदेशी व्यापारीक ऋणों की सीमा को 35 बिलियन अमेरिकन डालर से बड़ा कर 40 बिलियन अमेरिकन डालर कर दिया गया है |

 

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