world Bank Organization Short Question Business Environment B com Note
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World Bank विश्व बैक
द्वितीय विश्वयुद्ध के कारण जर्जरित अर्थव्यवस्थाओ का पुननिर्माण करने तथा विभिन्न राष्टो के बीच व्याप्त भारी आर्थिक असमानताओ को दूर करने के उद्देश्य से ब्रेटन वुड्स सम्मेलन में अंतराष्टीय पुननिर्माण एव विकास बैक की स्थापना का निर्णय लिया गया | इसे विश्व बैक के नाम से भी जाना जाता है | इसकी स्थापना 27 दिसम्बर, 1945 को हुई तथा इसने 25 जून, 1946 से कार्य करना प्रारम्भ कर दिया था |
Objectives of the World Bank विश्व बैक के उद्देश्य
विश्व बैक के विधान के अनुसार “विश्व बैक मुद्रा कोष की एक पूरक संस्था के रूप में कार्य करने तथा अंतराष्टीय व्यापार आय एव रोजगार को उच्च स्तर पर बनाये रखने के लिए अंतराष्टीय विनियोगो को उचे एव स्थिर स्तर पर रखने के उद्देश्य से प्रेरित है |”
World Bank Organization विश्व बैक का सगठन
विश्व बैक के प्रबन्ध हेतु ‘प्रशासन मण्डल’ कार्यकारी संचालन मण्डल, सलाहकार समिति एव अन्य अधिकारियो की व्यवस्था की गई है | प्रशासक मण्डल में प्रत्येक सदस्य राष्ट का एक प्रतिनिधि होता है इसकी वर्ष में एक बैठक होना जरूरी है | कार्यकारी संचालन मण्डल की सदस्य सख्या 2 है इनमे से 5 संचालको की नियुक्ति अमेरिका ग्रेट ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और जापान द्वारा होती है | क्योकि विश्व बैक की पूंजी में इन देशो का अभ्यांस सबसे अधिक है शेष संचालको का निर्वाचिन अन्य सदस्यों राष्टो द्वारा किया जाता है सलाहकार परिषद में वाणिज्य, उधोग, क्रषि, यातायात श्रम आदि के विशेषज्ञ होते है, जो विश्व बैक को उसकी सामान्य निति के सम्बन्ध में परामर्श देते है |
WORKS OF WORLD BACK विश्व बैक के कार्य
- ऋण प्रदान करना— विश्व बैक सदस्य देशो को निम्लिखित प्रकार से ऋण सहायता प्रदान करता है—
- स्वय के कोष से ऋण देना— बैक सदस्य राष्टो की विकास सम्बन्धी आवश्यकताओ को पूरा करने के लिए अपनी दत पूंजी (Paid by Capital) के 20% तक अपने कोष से ऋण दे सकता है |
- उधार ली गयी पूंजी में से ऋण देना— बैक सदस्यों को ऋण देने के लिए अन्य देशो से उधार ले सकता है | ऋण देने से पूर्व बैक को उक्त देश से अनुमति लेनी पडती है |
- गारन्टी देकर ऋण दिलाना— बैक स्वय ऋण प्रदान न करके अन्य राष्टो से या वितीय संस्थाओ से अपनी गारन्टी देकर ऋण उपलब्ध कराता है |
- तकनीकी सहायता— विश्व बैक सदस्य देशो को तकनीकी सहायता देकर उनके पुननिर्माण व् आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता है | विश्व बैक सदस्य राष्टो में आर्थिक स्वेर्क्ष्ण की व्यवस्था करके उनकी औधोगिक, परिवहन, प्राकर्तिक सम्पदा आदि के विकास की सम्भावनाओ की जाच करता है |
- प्रशिक्ष्ण कार्यक्रम— विश्व बैक सदस्य देशो के अधिकारियो के लिए वित् मोद्रिक व्यवस्था, कर प्रणाली, तकनीकी कुशलता तथा बैकिग सगठन इत्यादि विषयों पर प्रशिष्ण की व्यवस्था भी करता है | इस कार्य के लिए 1955 में वाशिगटन में आर्थिक विकास संस्था की स्थापना की गयी है |
World Bank and India विश्व बैक और भारत
विश्व बैक से भारत कहा तक लाभान्वित हुआ है ?
भारत ने विश्व बैक की प्रारम्भ में ही सदस्यता ग्रहण क्र ली थी अत: यह बैक के मोलिक सदस्यों में से एक है इसे बैक की कार्यकारिणी में एक स्थायी संचालन नियुक्ति करने का अधिकार है | अभ्यास की द्रष्टि से भारत का विश्व बैक में 13वा स्थान है | भारत के आर्थिक विकास में बैक ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है | विश्व बैक की सदस्यता से भारत को निम्नलिखित लाभ प्राप्त हुए है—
- विश्व बैक द्वारा भारत को ऋण— विश्व बैक से ऋण प्राप्त करने वाले देशो में भारत का प्रमुख स्थान है | सन 2000 में विश्व बैक ने भारत को कुल 15,208 लाख डालर के ऋण विभिन उदेश्यों के लिए स्वीक्रत किये | विश्व बैक से सवार्धिक सहायता पाने वाले राष्टो में भारत का स्थान पाचवा है | गुजरात भूकम्प से हुए बर्बादी से निपटने के लिए विश्व बैक ने 300 मिलियन डालर की तात्कालिक सहायता दी | मार्च, 2012 तक विश्व बैक द्वारा भारत को कुल 91.81 बिलियन अमरीकी डालर के ऋण प्रदान किये जा चुके है | अब यह संस्था मानवीय आधार वाली परियोजनाओ से बाहर हटकर भी भारत को ऋण उपलब्ध करा रही है |
- भारत विकास मंच— विश्व बैक ने 10 विकसित देशो का एक सघ भारत को नियोजन में आर्थिक सहायता देने हेतु स्थापित किया है जिसे भारत विकास मंच के नाम से जाना जाता है इस मच से भारत को तीसरी पंचवर्षय योजना में 547.2 मिलियन डालर की राशी ऋण सहायता के रूप में प्रदान की गई थी | तब से भारत को इससे लगातार सहायता प्राप्त करा रही है |
- तकनीकी सहायता— भारत को विश्व बैक से निरंतर तकनीकी सहायता और परामर्श प्राप्त होता रहता है | विश्व बैक ने हमारी योजनाओ के संचालन एव मूल्याकंन के लिए समय-समय पर विशेषज्ञ दलों को भारत भेजा है | नई दिल्ली में बैक ने एक स्थायी प्रतिनिधि नियुक्त किया है, जो हमारी योजनाओ का अध्ययन करता है तथा आवश्यक परामर्श देता है |
- सामान्य ऋणों की सुविधा— विश्व बैक ने अब भारत को सामान्य ऋणों की सुविधा भी प्रदान क्र दी है | इन ऋणों का उपयोग केवल निशिचित उद्देश्यों तक ही सिमित नही रहता, अपितु देश इचानुसार उनका प्रयोग कर सकता है |
- नहरी पानी विवाद में मध्यस्थता— भारत का पाकिस्तान के साथ नदियों के जल के बटवारे को लेकर आजादी के बाद से ही विवाद चला आ रहा था | विश्व बैक ने मध्यस्थता करके 1960 में इस विवाद का सफलतापुर्वक निपटारा करवा दिया |
short question लघु उतरीय प्रश्न्न
- चालू खाते से सम्बन्धित प्रमुख मदे बताइए |
चालु खाते में द्रश्य तथा अद्रश्य दोनों प्रकार की मदों के आयात-निर्यात का लेखा किया जाता है इसमे उन सभी मदों को लिखा जाता है जिनका वास्तविक रूप में लेन-देन किया जाता है | इसमे प्रमुख रूप से वस्तुओ का आयात निर्यात, विनियोग, बीमा, परिवहन, विदेशी पर्यटन, सेवाओ को शामिल किया जाता है |
- पूजी खाता किस प्रकार के लेन-देनो से सम्बन्धित होता है ?
पूंजी खाता वितीय लेन-देन से सम्बन्धित होता है | सभी प्रकार के अल्प व दीर्घ कालीन अंतराष्टीय पूंजीगत अन्तरण स्वर्ण के आदान-प्रदान, निजी-भुगतान, राष्टीय संस्थाओ से सम्बन्धित भुगतान तथा प्राप्तियो तथा सरकारी ऋणों, ब्याज, अनुदान आदि को पूंजी खाते में शामिल किया जाता है | इसका देश के उत्पादन, आय व् रोजगार पर कोई सीधा प्रभाव नही पड़ता |
- व्यापक या समष्टि पर्यावरण से आप क्या समझते है ?
व्यवसाय के व्यापक पर्यावरण में आर्थिक, सामाजिक, सांस्क्रतिक, प्राकर्तिक, तकनीकी, राजनितिक व् अन्तराष्टीय घटकों को सम्मिलित किया जाता है | यह पर्यावरण व्यवसाय के लिए अनेक अवसर तथा चुनोतियो प्रस्तुत करता तथा विशिष्ट घटकों की तुलना में इन पर नियन्त्रण रखना कठिन होता है |
- व्यवसाय के अनार्थिक वातावरण से आप क्या समझते है ?
व्यवसाय के अनार्थिक वातावरण में तकनीकी, जनन्कीय, सामाजिक, सास्क्रतिक, प्राकर्तिक, राजनैतिक तथा अंतराष्टीय तत्वों को शामिल किया जाता है | ये सभी तत्व व्यवसाय को बहुत अधिक प्रभावित करते है | समष्टि पर्यावरण के आर्थिक घटकों को छोडकर अन्य सभी घटक अनार्थिक वातावरण के अन्तगर्त ही आते है |
- भारत में बेरोजगारी के चार प्रमुख कारण बताइए |
भारत में बेरोजगारी के प्रमुख चार कारण निम्नलिखित है—
- भारत में शिक्षा प्रणाली का व्यवसाय प्रधान न होकर सिद्धान्त प्रधान होना |
- आर्थिक विकास की धीमी गति |
- जनसख्या की वर्धि दर अधिक होना |
- भारत में राष्टीय रोजगार निति का अभाव |
- ग्रामीण बेरोजगारी के चार कारण लिखिए |
ग्रामीण बेरोजगारी के चार कारण निम्नलिखित है—
- कुटीर एव ग्रामीण उधोगो का पतन ग्रामीण बेरोजगारी का प्रमुख कारण है |
- क्रषि क्षेत्र में मोसमी व् अद्रश्य बेरोजगारी की समस्या विधमान होना |
- ग्रामीण श्रमिक अशिक्षित, रुन्दिवती तथा परम्परावादी होते है जिससे उनमे गतिशीलता का अभाव रहता है |
- रोजगार अवसरों के बारे में समुचित जानकारी का अभाव होना भी ग्रामीण बेरोजगारी का एक मुख्य कारण है |
- क्रषि क्षेत्र में किस प्रकार की बेरोजगारी प्रमुख रूप से पाई जाती है ?
क्रषि क्षेत्र में प्रमुख रूप से मोसमी बेरोजगारी तथा अद्रश्य बेरोजगारी की स्थिति पाई जाती है |
- शिक्षित बेरोजगारी के प्रमुख कारण बताइए |
शिक्षित बेरोजगारी के प्रमुख कारण है— दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली, रोजगार मार्गदर्शन का अभाव, शिक्षितों का गलत द्रष्टिकोण तथा व्यावसायिक शिक्षा की धीमी गति |
- मोद्रिक निति के चार उद्देश्य बताइए |
- विनिमय दरो में स्थायित्व बनाए रखना |
- कीमत स्तर को नियन्त्रित रखना |
- पूर्ण रोजगार की स्थिति को प्राप्त करना |
- देश के आर्थिक विकास के लिए पर्याप्त साधनों की व्यवस्था करना |
- रुग्ण इकाई की परिभाषा दीजिए |
रिजर्व बैक के अनुसार “बीमार औधोगिक इकाई वह होगी जिसे वर्तमान वर्ष में नकद हानि (cash Loss ) सहन करनी पड़ी है और आने वाले दो वर्षो में उसकी दशा में निरन्तर ऐसे घाटे की स्पष्ट स्म्भाव्नाए परिलक्षित होती है |”
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