How Many Type of Business Letters in Hindi

How Many Type of Business Letters in Hindi

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व्यावसायिक पत्रों के प्रकार (Type of business letters )

How Many Type of Business Letters in Hindi
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व्यापारिक स्थितियों तथा परिस्तिथियों में परिवर्तन के अनुसार व्यापारिक पत्रों के अनेक रूप एवं प्रकार पाये जाते है | परिस्तिथियों में परिवर्तन होने पर व्यापारिक पत्र का रूप बदल जाता है | पत्र लिखने वाले के उदेश्य तथा पत्र पाने वाले की प्रतिक्रिया के आधार पर पत्रों के प्रमुख प्रकार निम्न प्रकार हो सकते है –




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(1) अनुकूल संवाद पत्र (Good News Letters) – जब हम किसी पत्र के माध्यम से कोई ऐसी सुचना भेजते है जिससे की प्राप्तकर्ता प्रसन्न हो जाता है अथार्त उस सुचना को वह अपने हित में सोचता है ऐसे पत्र को अनुकूल संवाद पत्र (Good News Letters) कहा जाता है | अनुकूल सुचना पत्रों का उदेश्य श्रोता को कुछ आनन्ददायक या लाभदायक जानकारी प्रदान करता है | इस प्रकार के पत्र श्रोता कि अनुकूल प्रतिक्रिया प्राप्त करते है |

How Many Type of Business Letters in Hindi
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अनुकूल पत्रों में मुख्यत: निम्नलिखित पत्रों को सम्मिलित किया जाता है –

(1) आदेश की स्वीकृति की सुचना देना |
(2) उधर की स्वीकृति की सुचना देना |
(3) प्रशंसा पत्र |
(4) नौकरी पर रखने के स्वीकृति पत्र |
(5) नवीं लाभदायक सुचना सम्बन्धी पत्र |
(6) सद्भावना संदेश तथा बधाई पत्र आदि |




(2) प्रतिकूल सुचना या संवाद पत्र (Bad News Letters) – एक प्रतिकूल सम्वाद वाला पत्र वह पत्र है जिसमे सम्वाद प्राप्तकर्ता को प्रतिकूल सुचना इस प्रकार से दी जाती है की उसकी सद्भावना बनी रहे | एक प्रतिकूल-सम्वाद को लिखना बहुत ही कठिन होता है क्योकि इसमें निराश करने वाले संदेश के साथ-साथ प्राप्तकर्ता की सद्भावना भी बनाए रखनी पड़ती है और साथ ही यह प्रयास भी करना पड़ता है की वह क्रोधित न हो | यघपि इस पत्र में प्रेषित संदेश निराशाजनक व अप्रसन्न करने वाले होते है परन्तु इन पत्रों की विशेषता यह होती है की पत्र के प्रारम्भ में कम से कम शब्दों में तटस्थ सुचना प्रेषित कर अन्त में नकारात्मक संदेश की प्रस्तुति की जाती है |
एक प्रतिकूल सम्वाद वाले पत्र का मुख्य उद्देश्य यही होता है की पतिकुल तथ्यों को इस तरह प्रस्तुत किया जाये की सम्वाद प्राप्तकर्ता आपको न्यायशील और तर्कशील समझे | जहाँ तक तक सम्भव हो सके वह संस्था का मित्र बना रहे | प्रतिकूल संवाद वाले पत्र में निम्नलिखित विषय शामिल हो सकते है –

(i) ऋण देने से इंकार सम्बन्धी पत्र |
(ii) उपभोता के लिए अलाभकारी नीतियों की घोषणा |
(iii) अस्वीकृति पत्र, निरसन पत्र तथा समायोजन पत्र |
(iv) प्रदर्शन का नकारात्मक मूल्याकन व अनुशासनात्मक विज्ञप्तियाँ |
(v) माल वापसी या उसमे त्रुटी की सुचना |




(3) प्रेरक पत्र (Persuasive Letters) – ऐसे पत्र जिन्हें पढकर व्यक्ति आपकी बात मानने के लिये तैयार हो जाता है, उसे प्रेरक पत्र कहते है | ऐसे पत्रों के द्वारा पाठक की रूचि जाग्रत करने का प्रयास किया जाता है तथा उनको अपनी तरफ आकर्षित किया जाता है |
(4) अनुरोध पत्र (Request Letters) – ऐसे पते जो किसी वस्तु या सेवा के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त करने, वस्तु या सेवा की पूर्ति अथवा किसी विशिष्ट क्रिया को जानने के लिए लिखे जाते है उन्हें अनुरोध पत्र कहते है | इस प्रकार के पत्रों को लिखते समय स्नेह व मैत्रीपूर्ण शैली का प्रयोग करना चाहिए | इसके अंतर्गत किसी उत्पाद के सम्बन्ध में पूछताछ सम्बन्धी पत्र, दैनिक क्रिया की जानकारी सम्बन्धी पत्र, ग्राहकों या अन्य लोगो से निवेदन पत्र आदि आते है |

अनुरोध पत्र (REQUEST LETTERS) How Many Type of Business Letters in Hindi

ऐसे पत्र जिनमे दुसरे पक्षकार से किसी कार्य के सम्बन्ध में निवेदन किया जाता है, उन्हें अनुरोध पत्र कहते है | व्यवसाय में दिन प्रतिदिन की गतिविधियों में अनेक प्रकार के पत्र लिखने पड़ते है जैसे मॉल पूछताछ सम्बन्धी सुचना मागने के लिए पत्र, माल का आदेश देना, आदेश में परिवर्तन करना, उधार प्राप्त करने के लिये निवेदन करना, देनदारो से बकाया वसूली के लिये प्रार्थना आदि |

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अनुरोध पत्र का नियोजन(PLANNING OF REQUEST LETTERS)

अनुरोध पत्र को सुनिचित तरीके से लिखने के लिये तिन भागो में बाटा जा सकता है –
(1) प्रारम्भिक भाग (Opening Section) – अनुरोध पत्र लिखने के लिये औपचारिक की आवश्यकता नही होती, अत: इसे लिखने के लिये प्रत्यक्ष विधि का ही प्रयोग किया जाता है | पत्र के प्रारम्भिक भाग में मुख्य विचार को किसी प्रश्न, प्रार्थना अथवा प्रशंसा के रूप में व्यक्त करना चाहिए | उदाहरणार्थ –
“क्या आप हमे निम्नलिखित सुचना भेज सकते है |” “कृपया निम्न सुचना भेज सके तो आभारी होगे |” पत्र की भाषा शिष्ट तथा नम्र होनी चाहिए तथा सरल व स्पष्ट शब्दों का प्रयोग किया जाना चाहिए |
(2) मध्य भाग (Medium Section) – पत्र के मध्य भाग में मांगी जाने वाली सूचनाओं को एक निश्चित क्रम से लिखना चाहिए | महत्वपूर्ण सुचना सम्बन्धी प्रश्न को सबसे पहले तथा फिर क्रमवार क्रम महत्वपूर्ण सुचना सम्बन्धी प्रश्न लिखे जाने चाहिए | पत्र के इस भाग में पाठक को यह बोध भी कराना चाहिए इक उक्त सुचना उपलब्ध करने से उसे क्या लाभ होगा | उदाहरणार्थ –
“दक्षिण भारत में व्यवसाय करने में हम आपकी सहायता कर सकते है |”
(3) समापन भाग (Editing Section) – पत्र का अन्तिम भाग शक्तिशाली, स्पष्ट, सद्भावनात्मक तथा मुख्य विचार या निवेदन पर बल देने वाला होना चाहिए |
मर्फी द्वारा इस भाग में 5 W तथा के ‘H’ प्रयोग पर बल दिया गया है | यह 5 W तथा एक ‘H’ निम्नलिखित है –

(a) What – ‘क्या’ – क्या सुचना भेजी जाए?
(b) Where – ‘कहाँ’ – सुचना कहाँ भेजी जाए?
(c) When – ‘कब’ – सुचना कब भेजी जाए?
(d) Who – ‘कौन’ – सुचना कौन भेजे?
(e) Why – ‘क्यों’ – सुचना क्यों अपेक्षित है?
(f) How – ‘कैसे’ – सुचना कैसे भेजी जाए?



सरकारी तथा व्यापारिक पत्र में अन्तर

क्र०सं० अन्तर का आधार सरकारी पत्र क्र०सं० व्यापारिक पत्र
1 उदेश्य सरकारी पत्र का उदेश्य शासन सन्देश, आज्ञा व् स्पष्टीकरण को प्रसारित करना होता है | 1 व्यापारिक पत्र का उदेश्य ग्राहक को प्रभावित करना, पूछताछ का उत्तर देना तथा हिसाब का निपटारा करना आदि होता है |
2 लेखन ये पत्र सरकारी विभाग द्वरा लिखे जाते है | 2 ये पत्र किसी व्यापर द्वारा लिखे जाते है |
3 भाषा सरकारी पत्रों में आदेश की भाषा रहती है | विनम्रता का प्रश्न नही आता है | 3 व्यापारिक पत्र सामान्यतया विनम्र शब्दों में लिखे जाते है |
4 आकार ये पत्र बहुत ही संक्षिप्त रूप से लिखे जाते है | 4 ये पत्र संक्षिप्त एवं बड़े रूप में भी लिखे जा सकते है |
5 विषय इसका विषय सदैव सरकारी होता है एवं एक समय में एक ही विषय का उल्लेख होता है | 5 ये एक समय में एक से अधिक विषयों के लिए लिखे जा सकते है |


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