Cheque an Introduction Business Law Notes in Hindi

Cheque an Introduction Business Law Notes in Hindi

Cheque an Introduction Business Law Notes in Hindi :-   A cheque or check is a document that orders a bank to pay a specific amount of money from a person’s account to the person in whose name the cheque has been issued. The person writing the cheque, known as the drawer, has a transaction banking account (often called a current, cheque, chequing or checking account) where their money is held. The drawer writes the various details including the monetary amount, date, and a payee on the cheque, and signs it, ordering their bank, known as the drawee, to pay that person or company the amount of money stated.

Cheque an Introduction Business Law Notes in Hindi
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चैक-एक परिचय(Cheque-An Introduction)

चैक या धनादेश (Cheque)

चैक एक शर्त रहित आज्ञा पत्र है जो किसी विशेष बैंक पर लिखा जाता है और उसमे लिखने वाला बैंक को यह आदेश देता है की वह माँगने पर के निश्चित रकम, एक निश्चित व्यक्ति को अथवा उसके आदेशानुसार किसी अन्य व्यक्ति को अथवा वाहक को  दे |




परिभाषा – भारतीय विनिमय साध्य विलेख अधिनियम की धारा 6 के अनुसार, “चैक एक ऐसा विनिमय-पत्र है जो किसी विशेष बैंक पर लिखा जाता है तथा जो माँग के अतिरिक्त अन्य किसी प्रकार के देय नही है |”

(“A cheque is a bill of exchange drawn upon a specified banker and payable on demand,”)

उपर्युक्त परिभाषा का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि चैक विनिमय-पत्र के ही समान होता है, लेकिन इसमें निम्नलिखित दो अतिरिक्त विशेषतायें होती है –

(अ) चैक सदैव किसी विशेष बैंक पर ही लिखा जाता है, तथा

(ब) यह माँगने पर देय होता है |

इसलिये यह कहा जा सकता है की सभी बैंक तो विनिमय पत्र होते है, किन्तु सभी विनिमय बैंक नहीं हो सकते |

डॉ० हार्ट ने चैक की एक विवेकपूर्ण एवं उपयुक्त परिभाषा इस प्रकार दी है –

“एक चैक लेखक द्वारा हस्ताक्षरित बैंक के नाम शर्तरहित एक ऐसा लिखित आदेश होता है जिसमे लेखक निर्दिष्ट व्यक्ति को, अथवा उसके द्वारा आदेशित व्यक्ती को या वाहक को, माँग करने पर, इसमें एक वर्णित एक निश्चित राशि के भुगतान के अतिरिक्त अन्य किसी कार्य के करने का आदेश नही होता |”

निष्कर्ष – उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि चैक एक शर्तरहित लिखित विपत्र है जिसमे लेखक किसी विशिष्ट की अपने हस्ताक्षर द्वारा एक निश्चित रकम किसी विशेष व्यक्ति को अथवा अपने आदेशानुसार किसी अन्य व्यक्ति को या धारक को माँगने पर देने की आज्ञा देता है |




चैक की विशेषतायें या लक्षण (Characteristics of a writing)

चैक के अर्थ एवं परिभाषा का अध्ययन करने से निम्नलिखित विशेषताओं का पता चलता है –

1, एक लिखित प्रपत्र (An instrument in writing) ग्राहकों को अपने बैंक से चैक बुक मिलती है जिसमें चैको के छपे हुये फार्म होते है, इन फार्मो पर चैक या तो हाथ से लिखा जा सकता है या टाइप किया जा सकता है | परन्तु यह सदैव लिखित में होता है |

2, शर्तरहित आदेश (Unconditional order) चैक हमेशा एक शर्तरहित आदेश होता है | इसका अर्थ यह है की यदि चैक का लेखक किसी शर्त को पूरा होने के पश्चात् अपने द्वारा दी गई आज्ञा का पालन करने को कहता है, तो उसे चैक नही कहा जा सकता |

3, निश्चित बैंक (Specified bank) कोई व्यक्ति अपनी धनराशि जिस बैंक शाखा में जमा करता है, केवल उसी बैंक शाखा पर ही चैक लिखा जाता है अर्थात् चैक सदैव किसी बैंक विशेष पर ही लिखा जाता है |

4, निश्चित राशि (Certain amount) चैक सदैव निश्चित धन राशि के लिये ही लिखा जाता है | धनराशी का कोई सम्पूर्ण इकाई होना आवश्यक नही है, परन्तु अंको तथा शब्दों में लिखी गई धनराशि में अन्तर नही होना चाहिये |

5, निश्चित आदाता (Certain Payee) यदि चैक वाहक (Bearer) नहीं लिखा जाता है | धनराशि में अंतर नही होना चाहिये अर्थात् भुगतान पाने वाले के नाम का स्पष्ट उल्लेख होना चाहिये | व्यक्ति में संस्था, कम्पनी तथा फर्म आदि को भी शामिल माना जाता है |

6, तिथि (Date) चैक पर तिथि आवश्यक रूप से होनी चाहिये क्योकि बिना तिथि के चैक का भुगतान करने के लिये बैंक का दायित्त्व नही होता |

7, माँग पर देय (Payable on Demand) चैक में उल्लिखित राशि को केवल माँग करने पर ही प्राप्त किया जा सकता है | भुगतान प्राप्त करने के लिये चैक को बैंक के सम्मुख उपस्थित करना अनिवार्य है |

8, लेखक के हस्ताक्षर (Signature of the drawer) चैक पर लेखक के हस्ताक्षर होना अनिवार्य है | बिना हस्ताक्षर चैक पर दिये गये आदेश को बैंक मानने से मना कर देता है |

यदि खातेदार में किसी अन्य व्यक्ति को चैक लखने का अधिकार दिया हो तो ऐसा अन्य व्यक्ति भी चैक पर हस्ताक्षर करके चैक को जरी रख सकता है |

चैक के पक्षकार (Parties relating to a cheque) चैक से सम्बन्धी निम्नलिखित पक्षकार होते है –

1, लेखक या आहर्ता (Drawer) जो व्यक्ति चैक लिखता है, आहर्ता या लेखक कहलाता है | चैक वही व्यक्ति लिख सकता है जिसका बैंक खाता होता है |

2, आहर्ती (Drawee) जिस बैंक को चैक का भुगतान करने का आदेश दिया जाता है अर्थात् जिस बैंक पर चैक लिखा जाता अहि, उसे आहर्ती कहते है |

3, प्रापक, आदाता या भुगतान प्राप्त करने वाला (Payee) जिस व्यक्ति को चैक में लिखित धनराशि का भुग्तान किया जाता है, उसे प्रापक या आदाता कहते है |

4, पृष्ठांकक (Endorser) किसी अन्य व्यक्ति को चैक को पृष्ठांकित करने वाले धारक को पृष्ठांकक कहते है |

5, पृष्ठांकिती (Endorsee) जिस व्यक्ति को चैक पृष्ठांकित किया जाता है, उसे पृष्ठांकिती कहते है |

विनिमय-विपत्र और चैक में अन्तर(Difference Between Bills of exchange and cheque)

विनिमय-पत्र चैक
1, विनिमय-पत्र किसी व्यक्ति या संस्था के ऊपर लिखा जा सकता है | यह सदैव किसी विशेष बैंक पर ही लिखा जाता है |
2, विनिमय विपत्र सावधि तथा माँग पर देय दोनों ही प्रकार के हो सकते है | चैक सदैव ही माँग पर देय होता है |
3, इसकी स्वीकृति आवशयक है | चैक स्वीकृति की आवश्यकता नही है |
4, यह देश और विदेश दोनों में लिखा जाता है यह अपने ही देश में लिखा जाता है |
5, इसका रेखांकन नही होता | इसका रेखांकन हो सकता है |
6, इस पर मूल्यानुसार स्टाम्प लगाना आवश्यक है | इस पर स्टाम्प की आवश्यकता नही पड़ती |
7, मियादी विनिमय-विपत्र की दशा में अनुग्रह (Grace) के तीन दिन दिए जाते है | इसमें अनुग्रह के दिन नही दिए जाते |
8, इसके अनादरित होने पर आलोकन तथा प्रमाणन की आवश्यकता पडती है | इसके अनादरित होने पर आलोकन तथा प्रमाणन की आवश्यकता नही पडती |
9, इसके अनादरित होने पर पूर्व पक्षकारो को बाध्य करने के लिये धारी द्वारा अनादरण की सुचना देना आवश्यक है | इसके अनादरित होने पर अनादरण की सुचना देना आवश्यक नहो होता |
10, विनिमय विपत्र यदि उचित समय में देनदार के समक्ष भुगतान के लिये प्रस्तुत नही किया जाता तो विपत्र का लेखक तथा अन्य पक्षकार अपने दायित्त्व से मुक्त हो जाते है | चैक को भुगतान के लिये बैंक के पास प्रस्तुत न किये जाने पर लेखक अपने दायित्त्व से मुक्त नहो होता, बशर्ते बैंक शोधक्षम्य हो |
11, लेखक देनदार को विपत्र का भुगतान रोकने की आज्ञा नही दे सकता | चैक के भुगतान से पूर्व चैक के लेखक को भुगतान रोक देने का अधिकार होता है |
12, विनिमय-विपत्र के लेखक की मृत्यु हो जाये या दिवालिया होजाने पर उसके उत्तराधिकारी विपित्र के धारक के प्रति उत्तरदायी होते है | चैक के लेखक की मृत्यु होने या दिवालिया होने की सुचना मुलते ही बैंक ऐसे लेखक के सभी चैकों का भुगतान स्थगित कर देता है |
13, इसे कोई भी लिख सकता है | इसे केवल वही लिख सकता है जिसका केवल बैंक में खाता है |




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