Bcom 1st Year Suspense Account Errors Trial Balance
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तलपट(Trial Balance)
Bcom 1st Year Suspense Account Errors Trial Balance : सभी व्यपारिक लेनदेनो को सबसे पहले रोजनामचे में लेखा जाता है इन लिखो की सहायता से विभिन खाते तेयार किए जाते है और इन खातो की सहायता से तलपट बनाया जाता है तलपट बनाने का मुख्य उद्देश्य यह ज्ञात करना होता है की खाताबही में जो खाते बनाए है वे गणितीय दृष्टि से शुद्ध है अथवा नही यदि तलपट के दोनों पक्ष का योग मिल जाता है तो प्राय: यह मान लिया जाता है की खाताबही में बनाय गए खाते शुद्ध है तलपट की सहायता से अंतिम खाते बनाय जाते है
तलपट से आशय ऐसी विवरण से है जिसमे खाताबही में तेयार किए गए खातो के ऋणी एव धनी शेषो को दर्शाया जाता है खाताबही का कार्य पूरा करने के पस्चात एक सूची तेयार की जाती है जिसमे सभी खातो के शेषो को दर्शाया जाता है, चाहे वह ऋणी शेष हो अथवा धनी दोनों तलपट में लिखे जाते है तलपट के दोनों पक्ष का योग बराबर आना चाहिए, तब यह माना जा सकता है की खतोनी का कार्य ठीक प्रकार से किया गया है
कार्टर के अनुसार , “तलपट खाताबही के ऋणी या धनी, दोनों प्रकार के शेषो की एक सूची है “
जेo आरo बाटली बाय के अनुसार , “तलपट खाताबही के ऋणी तथा धनी पक्ष के शेषो से तेयार किया गया एक विवरण है जिसका उदेश्य खाताबही की गणितीय शुद्धता की जाच करना है “
स्पाइसर एव पैगलर के अनुसार , “एक निशिचत तिथि पर समस्त खतोनी पूरी हो जाता है तो बाकियों की एक सूची बनाई जा सकती है इस सूची को तलपट कहा जाता है
तलपट के लाभ अथवा उदेश्य
- गणितीय शुद्धता का प्रमाण
- दोहरे लेखो की जाच
- खाताबही का साराश
- अन्तिम खाते बनाने के लिए आवश्यक
- तुलनात्मक अध्ययन में सहायक
तलपट को प्रभावित करने वाली अशुधिया अथवा ऐसी अशुधिया जिनका तलपट से पता चल जाता है (Errors Affecting Trial Balance) or (Errors to be Disclosed by Trial Balance)
गलतिया करना मानव का स्वभाव है कोई भी व्यक्ति चाहे वह कितना भी बुद्धिमान हो, जाने-अनजाने में गलतिय कर सकता है लेखा पुस्तके तेयार करते समय जो गलतिया होने की सभावना होती है, उन्हें दो भागो में बाटा जा सकता है ऐसी गलतिया जिनका तलपट बनाकर पता चल जाता है और ऐसी गलतिया जिनका तलपट बनाकर भी पता नही चल पाता है इस भाग में हम केवल उन गलतियो का वर्णन करेगे जिनका पता तलपट बनाकर चल जाता है यदि तलपट के दोनों पक्ष का योग बराबर नही आता है तो यह निशिचत है की लेखा पुस्तको में कोई न कोई गलती अवश्य है ये गलतिया निमन प्रकार से हो सकती है
योग करने में गलती : रोजनामचे या प्रारम्भिक लेखे की पुस्तक या खाताबही या तलपट तेयार करते समय योग लगाने में कोई भी गलती हो गई है तो तलपट के दोनों पक्ष का योग नही मिलेगा उदाहरण- विक्रय पुस्तक का योग 1,000 रूo अधिक लग जाना
शेष निकालने में गलती : खातो का शेष ज्ञात करते समय यदि किसी खाते का शेष कम या अधिक निकाल लिया जाता है तो तलपट का योग नही मिलेगा उदाहरण- रोकड़ पुस्तक का शेष 640 रूo के स्थान पर 540 रूo निकल जाना
योग आगे ले जाने में गलती : प्रारम्भिक लेखे की पुस्तको या खाताबही में जब एक प्रष्ट भर जाता है तो उसका योग अगले प्रष्ट पर ले जाया जाता है यदि ऐसा करते समय कोई गलती को गई है तो तलपट का योग नही मिलेगा उदाहरण- क्रय पुस्तक के पहले प्रष्ट का योग 32,400 रूo था जो अगले प्रष्ट पर 23,400 रूo लिख दिया गया
खाताबही से तलपट बनाते समय गलती : खाताबही में जो भी खाते बनाए जाते है उन सभी के शेष को तलपट में ले जाया जाता है यदि ऐसा करते समय कोई गलती हो जाती है तो भी तलपट नही मिलेगा इसमे निमन प्रकार से गलती हो सकती है उदाहरण- किसी खाते के क्रेडिट शेष को तलपट के डेबिट पक्ष में या डेबिट शेष को तलपट के क्रेडिट में लिख दिया जाए, (2) किसी भी खाते के शेष को तलपट में दो बार लिख दिया जाए
गलत पक्ष में खतोनी करना : रोजनामचे से खतोनी करते समय यदि किसी खाते के ऋणी पक्ष की रकम धनी में या धनी पक्ष को ऋणी में लिख डी जाए तो भी तलपट का योग नही मिलेगा उदाहरण-रोजनामचे में राम का खाता 1,000 रूo से डेबिट किया गया था परन्तु राम का खाते में इसे क्रेडिट पक्ष में लिख दिया गया
गलत राशि से खतोनी करना : यदि खतोनी करते समय किसी खाते में गलत रकम लिख डी जाए तो भी तलपट का योग नही मिलेगा उदाहरण-रोजनामचे में मजदूरी खाता 100 रूo से डेबिट किया गया था परन्तु मजदूरी खाते में यह रकम 1000 रूo लिख दी गई
केवल एक पक्ष की ही खतोनी करना : कभी कभी ऐसा होता है की हम जर्नल लेखे के एक पक्ष की खतोनी तो कर देते है परन्तु दुसरे पक्ष की खतोनी करना भूल जाते है ऐसी स्थिति में भी तलपट का योग नही मिलेगा
ऐसी अशुधिया जिनका तलपट से पता नही चल पाता है(Errord which are not disclosed by Trial Balance )
Or
“तलपट, खाताबही की शुद्धता का अन्तिम प्रमाण नही है “ (“Trial Balance is not Conclusive Evidence of Accuracy”)
प्राय यह माना जाता है की यदि तलपट के दोनों पक्ष का योग मिल जाता है तो लेखा पुस्तको में कोई अशुधि नही है परन्तु यह धारणा भ्रामक है कुछ अशुधिऐसी होती है जिनके होने पर भी तलपट के दोनों पक्ष का योग मिल जाता है इसी कारण यह कहा जाता है की, “तलपट का मिल जाना खाताबही की शुद्धता का अन्तिम प्रमाण नही है “ ऐसी गलतीया जिनका तलपट के मिल जाने पर भी पता नही चलता है निमन प्रकार है-
प्रारम्भिक लेखे की अशुधिया (Errors of original Entry) : यदि प्रारम्भिक लेखे की पुस्तको में किसी लेनदेन की धनराशि लिखने में गलती हो जाती है तो इसका तलपट पर कोई प्रभाव नही पड़ेगा उदाहरण- मोहन को 1,000 रूo का माल बेचा परन्तु इसका सम्पूर्ण लेखा 2,000 रूo से कर दिया गया (मोहन का खाता 2,000 रूo से ऋणी कर दिया गया और विक्रय खाता 2,000 रूo से धनी )|
छुट जाने वाली अशुधिया (Errors of Omission) : यदि किसी लेनदेन को प्रारम्भिक लेखे की पुस्तको में बिलकुल ही नही लिखा जाता है तो भी इसका तलपट पर कोई प्रभाव नही पड़ेगा उदाहरण-विपुल से 3,000 रूo का माल खरीदा परन्तु इसका लेखा ही नही किया गया ( न तो क्रय खाता डेबिट किया गया न ही विपुल का खाता क्रडिट )|
हिसाब-किताब की अशुधि(Errors of Commission) : हिसाब-किताब की अशुधियो ऐसी अशुधिया को कहा जाता है जो गलत लेखे होने, गलत खतोनी होने आदि के कारण होती है ऐसी अशुद्धियो का तलपट के योग पर कोई प्रभाव नही पड़ता है उदाहरण-किसी खाते के डेबिट पक्ष की रकम किसी अन्य खाते के डेबिट पक्ष में लिख डी जाए ,माल का क्रय का लेखा विक्रयबही में या माल के विक्रय का लेखा क्रय वापसी बही में कर दिया जाए |
खतोनी सम्बन्धी अशुधिया (Errors of Posting) : खतोनी सम्बन्धी अशुधियो से आशय ऐसी अशुद्धियो से है जो जर्नल से खाता बनाते समय हो जाती है परन्तु तलपट के योग पर उनका कोई प्रभाव नही पड़ता खतोनी सम्बन्धी उदाहरण- अनिल से 2,000 रूo मिले परन्तु यह रकम अनिल एंड कम्पनी के खाते में जमा कर डी गई |
कपट की अशुधिया (Errors of Fraud) : जो अशुधिया जानबुझकर या गबन करने के उदेश्य से की जाती है उन्हें कपट की अशुधिया कहा जाता है इन अशुद्धियो का भी तलपट के योग पर कोई प्रभाव नही पड़ता | उदाहरण – 500 रूo की स्टेशनरी खरीदी परन्तु उसका बिल 700 रूo का बनवाया गया तथा लेखा भी 700 रूo से किया गया
उचन्त खाता (Suspense Account )
यदि तलपट के दोनों पक्ष का योग बराबर नही आता है तो इस अंतर को खोजने के सभी सम्भव प्रयास किये जाते है यदि सभी प्रयास करने के बाद भी अंतर का पता नही चलता है तो इस अन्तर को उचन्त खाता(Suspense Account ) खाता खोल के उस खाते में डाल दिया जाता है ताकि तलपट का योग मिल सके और अन्तिम खाते बनाने का कार्य समय से पूरा हो सके | इस प्रकार उचन्त खाता ( Suspense Account ) एक काल्पनिक खाता है जिसे जिसे तलपट का योग मिलाने के लिए खोला जाता है इसे ‘भूल-चूक’ खाता अथवा ‘सशय’ खाता भी कहा जाता है |
यदि तलपट के डेबिट पक्ष का योग कम है तो उचन्त खाता (Suspense Account ) डेबिट पक्ष में लिख दिया जायगा और इसे आर्थिक चिठठे के सम्पति पक्ष में दिखाया जाएगा | यदि तलपट के क्रडिट पक्ष का कम है तो उचन्त खाता क्रडिट पक्ष में लिखा जाएगा और और आर्थिक चिठठे के दायित्व पक्ष में दिखाया जाएगा
उचन्त खाता अस्थायी खाता होता है क्योकि अगले वर्ष जैसे-जैसे अशुद्धियो का पता चलेगा , रोजनामचे में उनका लेखा करके सशोधन कर लिया जाएगा और उचन्त खाता (Suspense Account ) स्वत: बन्द हो जाएगा |
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