7 मकान सम्पत्ति से आय (Income From House Property)
प्रश्न 16- वार्षिक मूल्य की परिभाषा दीजिए । मकान- सम्पत्ति की कर-योग्य आय की गणना करने के लिए वार्षिक मूल्य में से घटाई जाने वाली स्वीकृत कटौतियों का वर्णन कीजिए।
(मेरठ, 20102008 BP, 2005 BP; गढ़वाल,2008 BP)
अथवा
मकान-सम्पत्ति के वार्षिक मूल्य का क्या आशय है? ऐसे मकान के वार्षिक मूल्य का निर्धारण आप किस प्रकार करेंगे जिसका 1/4 भाग किराये पर उठा हुआ है तथा 3/4 भाग में मकान का स्वामी स्वयं रहता है?
अथवा
किराया नियन्त्रण अधिनियम के अन्तर्गत आने वाले तथा किराये पर उठे मकान का वार्षिक मूल्य आप कैसे निर्धारित करेंगे? और मकान-सम्पत्ति की कर योग्य आय की गणना करने के लिए वार्षिक मूल्य में से घटाई जाने वाली स्वीकृत कटौतियों का वर्णन कीजिए।
अथवा
मकान सम्पत्ति के वार्षिक मूल्य से आप क्या समझते हैं? ऐसे मकान का वार्षिक मूल्य आप किस प्रकार निर्धारित करेंगे जो गत वर्ष में कुछ अवधि के लिए खाली रहा हो।
उत्तर
वार्षिक मूल्य (Annual Value)
आयकर अधिनियम की धारा 23 (1) के अनुसार मकान सम्पत्ति के वार्षिक मूल्य से आशय उस धन राशि से है जिस पर वह सम्पत्ति उचित रूप से प्रतिवर्ष किराये पर उठायी जा सकती है। इस प्रकार वार्षिक मूल्य से आशय मकान से प्राप्त होने वाले किराये से नहीं बल्कि उस अनुमानित किराये से है जिस पर वह मकान उठाया जा सकता है। वार्षिक मूल्य की विस्तृत विवेचना करने से पूर्व वार्षिक मूल्य के सम्बन्ध में प्रयुक्त शब्दावली के अर्थ को समझना आवश्यक है-
- नगर पालिका मूल्यांकन (Municipal Valuation)- गृहकर, जलकर, सीवरकर आदि वसूल करने के लिए स्थानीय सरकार (नगरपालिका, नगर परिषद या नगर निगम) द्वारा सम्पत्ति की अनुमानित वार्षिक आय (अर्थात् सम्बन्धित सम्पत्ति से एक वर्ष में किराये की कितनी आय प्राप्त हो सकती है) को ‘नगरपालिका मूल्यांकन कहते हैं ।
- उचित किराया (Reasonable or Fair Rent)- उचित किराये से आशय किराये की उस आय से है जो सम्बन्धित सम्पत्ति जिस क्षेत्र में स्थित है, उसी क्षेत्र में अथवा उसी जैसे: अन्य किसी क्षेत्र में उसी प्रकार की सम्पत्ति को किराये पर देने से प्राप्त की जा सकती है।
- प्रमापित या मानक किराया (Standard Rent)- किराया नियन्त्रण अधिनियम के अन्तर्गत सम्बन्धित सरकारी अधिकारी (जिलाधिकारी या उपजिलाधिकारी आदि) द्वारा सम्बन्धित सम्पत्ति हेतु निर्धारित किया गया किराया ‘प्रमापित या मानक किराया’ कहलाता है।
- वास्तव में प्राप्त या प्राप्य किराया (Actual Rent)- किराये पर उठाये गये मकान के सम्बन्ध में किरायेदार से प्राप्त किराये की रकम को ही वास्तव में प्राप्त या वास्तविक किराया कहते हैं। जबकि प्राप्य किराये का आशय ऐसे किराये की राशि से है जो गतवर्ष की समाप्ति तक किरायेदार से प्राप्त नहीं हुआ है परन्तु प्राप्त होने की पूर्ण सम्भावना है।
कभी-कभी मकान मालिक मकान को किराये पर देते समय किरायेदार को कुछ सुविधाएं प्रदान करने का दायित्व अपने ऊपर ले लेता है, जैसे-लिफ्ट, पानी चढ़ाने का पम्प, बिजली, वाहन पार्क करने, माली, आदि की सुविधाएं। ऐसी दशा में प्राप्त किराये की राशि में से किरायेदार से किये गये अनुबन्ध के अन्तर्गत इन सुविधाओं पर मकान मालिक द्वारा किया गया व्यय घटाकर जो राशि शेष बचेगी वही राशि उस मकान का वास्तविक किराया मानी जाएगी। इसी प्रकार यदि किरायेदार ने मकान मालिक के किसी दायित्व को भुगतान करने का अनुरोध किया है तो इस प्रकार भुगतान की गई राशि को प्राप्त किराये की राशि में जोड़कर जो राशि आएगी वही राशि उस मकान का वास्तविक किराया मानी जाएगी परन्तु निम्नलिखित के सम्बन्ध में प्राप्त किराये की राशि में किसी प्रकार का समायोजन नहीं किया जाएगा
(i) किरायेदार द्वारा उस मकान (या भाग) के सम्बन्ध में नगरपालिका कर का भुगतान जिसमें वह रह रहा है;
(ii) किरायेदार द्वारा मकान की मरम्मत पर किया गया व्यय;
(iii) मकान मालिक ने किरायेदार से जितनी राशि जमा (Security) के रूप में प्राप्त की है उस पर कल्पित (Notional) ब्याज की रकम।
यहाँ पर यह भी उल्लेखनीय है प्राप्त या प्राप्य किराये से तात्पर्य वास्तव में वसूल किये गये अथवा वसूल किये जाने योग्य किराये से है जिसमें निर्धारित शर्तों [i) किरायेदारी वास्तविक हो; (ii) किरायेदार ने मकान खाली कर दिया हो या इसके लिए आवश्यक कार्यवाही की जा चुकी हो; (iii) करदाता के किसी अन्य मकान पर उस किरायेदार का कब्जा न हो; (iv) बकाया किराये की रकम वसूल करने के लिए आवश्यक कानूनी कार्यवाही की जा चुकी हो या ऐसी कार्यवाही करना व्यर्थ हो के पूरा होने पर न वसूल हुआ किराया एवं मकान के किराये पर न आ सकने अर्थात् मकान के किराये से खाली रहने की अवधि का किराया सम्मिलित नहीं है।
- अपेक्षित/सम्भावित किराया (Expected Rent)- धारा 23 (1)(a) के अनुसार अपेक्षित किराये से आशय ऐसी राशि से है, जिस पर मकान सम्पत्ति को वर्ष-प्रतिवर्ष किराये पर उठाया जाना चाहिए। आय-कर अधिनियम के अनुसार अपेक्षित किराये को निम्नलिखित प्रकार से निर्धारित किया जाता है-
(अ) से मकान जो किराया नियन्त्रण अधिनियम (Rent Control Act) के अन्तर्गत नहीं आते हैं- ऐसा तभी माना जायेगा जब ऐसी सूचना दी हुई हो अथवा प्रमापित किराये/मानक किराये की कोई जानकारी प्रश्न में न दी गई हो। नगरपालिका मूल्य एवं उचित किराये में जिसकी रकम अधिक हो उसे ही ‘अपेक्षित किराया’ माना जाता है।
(ब) ऐसे मकान जो किराया नियन्त्रण अधिनियम के अन्तर्गत आते हैं- ऐसी दशा में निम्नलिखित में जो राशि कम होगी, उसे अपेक्षित किराया माना जाता है
(i) नगरपालिका मूल्य एवं उचित किराये में जिसकी रकम अधिक हो; अथवा
(ii) प्रमापित/मानक किराये की रकम नोट-अपेक्षित/सम्भावित किराया, मानक किराये की रकम से अधिक नहीं हो सकता, परन्तु मानक किराये की रकम से कम हो सकता है।
वार्षिक मूल्य का निर्धारण : आयकर अधिनियम की धारा 23 में वार्षिक मूल्य को परिभाषित करते समय सकल वार्षिक मूल्य’ एवं ‘शुद्ध वार्षिक मूल्य’ शब्दों का प्रयोग नहीं किया गया है, परन्तु भ्रमपूर्ण स्थिति से बचने के लिए इन शब्दों को व्यावहारिक रूप से प्रयोग किया जा रहा है। वस्तुत: आय-कर अधिनियम में प्रयुक्त ‘वार्षिक मूल्य’ हेतु शुद्ध वार्षिक मूल्य’ शब्द का प्रयोग कर रहे हैं।
विभिन्न परिस्थितियों में मकान के वार्षिक मूल्य की गणना
- किराये पर दिया गया ऐसा मकान जो गत वर्ष में किसी भी समय खाली न रहा हो : ऐसी दशा में सम्भावित किराया या वास्तविक किराया, जो दोनों में अधिक होगा वह सकल वार्षिक मूल्य माना जायेगा, जिसमें से गत वर्ष में मकान मालिक द्वारा चुकाए गए नगरपालिका कर की राशि घटा दी जाएगी एवं तदुपरान्त बची हुई शेष राशि ही किराये पर उठाये गए मकान का वार्षिक मूल्य कहलायेगी।
- किराये पर उठाया गया ऐसा मकान जो पूरे गत वर्ष या गत वर्ष में कुछ माह के लिए खाली रहा हो
(अ) यदि मकान पूरे गत वर्ष खाली रहा हो-ऐसे मकान का सकल वार्षिक मूल्य शून्य माना जायेगा।
(ब) यदि मकान गत वर्ष में कुछ माह के लिए खाली रहा हो-
(i) ऐसी दशा में मकान को किराये पर उठायी गई अवधि का वास्तव में प्राप्त/प्राप्य किराया यदि सम्भावित किराये से अधिक है तो प्राप्त/प्राप्य किराये की धनराशि को सकल वार्षिक मूल्य माना जाता है।
(ii) यदि मकान को किराये पर दी गई अवधि का वास्तव में प्राप्त/प्राप्य किराया मकान खाली रहने के कारण सम्भावित किराये से कम है तो प्राप्त/प्राप्य किराये की धनराशि को सकल वार्षिक मूल्य माना जाता है। इस सकल वार्षिक मूल्य में से मकान मालिक द्वारा गत वर्ष में चुकाए गए नगरपालिका कर की राशि को घटाने के पश्चात् बची हुई शेष राशि मकान का वार्षिक मूल्य मानी जायेगी।
- स्वयं के निवास में प्रयुक्त मकान सम्पत्ति के वार्षिक मूल्य का निर्धारण
(अ) स्वयं के निवास का एक ही मकान हो :
(i) यदि करदाता के स्वामित्व में स्वयं के रहने का केवल एक मकान है जो गत वर्ष में पूर्ण रूप से स्वयं के निवास हेतु प्रयोग किया गया है तो ऐसे मकान का वार्षिक मूल्य शून्य माना जायेगा।
(ii) यदि करदाता के पास स्वयं के रहने का केवल एक ही मकान हो तथा वह उस मकान में पूरे गत वर्ष में इस कारण से न रह सका हो क्योंकि उसकी नौकरी अथवा व्यापार अथवा पेशा किसी अन्य जगह है और ऐसे अन्य स्थान पर स्वयं के मकान में न रहा हो तो ऐसे मकान का वार्षिक मूल्य शून्य माना जाता है बशर्ते कि अपने मकान को किराये पर न उठाया गया हो तथा करदाता ने इससे कोई अन्य लाभ प्राप्त नहीं किया हो।
(iii) यदि कोई मकान- सम्पत्ति गत वर्ष में कुछ अवधि के लिए किराये पर उठा दी गई है तथा शेष अवधि के लिए करदाता के स्वयं के निवास हेतु प्रयोग की जाती है तो ऐसी मकान सम्पत्ति का वार्षिक मूल्य गत वर्ष में सम्पूर्ण अवधि के लिए किराये पर उठी हुई मकान सम्पत्ति की तरह निर्धारित किया जायेगा अर्थात् ऐसी मकान सम्पत्ति के वार्षिक मूल्य की गणना करते समय स्वयं के निवास में प्रयुक्त अवधि के लिए कोई छूट या राहत प्रदान नहीं की जायेगी।
(iv) ऐसी मकान सम्पत्ति जिसका कुछ भाग स्वयं के निवास हेतु प्रयोग किया जाये एवं शेष भाग किराये पर उठाया जाये- ऐसी दशा में मकान सम्पत्ति का जो भाग करदाता द्वारा पूरे गत वर्ष में स्वयं के निवास हेतु प्रयोग किया गया है उस हिस्से का वार्षिक मूल्य मकान के उस भाग को एक पृथक् इकाई (Separate unit) मानकर धारा 23(2)(a) के अनुसार निर्धारित किया जायेगा अर्थात् ऐसे भाग का वार्षिक मूल्य शून्य माना जायेगा सम्पत्ति का शेष भाग जिसे करदाता ने किराये पर उठाया हुआ है, उसे एक पृथक् इकाई मानते हुए उस हिस्से के वार्षिक मूल्य को किराये पर उठाये गये मकानों की तरह निर्धारित किया जायेगा।
(ब) एक से अधिक मकानों का स्वयं के निवास हेतु प्रयोग- यदि करदाता ने गत वर्ष में एक से अधिक मकानों का उपयोग अपने स्वयं के निवास हेतु किया है तो सभी मकानों में से किसी एक मकान का वार्षिक मूल्य शून्य लिया जायेगा। करदाता अपनी इच्छानुसार सभी
मकानों में से किसी एक मकान का चयन कर सकता है। [धारा 23(4)(a)]
शेष सभी मकानों को किराये पर उठाया हुआ माना जायेगा और इन मकानों के वार्षिक मूल्य की गणना किराये पर उठाये गये मकानों की तरह की जायेगी। [धारा 23(4)(b)]
किसी स्पष्ट सूचना के अभाव में, सबसे अधिक वार्षिक मूल्य वाले मकान को स्वयं के निवास हेतु माना जाता है क्योंकि ऐसा करने से ही करदाता का आय-कर दायित्व कम रहता है। यह छूट केवल व्यक्ति एवं हिन्दू अविभाजित परिवार को ही प्रदान की गई है। करदाता अपने हित में चयनित मकान प्रतिवर्ष बदल सकता है।
नोट- 1. स्वयं के निवास हेतु प्रयुक्त मकान के सम्बन्ध में वास्तविक किराये एवं मानक किराये का कोई प्रश्न ही नहीं है।
- स्वयं के निवास हेतु प्रयुक्त मकान के सम्बन्ध में मकान के खाली रहने या किराया वसूल न होने वाली भी कोई बात नहीं हो सकती।
- यदि करदाता ने अपना मकान अपने रिश्तेदारों को प्रयोग करने हेतु दिया हुआ हो तो ऐसे मकान को स्वयं निवास में प्रयुक्त मकान नहीं माना जा सकता है।
वार्षिक मूल्य की गणना में ध्यान रखने योग्य महत्त्वपूर्ण बिन्दु
- किरायेदार द्वारा चुकाये गये नगरपालिका करों की राशि को सकल वार्षिक मूल्य में से नहीं घटाया जाता है।
- मकान मालिक द्वारा नगरपालिका करों की गत वर्ष में वास्तव में भुगतान की गई राशि को ही घटाया जाता है चाहे वे गत वर्ष के हों, गत वर्ष के पूर्व के वर्षों के हों या बाद के वर्षों के हों।
- यदि नगरपालिका कर गत वर्ष में देय (Due) तो हो गये हैं लेकिन उनका मकान मालिक द्वारा भुगतान नहीं किया गया है तो उन्हें नहीं घटाया जाता है।
- वार्षिक मूल्य की गणना में राज्य सरकार के द्वारा लगाये गये किसी भी कर जैसे भूमि एवं भवन कर को नहीं घटाया जाता है
- यदि स्थानीय सत्ता को चुकाये गये करों की राशि सकल वार्षिक मूल्य से अधिक हो तो शुद्ध वार्षिक मूल्य ऋणात्मक भी हो सकता है।
- स्थानीय सत्ता अथवा नगरपालिका द्वारा लगाये गये सेवा कर (service tax) हेतु भुगतान की गई राशि को भी घटाया जायेगा।
मकान सम्पत्ति की आय निर्धारित करने के लिए वार्षिक मूल्य में से घटायी जाने वाली स्वीकृत कटौतियाँ- धारा 24(1) अन्तर्गत निम्नलिखित कटौतियाँ स्वीकृत हैं
- मानक कटौती (Standard Deduction)- यह कटौती शुद्ध वार्षिक मूल्य के 30% के बराबर दी जायेगी चाहे वास्तविक व्यय कितना भी हुआ हो। यह एक अनिवार्य कटौती है। यह कटौती अवश्य प्रदान की जाएगी चाहे सम्पत्ति के स्वामी ने कर-योग्य सम्पत्ति के सम्बन्ध में कोई व्यय किया है अथवा नहीं।
- ऋण पर ब्याज (Interest on Loan)- यदि मकान को खरीदने, बनवाने, मरम्मत करवाने अथवा पुनः निर्माण के लिए कोई ऋण लिया गया है तो ऐसे ऋण का सम्पूर्ण ब्याज देय आधार (Due Basis) पर कटौती के रूप में स्वीकृत किया जाएगा।
पुराने ऋण को चुकाने के लिए यदि नया ऋण लिया जाता है तो नए ऋण पर देय सम्पूर्ण ब्याज भी कटौती के रूप में स्वीकृत होगा। यदि किसी गत वर्ष में ब्याज का भुगतान नहीं किया जा सका है और अगले वर्ष अदत्त ब्याज की राशि पर भी ब्याज दिया गया है तो ऐसा ब्याज कटौती योग्य नहीं है। ऋण लेने के लिए दी गई दलाली भी कटौती योग्य नहीं है।
(अ) यदि ऋण किराये पर उठाये गये मकान के सम्बन्ध में लिया गया है तो व्याज की सम्पूर्ण राशि कटौती के रूप में स्वीकार की जायेगी।
(ब) स्वयं के निवास के लिए प्रयुक्त मकान से सम्बन्धित ब्याज- ऐसे मकान के सम्बन्ध में लिए गए ऋण पर ब्याज की कटौती अधिकतम 30,000 तक ही स्वीकृत होगा परन्तु यदि मकान का निर्माण या क्रय 1 अप्रैल, 1999 को अथवा उसके बाद ऋण लेकर किया गया है तो यह ब्याज कर-निर्धारण वर्ष 2015-16 से 2,00,000 तक स्वीकृत होगा।
विशेष- निर्माण पूर्व अवधि के ब्याज की छूट पाँच किस्तों में दी जाती है। पहली किस्त की छूट उस वर्ष दी जाती है जिस वर्ष मकान बनकर तैयार होता है।