Bcom Clubbing of Income and Deemed Incomes Notes

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आय का मिलाना एवं मानी गयी आयें (Clubbing of Income and Deemed Incomes)

आय का मिलाना’ (Clubbing of income) से अभिप्राय अन्य व्यक्तियों की आय, करदाता की आय में शामिल करने से है निम्नलिखित स्थितियों में अन्य व्यक्तियों की आय करदाता की कुल आय में शामिल की जाती है-

  1. सम्पत्ति का हस्तान्तरण किये बिना आय का हस्तान्तरण (Transfer of Income without transfer of asset) [ धारा 60)- यदि कोई व्यक्ति अपनी किसी सम्पत्ति से होने वाली आय का हस्तान्तरण किसी अन्य व्यक्ति को करता है लेकिन उस सम्पत्ति के स्वामित्व का हस्तान्तरण नहीं करता है तो उस आय को हस्तान्तरणकत्ता (Transferor) को आय में सम्मिलित किया जाता है।

उदाहरण- अतुल अपने मकान का किराया अपने भाई विपुल को प्राप्त करने का अधिकार दे देता है, किन्तु मकान पर अतुल का स्वामित्व रहता है। ऐसी स्थिति में विपुल को प्राप्त किराया अतुल की ही आमदनी मानी जायेगी।

  1. सम्पत्ति का खण्डनीय हस्तान्तरण (Revocable Transfer of Asset) {धारा 61]- यदि किसी व्यक्ति ने अपनी किसी सम्पत्ति का किसी अन्य व्यक्ति को खण्डनीय हस्तान्तरण किया हो तो ऐसी सम्पत्ति से उस अन्य व्यक्ति को प्राप्त होने वाली आय हस्तान्तरणकर्ता की कुल आय में सम्मिलित की जायेगी।

खण्डनीय हस्तान्तरण का अर्थ धारा 63]- खण्डनीय हस्तांतरण से आशय ऐसे हस्तान्तरण से है, जिसमें कोई ऐसी व्यवस्था है जिसके कारण हस्तान्तरणकर्त्ता सम्पत्ति की समस्त आये या कुछ आय को प्रत्यक्ष रूप से अथवा अप्रत्यक्ष रूप से पुनः हस्तांतरित कर सकता है; या हस्तांतरण में कोई ऐसी व्यवस्था है जिसमें हस्तांतरणकर्त्ता ठस सम्पत्ति को या उसके कुछ भाग को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से वापस प्राप्त कर सकता है।

उदाहरण- राम ने अपना मकान श्याम के नाम 5 वर्ष के लिए कर दिया और इसका किराया श्याम को प्राप्त होने लगा। किराये की यह आय राम (हस्तांतरणकर्त्ता) की आय में शामिल होगी, न कि श्याम (हस्तांतरी) की आय में।

अपवाद- निम्नलिखित दशाओं में खण्डनीय हस्तांतरण होते हुए भी इनकी आय हस्तांतरी (Transferee) की आय में शामिल होगी, अर्थात् हस्तांतरणकर्ता की आय में शामिल नहीं होगी

(अ) यदि सम्पत्ति का हस्तांतरण किसी ट्रस्ट द्वारा किया गया हो और यह हस्तांतरण लाभ पाने वाले के जीवन काल में अखण्डनीय है, या

(ब) यदि सम्पत्ति का हस्तांतरण किसी व्यक्ति को किया गया हो और यह हस्तांतरण हस्तांतरी के जीवन-काल में अखण्डनीय है, या 

(स) यदि हस्तांतरण 1 अप्रैल, 1961 से पूर्व किया गया है और 6 वर्ष से अधिक के लिए अखण्डनीय है।

जीवन साथी की आय (Income of Spouse)- [थारा 64]- यदि किसी व्यक्ति का किसी संस्था में सारवान हित है व इसी संस्था से उसके जीवनसाथी को कोई वेतन, बोनस, कमीशन या अन्य कोई पारिश्रमिक मिलता है तो ये समस्त आयें प्राप्तकर्ता के लिए कर-योग्य न होकर उसके जीवन साथी, जिसका संस्था में सारवान हित है, के लिए कर-योग्य हगा परन्तु यदि करदाता के जीवन साथी को यह पारिश्रमिक तकनीकी अथवा व्यावसायिक जानकारी तथा अनुभव की सेवाएं प्रदान करने के फलस्वरूप प्राप्त हुआ हो तो यह प्रावधान लागू नहीं होगा।

नोट-(i) जीवनसाथी से आशय पुरुष करदाता के लिए उसकी पत्नी व स्त्री करदाता के लिए उसके पति से है।

(ii) सारवान हित का अर्थ- किसी व्यक्ति का कम्पनी में सारवान हित तब माना जाता है जब उसके एवं उसके सम्बन्धियों के पास कुल मिला कर उस कम्पनी के कम से कम 20% मताधिकार वाले अंश हों। अन्य किसी संस्था में व्यक्ति का सारवान हित उस दशा में माना जाता है जबकि वह व्यक्ति एवं उसके सम्बन्धी कुल मिलाकर कम से कम 20% लाभ प्राप्त करने के अधिकारी रहे हों।

(iii) ‘सम्बन्धी’ से आशय- किसी व्यक्ति के लिए उसके सम्बन्धी से आशय उसके पति-पत्नी, भाई-बहिन तथा ऊपर के वंशज एवं नीचे के वंशजों से है।

(iv) यदि किसी संस्थान में पति एवं पली दोनों का सारवान हित हो तथा दोनों उस संस्था से वेतन, कमीशन आदि प्राप्त करते हैं, तो इस संस्था से प्राप्त वेतन, कमीशन आदि को एक ही जीवन साथी की कुल आय में सम्मिलित किया जायेगा।

  1. जीवन साथी को हस्तान्तरित सम्पत्ति से आय (Income arising out of transferred asset to spouse) [धारा 64 (1) (iv)]- जब किसी व्यक्ति द्वारा मकान सम्पत्ति को छोड़कर अन्य कोई सम्पत्ति बिना पर्याप्त प्रतिफल के अथवा अलग-अलग रहने के किसी समझौते के अन्तर्गत किये गये हस्तान्तरण को छोड़कर, प्रत्यक्ष रूप से अथवा अप्रत्यक्ष रूप से अपने जीवन साथी को हस्तान्तरित की जाती है तो उस सम्पत्ति से आय हस्तान्तरणकर्त्ता की आय समझी जाती है।

अपवाद- निम्नलिखित स्थितियों में जीवन साथी को हस्तान्तरित सम्पत्ति की आय संकलित (Clubbed) नहीं की जाएगी।

(i) यदि सम्पत्ति का हस्तान्तरण विवाह से पूर्व किया गया हो।

(ii) यदि सम्पत्ति का हस्तान्तरण पर्याप्त प्रतिफल लेकर किया गया हो।

(iii) यदि सम्पत्ति का हस्तान्तरण अलग रहने के समझौते के अन्तर्गत किया गया हो।

(iv) यदि आय की प्राप्ति की तिथि को हस्तान्तरणकर्त्ता हस्तान्तरिती का जीवन साथी नहीं है।

  1. पुत्र-वधू की आय [धारा 64 (i) (vi)] [Income of daughter-in-law] यदि किसी व्यक्ति ने अपनी पुत्र-वधू को 31 मई, 1973 के बाद, बिना या अपर्याप्त प्रतिफल के किसी सम्पत्ति का हस्तान्तरण किया हो और इस सम्पत्ति से उन्हें कोई आय प्राप्त हुई हो, तो ऐसी आय हस्तान्तरणकर्ता करदाता की आय मानी जायेगी।
  2. जीवन-साथी या पुत्र-वधू के लाभार्थ किसी अन्य व्यक्ति या व्यक्तियों के संघ को सम्पत्ति का हस्तान्तरण- 31 मई, 1973 के बाद, करदाता द्वारा यदि अपनी कोई सम्पत्ति पर्याप्त प्रतिफल प्राप्त किए बिना किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के संघ को हस्तान्तरित की जाती है तो ऐसी सम्पत्ति से प्राप्त आय हस्तान्तरणकर्ता की आय में उस सीमा तक शामिल होगी जहां , तक ऐसी आय उसके जीवन-साथी या पुत्र- वधू के वर्तमान या भावी हित के लिए हो।
  3. अवयस्क बच्चे की आय (Income of Minor Child) धारा 64 (1A) कर निर्धारण वर्ष 1993-94 से एक अवयस्क बच्चे की आय को उसके माता या पिता (दोनों में जिसकी कुल आय अधिक हो)की आय में शामिल किया जाता है, किन्तु माता-पिता के अलग-अलग रहने पर (वैवाहिक सम्बन्ध विच्छेद होने पर) उसकी आय में जोड़ा जायेगा जो अवयस्क बच्चे का पालन-पोषण करेगा। यदि अवयस्क की आय पिता अथवा माता दोनों में से जिसकी भी कुल आय में सम्मिलित कर ली जाती है तो आगामी वर्षों में भी उसी की कुल आय में सम्मिलित होती रहेगी जब तक कि कर निर्धारण अधिकारी इसमें परिवर्तन करना आवश्यक न समझे। यदि किसी अवयस्क की आय उसके माता-पिता की आय में शामिल की जाती है, तो ऐसी दशा में प्रत्येक अवयस्क की 1,500 रु. तक की आय करमुक्त होगी, अर्थात् अवयस्क की आय 1,500 रु. से अधिक होने पर ही माता/पिता की आय में शामिल होगी।

उपरोक्त प्रावधान अवयस्क की उस आय के सम्बन्ध में लागू नहीं होगा जो अवयस्क बच्चे द्वारा किये गये निजी श्रम से या उसके विशेष ज्ञान अनुभव के आधार से किये गये कार्यों से अर्जित किया गया हो अथवा बच्चा शारीरिक या मानसिक रूप से अपंग है।

स्पष्टीकरण- अवयस्क बच्चे से अभिप्राय 18 वर्ष से कम उम्र वाले तथा वैधानिक बच्चे से है चाहे वह गोद लिया हुआ हो अथवा सौतेला, परन्तु इसमें अवैध बच्चे को सम्मिलित नहीं किया जाता है।

  1. अविभाजित हिन्दू परिवार को व्यक्तिगत सम्पत्ति का हस्तांतरण- यदि कोई व्यक्ति अविभाजित हिन्दू परिवार का सदस्य है और वह अपनी कोई व्यक्तिगत सम्पत्ति परिवार को 31.12.69 के बाद हस्तांतरित कर देता है तो ऐसी सम्पत्ति से प्राप्त आय उस व्यक्ति की ही आय मानी जायेगी, परिवार की नहीं।
  2. बेनामी व्यवहार- यदि कोई व्यक्ति कर बचाने के लिए अपनी किसी सम्पति का हस्तान्तरण अवास्तविक व्यक्ति को कर देता है, तो ऐसे बेनामी व्यवहार की आय वास्तविक व्यक्ति की ही आय मानी जाएगी।

संकलित आय किस शीर्षक में शामिल होगी

जीवन साथी, अवयस्क पुत्र, पुत्र वधू आदि की आय यदि करदाता की आय में शामिल की जानी हो, तो ऐसी स्थिति में ऐसी आय उसी शीर्षक में शामिल की जाएगी, जिससे वह सम्बन्धित है। जैसे-अवयस्क के नाम पर मकान सम्पत्ति की आय माता/पिता की आय में मकान सम्पत्ति शीर्षक में ही शामिल होगी और उस शीर्षक की नियमानुसार कटौतियाँ मिलेंगी। यदि करदाता की आय में अन्य व्यक्तियों की आय शामिल है, तो उसे धारा 80C से 80U तक की कटौतियाँ नियमानुसार मिलेंगी यहाँ यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि ये कटौतियाँ करदाता की व्यक्तिगत आय एवं उसकी आय में शामिल की गयी अन्य व्यक्तियों की आय के योग पर मिलेंगी।

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