Characterization Purpose Privatization Business Environment study Notes

Characterization Purpose Privatization Business Environment study Notes

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Privatization निजीकरण

निजीकरण को दो अर्थो में प्रयुक्त किया जाता है | सकुचित अर्थ में निजीकरण से तात्पर्य उस प्रकिर्या से है जिसमे सावर्जनिक उपक्रमों के स्वामित्व को निजी क्षेत्र को अन्तरित किया जाता है | इसमे सरकार अपने उपक्रमो की कुछ या समस्त अंश पूँजी निजी उधमियो को बेच देती है | किन्तु निजीकरण का यह अर्थ उचित नही है व्यापक अर्थ में स्वर्जनिक क्षेत्र को सिमित करने तथा क्षेत्र को व्यापक बनाने के सभी प्रयासों को निजीकरण के अन्तगर्त शामिल किया जाता है इतना ही नही, इस प्रकिर्या के द्वारा नीतियों में परिवर्तन करके निजी क्षेत्र को सावर्जनिक नियन्त्रण के बन्धन से भी मुक्त किया जा रहा है |

अत: स्पष्ट है की निजीकरण एक ऐसी प्रकिर्या है जिसके द्वारा सावर्जनिक उपक्रमों के स्वामित्व एव प्रबन्ध को निजी क्षेत्र को हस्तान्तरित किया जाता है | इसमे उन सभी तरीको तथा नीतिगत उपायों को सम्मिलित किया जाता है जिनके परिणामस्वरूप सावर्जनिक क्षेत्र का कार्यक्षेत्र संकुचित होता है तथा निजी क्षेत्र के कार्यक्षेत्र का विस्तार होता है |

Characterization of privatization निजीकरण की विशेषताए

  • निजीकरण एक नवीन विचारधारा है जिसका विकास लगभग पिछले दो दशको में हुआ है | इसमे सावर्जनिक क्षेत्र के स्थान पर निजी क्षेत्र देश के आर्थिक विकास का दायित्व वहन करने के लिये तैयार होता है |
  • इसका क्षेत्र विस्तृत है | इसमे विराष्टियकरण विनियन्त्र्ण विनियमन आर्थिक उदारीकरण आदि कियाए शामिल की जाती है |
  • यह एक प्रकिर्या है जो क्रमबद्ध तरीके से निशचित स्वरूप ग्रहण करती है |
  • निजीकरण इस मान्यता पर आधारित है की सावर्जनिक क्षेत्र की तुलना में निजी क्षेत्र प्रबन्ध एव कुशलता की द्रष्टि से अधिक कुशल होता है |
  • इसमे निजी क्षेत्र को अधिक स्वतन्त्रतापूर्वक कार्य करने का अवसर प्रदान किया जाता है | यह आर्थिक प्रजातंत्र स्थापित करने का साधन है |
  • निजीकरण की प्रकिर्या के द्वारा सरकारी प्रभुत्व को कम करके निजी क्षेत्र को बढ़ावा दिया जाता है |
  • निजीकरण एक सवर्व्यापी अवधारणा है, जिसे विश्व स्तर पर लागु किया जा रहा है |

Purpose of privatization निजीकरण के उदेश्य

  • सावर्जनिक उपक्रमों में कुशलता एव लाभदायकता के निम्न स्तर की समस्या का समाधान करना |
  • उधोगो में प्रतियोगी क्षमता का विकास करना |
  • देश में विदेशी पूजी को आमन्त्रित करना |
  • अन्तराष्टीय जगत में आर्थिक उदारीकरण की विचारधारा के साथ तालमेल स्थापित करना |
  • देश में उधोगो का अन्तराष्टीयकरण करना |
  • सावर्जनिक उपक्रमो के घाटे के कारण बजट पर पड़ने वाले दबावों को कम करना |
  • औधोगिक शान्ति को बनाए रखना |
  • सावर्जनिक उपक्रमों का व्यावसायिक आधार पर संचालन करना |
  • देश में तीर्व औधोगिक विकास का वातावरण तैयार करना |
  • देश में निर्यातों को बदावा देना तथा विदेशी मुद्रा अर्जित करना |

Measures for privatization in India भारत में निजीकरण हेतु किये गए उपाय

  1. सावर्जनिक क्षेत्र के लिये आरक्षित उधोग वर्गो की सख्या में कमी— भारत में सावर्जनिक क्षेत्र के लिये आरक्षित उघोग वर्गो की सख्या में कमी करके निजीकरण को बढ़ावा दिया गया है 1956 की औधोगिक नीति में 17 उधोगो को सावर्जनिक क्षेत्र के लिये आरक्षित रखा गया था किन्तु 1991 में इस सख्या को घटाकर 8 कर दिया गया | 1993 में पुन: आरक्षित उधोगो की सख्या घटाकर 6 कर दी गई तथा वर्तमान में इनकी सख्या केवल 2 है |
  2. लाइसेन्स की अनिवार्यता को कम करना— लाइसेन्स की अनिवार्यता को सरकार धीरे-धीरे समाप्त कर रही है | 1991 की औधोगिक नीति में 18 उधोग ऐसे थे जिनके लिये लाइसेन्स लेना अनिवार्य था लेकिन अब इनकी सख्या केवल 5 रह गई है | इस प्रकार सरकार प्रभूत को करके निजी क्षेत्र को बढ़ावा दिया जा रहा है |
  3. अंश पूँजी का विनिवेश— निजीकरण के अन्तगर्त सरकार ने एक अन्य अत्यन्त महत्वपूर्ण निर्णय सावर्जनिक उधोगो में विनिवेश कर लिया है | इसका अर्थ यह है की अब सरकार सावर्जनिक क्षेत्र के उधोगो के अंश-पत्र निजी व्यक्तियों को बेचेगी | इस तरह सरकार को जो पूँजी प्राप्त होगी उससे सावर्जनिक क्षेत्र में विवेकिक्र्ण एव आधुनिककरण की प्रकिर्या को अपनाकर वहा के घाटे को कम करने का प्रयास किया जायेगा |
  4. पूजी बाजार का विकास— देश में निजीकरण की प्रकिया को बढ़ावा के लिये सरकार ने पूजी बाजार के विकास पर पर्याप्त ध्यान दिया है | इसके लिये सरकार ने SEBI नामक एक सस्था की स्थापना की है | यह सस्था पूँजी बाजार का निजीकरण के वातावरण को ध्यान में रखकर व्यवस्थित विकास कर रही है |
  5. निजी क्षेत्र में बैको की स्थापना की अनुमति— सरकार निजीकरण की प्रकिर्या को गति प्रदान करने के लिये उधोगपतियो को निजी क्षेत्र में बैक खोलने के लिये प्रोत्साहन दे रही है सरकार ने राष्टीयकर्त बैको की 70% अंश पूँजी निजी क्षेत्र को देने की योजना भी तैयार की है |
  6. विदेशी पूँजी निवेश की सीमा में वर्धि— देश में विदेशी पूँजी निवेश की सीमा को बढ़ाकर 51% कर दिया गया है जिससे देश में निजी क्षेत्र के उधोगो के विकास में मदद मिल रही है |

 

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